नई दिल्ली-सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद केस को मध्यस्थता के लिए भेज दिया है. मध्यस्थता की नियुक्ति सुप्रीम कोर्ट के माध्यम से होगी और उसकी निगरानी भी सुप्रीम कोर्ट ही करेगा. मध्यस्थता के लिए 3 लोगों का पैनल बनाया गया है और 8 हफ्ते में मध्यस्थता पूरी करनी होगी. मध्यस्थता पैनल में श्रीश्री रविशंकर भी शामिल हैं. एक हफ्ते में मध्यस्थता की प्रक्रिया फैजाबाद से शुरू करनी होगी. श्रीश्री रविशंकर ने अपनी ओर से पहले भी अयोध्या भूमि विवाद में मध्यस्थता की भूमिका निभाई थी.CGWALL.COM के WhatsApp GROUP से जुडने के लिए यहाँ क्लिक करे
रविशंकर पहले महर्षि महेश योगी के शिष्य थे. उनके पिता ने उन्हें महेश योगी को सौंप दिया था. अपनी विद्वता के कारण रविशंकर महेश योगी के प्रिय शिष्य बन गए. उन्होंने अपने नाम रविशंकर के आगे ‘श्रीश्री’ जोड़ लिया जब प्रख्यात सितार वादक रवि शंकर ने उन पर आरोप लगाया कि वे उनके नाम की कीर्ति का इस्तेमाल कर रहे हैं.
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1982 में श्रीश्री रविशंकर ने आर्ट ऑफ लिविंग फाउण्डेशन की स्थापना की थी. यह शिक्षा और मानवता के प्रचार प्रसार के लिए सशुल्क कार्य करती है. 1997 में ‘इंटरनेशनल एसोसिएशन फार ह्यूमन वैल्यू’ की स्थापना की, जिसका उद्देश्य वैश्विक स्तर पर उन मूल्यों को फैलाना है जो लोगों को आपस में जोड़ती है. श्रीश्री रवि शंकर विश्व स्तर पर एक आध्यात्मिक नेता एवं मानवतावादी धर्मगुरु के रूप में जाने जाते हैं. उनके भक्त उन्हें आदर से प्राय: “श्री श्री” के नाम से पुकारते हैं.
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श्रीश्री रविशंकर के देश में लाखों प्रशंसक हैं. कुल 151 देशों में श्री श्री की संस्था आर्ट ऑफ लिविंग की ब्रांच हैं. इसके अलावा श्री श्री की फार्मेसी और स्वास्थ्य केंद्र भी हैं. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार श्रीश्री की कुल संपत्ति 1000 करोड़ रुपये है. नवंबर 2017 में उन्होंने योगगुरु बाबा रामदेव की तरह ही ‘श्री श्री तत्वा’ ब्रांड नाम से रिटेल बाजार में उतरने की बात कही थी. उन्होंने एक मीडिया चैनल से बातचीत में ऐसे अगले दो सालों में 1000 फ्रेंचाइजी स्टोर खोलने की बात कही थी.