बिलासपुर—मे़डिकल साइंस में दमा और टीबी से कहीं ज्यादा खतरनाक रोग सीओपीडी को माना जाता है। श्वास रोग विशेषज्ञ दीपक गुप्ता ने बताया कि यदि सीपीओडी का सही समय पर इलाज ना हो तो बचने की संभावना भी कम होती है। पिछले छःसात सालों में बिलासपुर की आबोहवा काफी प्रदूषित हैं। धूल धुएं की मात्रा हवा में बढ़ गयी है। जिसके कारण सीओपीड़ी जैसी खतरनाक बीमारी बिलासपुर में आम होती जा रही है। जानकारी के अभाव में सामान्य लोग इसे टीबी समझते हैं। यह रोग हार्ट के पल्मोनरी को सीधे प्रभावित करता है।
आज प्रेस वार्ता में श्वास रोग विशेषज्ञ दीपक गुप्ता ने बताया कि सीओपीडी गंभीर किस्म की बीमारी है। धुआं धूल से इसका नाता है। पिछले छःसाल सालों में बिलासपुर में सर्वाधिक वायु प्रदूषण हुआ है। यही कारण हैं कि शहर को सीओपीड़ी बीमारी का खतरा भी बढ़ गया है।गुप्ता ने बताया कि जानकारी के अभाव में लोग इस बीमारी को दमा और टीबी रोग के रूप में लेते हैं। जबकि यह रोग इन बीमारियों से कहीं ज्यादा घातक है।
गुप्ता के अनुसार यह रोग भी सीधे श्वास से ही जुड़ा है। बहुत कुछ टीबी जैसे ही लक्षण होते हैं। लेकिन क्रॉनिक अास्टेटिव पल्मोनरी डिसीज टीबी से कहीं ज्यादा खतरनाक है। धूम्रपान करने वाले लोग इसका ज्यादा ही शिकार होते हैं। धूल में ज्यादा समय रहने को सीओपीडी का खतरा रहता है। बिलासपुर में सीओपीड़ी के कई मरीज पाए गए हैं।
डॉ.गुप्ता ने बताया कि मोटर सायकल, चूल्हे और चिमनियों से निकलने वाला धुआं से भी सीओपीडी का खतरा रहता है। औद्योगिक क्षेत्रों में इसके काफी मरीज पाए भी गए हैं। नेशनल हेल्थ एण्ड न्यूट्रीशन एक्जामिनेशन सर्वे के अनुसार वाहनो और परिवहन संबंधी व्यवसायो, मशीन आपरेटर्स, कंस्ट्रक्शन, ट्रेडर्स, फ्रेट, स्टॉक और मटेरियल से सीधे जुड़े लोगों और क्षेत्रों में सीओपीडी की शिकायत सर्वाधिक पायी जाती है।