संविलियन के खिलाफ पार्षद

BHASKAR MISHRA
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IMG-20150703-WA0005बिलासपुर—युक्तियुक्तिकरण से प्रभावित पेन्ड्रा से तीन अलग अलग स्कूलों के रसाइयां, सफाई कर्मचारी और स्वसहायता समूह के लोगों ने आज जिला शिक्षाअधिकारी से शिकायत की। शिकायत करने पहुंचे लोगों ने जिला शिक्षा अधिकारी से बताया कि शासन के निर्देशानुसार सिर्फ प्राथमिक शाला पंचवटी पारा का ही सरकारी पारा स्कूल में मर्ज किया जाना था। लेकिन प्राथमिक शाला तेंदूपारा और प्राथमिक शाला पुरानी बस्ती पेन्ड्रा को भी सरकारी पारा स्कूल में मर्ज किया जा रहा है। जिसके चलते उन्हें अब रोजी रोटी की चिंता सताने लगी है।

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                 जिला कार्यालय से सौ किलोमीटर दूर पेन्ड्रा के तीन अलग-अलग स्कूलों के रसोइयां,सफाई कर्मचारी और स्व-सहायता के लोग नगर पंचायत पार्षद शकुंतला रजक के साथ आज अपनी नाराजगी जताने जिला शिक्षा अधिकारी हेमंत उपाध्याय से मिलने बिलासपुर पहुंचे। कर्मचारियों ने बताया कि हम कई साल से मर्ज किये जाने वाले स्कूल में काम कर रहे हैं। संविलियन के बाद उनके सामने रोजी रोटी की चिंता सताने लगी है।

               अपनी लिखित शिकायत में मध्यान्ह भोजन बनाने वाले स्व-सहायता समूह के लोगों ने बताया कि शासन के निर्देशानुसार जिस स्कूल में बच्चों की दर्ज संख्या 25 या इससे अधिक है वहां भोजन बनाने का जिम्मा नियमानुसार पंजीकृत स्व-सहायता को है। पंचवटी पारा,तेन्दूपारा और पुरानी बस्ती स्कूल में छात्रों की संख्या 50 से अधिक है। बावजूद इसके तीनों स्कूलों को सरकारी पारा में मर्ज किया जा रहा है। जो नियमानुसार गलत है।

                   नगर पंचायत पेन्ड्रा पार्षद शकुंतला रजक ने बताया कि शासन ने सिर्फ पंचवटी पारा के स्कूल को ही सरकारी पारा स्कूल में संविलियन करने का आदेश दिया है। बावजूद इसके तेन्दूपारा और पुरानी बस्ती के प्राथमिक पाठशालाओं को भी युक्तियुक्तकरण के बहाने सरकारीपारा में मर्ज किया जा रहा है। यहां काम करने वाले गरीब कर्मचारियों के साथ सरासर अन्याय है। शकुंतला ने बताया कि संविलियन होने के बाद तीनों स्कूलों में काम करने वाले रसोइयों, सफाई कर्मचारियों और स्व-सहायता समूह के लोग अब परेशान हैं। आखिर इन कर्मचारियों को सरकार नौकरी देगी भी या नहीं। आदेश में इसका कहीं कोई जिक्र नहीं है।

                               पेन्ड्रा से जिला शिक्षा अधिकारी से शिकायत करने पहुंचे सभी कर्मचारियों ने गुहार लगाते हुए कहा कि हमें संविलियन से कोई एतराज नहीं है। लेकिन हमारे बाल बच्चों के लिए भी शासन कोई ठोस कदम उठाए। यदि शासन ने उनकी मांगों को अनसुना किया तो वे सामूहिक रूप से अपनी जान देने से भी परहेज नहीं करेंगे।

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