कही-सुनी: छत्तीसगढ़ में ईडी छापे का कर्नाटक लिंक

Shri Mi
8 Min Read

(रवि भोई)कहते हैं कर्नाटक चुनाव के चलते छत्तीसगढ़ में पिछले हफ्ते ईडी के ताबड़तोड़ छापे पड़े। चर्चा है कि उत्तरप्रदेश, असम, हिमाचल प्रदेश, बिहार और अन्य कुछ राज्यों में चुनाव के दौरान छत्तीसगढ़ से ही कांग्रेस को ऊर्जा मिली थी। कहा जा रहा है कि कर्नाटक चुनाव में छत्तीसगढ़ से सप्लाई लाइन को काटने के लिए ईडी का इस्तेमाल हुआ। छत्तीसगढ़ में कोल और शराब कारोबार को आय का बड़ा स्रोत माना जाता है। ईडी अब तक कोल कारोबार पर ही प्रहार कर रही थी। पहली बार शराब कारोबार पर भी हथोड़ा चला दिया। आबकारी अफसर से लेकर शराब कारोबारी तक ईडी की जद में हैं। इस बार के ईडी छापे में कुछ आश्चर्यजनक नाम भी सामने आ गए। शराब कारोबार पर ईडी के नकेल से 2023 के विधानसभा चुनाव पर भी असर का अंदेशा है।

Join Our WhatsApp Group Join Now

ईडी के ट्रेप में उद्योगपति

छत्तीसगढ़ बनने के साथ ही लगातार मलाई खाने वाले एक उद्योगपति को इस बार ईडी ने दबोच लिया। जोगी, रमन से लेकर भूपेश राज में चांदी काटने वाले ये उद्योगपति एक बीमार पवार प्लांट को खरीदने के फेर में ईडी के जाल में फंस गए। कहते हैं लोहा, खनिज और पावर के साथ दूध-दही के धंधे में डंका बजाने वाले उद्योगपति को ईडी ने ऐसा घेरा है कि उनका दलदल में फंसना तय है। खबर है कि उद्योगपति दो नंबर को एक नंबर करने के खेल में लगे थे। इस खेल के कारण ही ईडी के जाल में फंस गए। अब देखते हैं उद्योगपति ईडी के फंदे से निकल पाते हैं या फिर सलाखों के पीछे जाते हैं।

जमीनी हकीकत से रुबरू होगा संघ

रायपुर में 8 और 9 अप्रैल को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ( आर एस एस ) की दो दिवसीय मैराथन बैठक प्रस्तावित है। बताया तो यह जा रहा है कि इस बैठक में संघ की गतिविधियों पर चर्चा होगी, लेकिन इस बैठक में भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) बी एल संतोष के अलावा क्षेत्रीय संगठन महामंत्री अजय जामवाल और मध्यप्रदेश तथा छत्तीसगढ़ के संगठन महामंत्री के मौजूद रहने की खबर से साफ़ है कि बैठक में 2023 के विधानसभा चुनावों पर चर्चा होगी।संघ चुनावी मुद्दों से लेकर कांग्रेस और भाजपा दोनों की स्थिति का आंकलन करेगा। बैठक के संयोजक दीपक विस्पुते बताए जाते हैं। वे छत्तीसगढ़ में भी संघ के प्रमुख पदाधिकारी रह चुके हैं। कहा जा रहा है कि 2023 का विधानसभा चुनाव तो संघ के बलबूते पर ही भाजपा लड़ेगी , क्योंकि भाजपा में गुटबाजी चरम पर है और 2018 के विधानसभा चुनाव में संघ के हाथ खींच लेने से पार्टी 15 सीटों में सिमटकर रह गई थी। खबर है कि विधानसभा चुनाव के पहले संघ जमीनी हकीकत का आंकलन कर रणनीति बना लेना चाहता है। कहा तो यह भी जा रहा है कि संघ की पसंद पर ही भाजपा अपना प्रत्याशी मैदान में उतारेगी। बैठक में राज्य में आरक्षण के मुद्दे पर भी बात होने की संभावना है।

मोहन मरकाम के पक्ष में सैलजा

वैसे प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम का कार्यकाल पूरा हो चुका है, लेकिन पद पर बने हुए हैं। कहते हैं मुख्यमंत्री भूपेश बघेल प्रदेश अध्यक्ष के पद पर मोहन मरकाम की जगह किसी दूसरे को चाहते हैं, परंतु छत्तीसगढ़ प्रभारी सुश्री सैलजा चुनाव के छह महीने पहले अध्यक्ष को बदले जाने के पक्ष में नहीं हैं। कहते हैं कि सैलजा ने पिछले हफ्ते अपनी छत्तीसगढ़ यात्रा के दौरान अध्यक्ष के मुद्दे पर राज्य के कुछ नेताओं से चर्चा भी की। खबर है कि इन नेताओं ने मोहन मरकाम को फिलहाल पद पर बनाए रखने का सुझाव दिया।

