बिलासपुर—- पर्यावरण स्वीकृति मिलने से एसईसीएल उत्पादन लक्ष्य प्राप्त करने की ओर अग्रसर है। जानकारी एसईसीएल प्रबंधन ने दी है। प्रबंधन ने बताया कि राष्ट्र की ऊर्जा उत्पादन में एसईसीएल का अहम योगदान है। अपनी भूमिका को कम्पनी ईमानदारी से निभा भी रही है।
एसईसीएल प्रबंधन ने बताया कि राष्ट्र के विकास में कोयला उत्पादन की अहम भूमिका है। ऊर्जा आवश्यकता की पूर्ति के लिए कोयला ही मुख्य स्त्रोत है। इसलिए कोयला खनन आवश्यक हो जाता है। इसमें कोल इण्डिया का महत्वपूर्ण योगदान है। कोल इण्डिया अंतर्गत सहयोगी संस्थान एसईसीएल के कुसमुण्डा खुली खदान को हाल ही में पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार ने 40 मिलियन टन प्रति वर्ष से बढ़ाकर 50 मिलियन टन प्रतिवर्ष और 62.5 मिलियन टन प्रतिवर्ष की स्वीकृति दी है। इससे कोयला उत्पादन को बल मिलेगा।
प्रबंधन ने बताया कि कुसमुण्डा खुली खदान को पिछले वित्तीय वर्ष 2018-19 में पर्यावरण स्वीकृति दो बार एमओयूएफ के माध्यम से बढ़ाया गया था। पहली बार 26 मिलियन टन प्रति वर्ष से बढ़ाकर 36 मिलियन टन प्रति वर्ष की गयी थी। दूसरी बार 40 मिलियन टन प्रतिवर्ष कर दिया गया था।
इसी प्रकार सोहागपुर क्षेत्र के खैरहा भूमिगत खदान की 0.819 मिलियन टन प्रतिवर्ष की पर्यावरण स्वीकृति अगले 30 वर्षों के लिए बढ़ा दी गयी है। इन खदानों की पर्यावरण स्वीकृति होने से एसईसीएल की खनन गतिविधियों में तेजी आएगी और एसईसीएल अपने अपेक्षित उत्पादन लक्ष्य को प्राप्त करने में सफल होगा।
प्रबंधन के अनुसार पिछले 11 दिनों से एसईसीएल ने 5 लाख टन प्रतिदिन कोयला उत्पादन के आंकड़े को पार किया है। 22 जनवरी 2020 को एसईसीएल ने 5,30,814 टन कोयला उत्पादन कर नया रिकार्ड बनायाहै। एसईसीएल अपने कोयला उत्पादन लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए हरसंभव समेकित रूप से प्रयास कर रहाहै।