ना छानबीन.ना पूछताछ..मौके का मुआयना भी नहीं ..दबंग विधायक को क्लीन चिट..पुलिस पर उठने लगी उंगलियां…पढ़ें आइना दिखाता दिशा का पत्र

BHASKAR MISHRA
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महासमुन्द—-दबंग महासमुन्द विधायक पर पुलिस की विशेष कृपा से पीडित पक्ष में दहशत है। लोगों की माने तो रसूखदार विधायक के सामने पुलिस प्रशासन बेजान और लाचार नजर आ रही है। विधायक विनोद चन्द्राकार ने भी मौके का फायदा उठाकर  खुद को पाक साफ बताने प्रेस कांफ्रेंस में जमकर झूठ बोला है। अब भाजपा महासमुन्द ईकाई ने मामले को लेकर थाना और कलेक्टर कार्यालय घेराव का एलान किया है।
 
           जी हां हम बात कर रहे है 26 अक्टूबर को महासमुन्द जिला आबकारी कार्यालय में मारपीट घटनाक्रम की। मामला अब तूल पकड़ता जा रहा है। विधायक विनोद चन्द्राकर को बचाने स्थानीय पुलिस ने भी पूरी ताकत झोंक दी है। खुद को पाक साफ साबित करने विनोद चन्द्राकर ने भी प्रेस कांफ्रेन्स में जमकर झूठ का सहारा लिया है।
 
पुलिस पर उठ रही उंगलियां
 
           जिला आबकारी कार्यालय में मारपीट की घटना के बाद पुलिस की कार्यशैली को लेकर आम जनता में आक्रोश के साथ भय और दहशत का माहौल है। घटना में घायल युवक  लीलाराम ने रिफर होने से पहले पुलिस को दिए अपनी शिकायत में विधायक विनोद चन्द्राकर समेत चार लोगों पर जानलेवा हमला का आरोप लगाया। पुलिस ने लिखित शिकायत के आधार पर अपराध दर्ज तो किया। लेकिन विनोद चन्द्राकर का नाम एफआईआर से बाहर कर दिया है।
 
               विधायक चन्द्राकर ने प्रेस कांफ्रेंस में बताया कि घटना के दिन  दिशा की बैठक में था। जबकि सच्चाई और ही है। यदि कलेक्टर कार्यालय का सीसीटीवी खंगाला गया तो विधायक का झूठ सबके सामने आ जाएगा। यह जानते हुए भी कि कलेक्टर कार्यालय से जिला पंचायत की दूरी दो किलोमीटर है। मारपीट की जानकारी विधायक को बैठक में लग गयी। लेकिन आबकारी कार्यालय के अगल बगल के विभागों को घटना की भनक तक नहीं लगी। चन्द्राकर के प्रेस कांफ्रेन्स के बाद इस बात को लेकर आम जनता में जमकर चर्चा है।
 
विधायक को बचाया गया
        
          मामले में पीड़ित ने बताया कि अपनी शिकायत में विधायक का नाम भी लिखा था। लेकिन पुलिस ने आवेदन को तोड़ मोड़ कर विधायक को बचाकर सिर्फ दो लोगों के ही खिलाफ अपराध दर्ज किया है। जबकि विधायक ने भी उसके साथ मारपीट किया है। चूंकि वह गरीब और साधारण इसान है इसलिए उसकी शिकायत को जिला और पुलिस प्रशासन गंभीरता से लेने को तैयार नहीं है।
 
           लीलाराम ने बताया कि घटना के समय शासकीय काम पर था। विनोद चन्द्राकर समेत अन्य आरोपियों के खिलाफ धारा 333 का अपराध दर्ज होना चाहिए। क्योंकि विधायक समेत अन्य चार लोगों ने मिलकर मारपीट किया है।  कलेक्टर कार्यालय में हमेशा धारा 144 लागू होता है।  इसलिए पुलिस को बलवा का अपराध दर्ज करना चाहिए। 
 
                        सूत्र ने बताया कि पुलिस ने बिना जांच पड़ताल एफआईआर दर्ज किया है। जिस मोबाइल से मारपीट का वीडियो बनाया गया.. वह अब भी पीड़ित के पास ही है। पुलिस ने कमरे का मुआयना भी नहीं किया है। जबकि मौके पर आज भी खून और सिर से उखाड़े गए बाल गिरे हैं। पुलिस को कलेक्टर कार्यालय स्थित सीसीटीवी फुटेज को भी खंगालना चाहिए। लेकिन विधायक को बचाने के किसी भी प्रमाण को पुलिस ने इकठ्ठा किया ही नही ।
 
सबके लिए बराबद
 
                         पुलिस ने विधायक को बचाते जिन दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है। उनका आपराधिक गतिविधियों से गहरा नाता है। दीपक ठाकुर बिलासपुर जिले का तड़ीपार बदमाश है। महासमुन्द में रहने के दौरान दीपक ने जिले में 5 से अधिक आपाराधिक गतिविधियों को अंजाम दिया है। मामले में पुलिस तलाश का नाटक कर रही है। सवाल उठता है कि आखिर पुलिस रसूखदार विधायक को क्यों बचा रही है।यह जानते हुए भी कि कानून सबके लिए बराबर होता है।
 
विधायक जब कलेक्टोरेट में…फिर दिशा में कौन
       
           विधायक ने घटनाक्रम के बाद कई प्रकार के बयान दिए हैं। उन्होने बयान दिया था कि कलेक्टोरेट स्थित आबकारी कार्यालय में झगड़ा छुड़ाने गया था। फिर उन्होने बताया कि जिला पंचायत की बैठक में था। सच्चाई तो जांच के बाद ही पता चलेगी। लेकिन पढ़ें सच और झूठ को अलग करता विधायक के नाम प्रशासन के न ाम दिशा की बैठक में शामिल होने वाला यह पत्र ..। पत्र के अनुसार उन्हें बैठक में होना चाहिए था। लेकिन  वह वीडियों में मारपीट करते दिखाई दिए हैं।

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