नेताओं को अमित शाह की फटकार

कहते हैं केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पिछले हफ्ते अपने बस्तर दौरे के वक्त बस्तर संभाग के कुछ भाजपा पदाधिकारियों को फटकार लगाईं और गुटबाजी बंद करने की नसीहत दी। कहते हैं ये पदाधिकारी एक-दूसरे की शिकायत करने के लिए अमित शाह के पास पहुंचे थे। इस घटना के बाद लोग कयास लगाने लगे हैं कि जल्द ही अमित शाह प्रदेश स्तर के नेताओं को गुटबाजी खत्म कर एकजुट होकर चलने की नसीहत देने वाले है। खबर है कि सत्ता से बाहर होने के बाद भी भाजपा नेताओं में आपसी कलह चरम पर है।

वित्त सचिव दो माह के अवकाश पर

राज्य की वित्त सचिव अलरमेलमंगई डी. अस्वस्थता के कारण दो महीने के अवकाश पर चली गई हैं, उनके स्थान पर अभी लिंक अफसर अंकित आनंद वित्त विभाग का काम संभाल रहे हैं। अंकित आनंद ऊर्जा सचिव के साथ छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत मंडल के अध्यक्ष भी हैं। कहा जा रहा है कि दो महीने के लिए किसी अधिकारी को वित्त सचिव नहीं बनाया जाएगा। लिंक अफसर के तौर पर अंकित आनंद ही वित्त सचिव का प्रभार देखते रहेंगे। अलरमेलमंगई के 13 मार्च से अवकाश पर जाने के बाद राज्य का बजट विधानसभा में पारित कराने और दूसरे काम अंकित आनंद के जिम्मे ही रहा। चर्चा है कि राज्य में वैसे ही अफसरों की कमी है और प्रतिनियुक्ति में गए अफसर वापस लौटने की जगह छुट्टी बढ़ा रहे हैं। दूसरी तरफ ईडी के छापे के चलते भी अफसरों के कदम ठिठकने लगे हैं।

संजय शुक्ला के बाद पीसीसीएफ कौन ?

चर्चा है कि राज्य के प्रधान मुख्य वन संरक्षक संजय शुक्ला अप्रैल के आखिरी में या मई में रेरा के अध्यक्ष के रुप में कार्यभार ग्रहण कर लेंगे। संजय शुक्ला के बाद वन विभाग का मुखिया कौन होगा, अभी यह तय नहीं है। वैसे वरिष्ठता क्रम में सुधीर अग्रवाल और आशीष भट्ट का नाम है। सुधीर अग्रवाल वर्तमान में पीसीसीएफ वन्य प्राणी हैं। कुछ अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक स्तर के अफसरों का प्रमोशन होना है। इसके लिए विभागीय पदोन्नति समिति की बैठक होनी है। डीपीसी कब होगी, निश्चित नहीं है। कहा जा रहा है डीपीसी के बाद स्थिति साफ़ होगी।

कौन होगा ईओडब्ल्यू चीफ

ईओडब्ल्यू के मुखिया के पद से डीएम अवस्थी 31 मार्च को रिटायर हो गए। सरकार ने ईओडब्ल्यू के मुखिया के पद पर अभी किसी की नियुक्ति नहीं की है। ईओडब्ल्यू के मुखिया का पद महत्वपूर्ण है। कहते हैं वर्तमान परिस्थिति में कोई अधिकारी यहां जाने में खास दिलचस्पी नहीं दिखा रहा है। अब सरकार यहां किसी वरिष्ठ अधिकारी की पदस्थापना करती है या कनिष्ठ स्तर के अधिकारी से काम चलाती है। इस पर लोग कयास लगा रहे हैं। संभावना है कि एक-दो दिन में यहां किसी की पोस्टिंग हो जाएगी। सरकार ने संविदा नियुक्ति के लिए पुलिस मुख्यालय में ओएसडी का एक पद सृजित किया है। इस पद पर नियुक्ति की प्रक्रिया चलने की खबर है। संभावना व्यक्त की जा रही है कि डीएम अवस्थी को नियुक्ति दी जा सकती है।(लेखक स्वतंत्र पत्रकार और पत्रिका समवेत सृजन के प्रबंध संपादक हैं। )

By Shri Mi
Follow:
पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
close