बिलासपुर—शिक्षक मोर्चा संचालक संजय शर्मा ने शासन से प्रश्न किया है कि जब शिक्षको के लिए बायोमेट्रिक अनिवार्य है…फिर अधिकारियों के लिए क्यों नहीं…..? शिक्षाकर्मी नेता ने कहा कि बायोमेट्रिक अटेंडेंस का स्वागत है। लेकिन शिक्षा विभाग की दोहरी नीति का हम विरोध करते हैं। संजय शर्मा ने छत्तीसगढ़ शासन पर भेदभाव का भी आरोप लगाया है।संजय शर्मा ने शिक्षाकर्मियों के लिए बायोमेट्रिक मशीन लाने का स्वागत किया है। इसके साथ शिक्षक मोर्चा नेता ने छत्तीसगढ़ पर भेदभाव का भी आरोप लगाया है। संजय ने कहा कि छत्तीसगढ़ शासन प्रदेश के शासकीय स्कूलो में जनवरी से बायोमेट्रिक लगाए जाने का फरमान जारी किया है। यह पहली बार नहीं है कि शिक्षाकर्मियों को यह सब परेशान करने के लिए किया जा रहा है। इसके पहले भी शिक्षक संवर्ग को गुणवत्ता के नाम पर नए-नए फरमान जारी कर परेशान किया जा चुका है। अब बायोमेट्रिक के नाम पर शिक्षाकर्मियों पर दबाव बनाने का प्रयास किया जा रहा है।
संजय ने कहा कि शिक्षा व्यवस्था की हालत बहुत ही खराब है। व्यवस्था को दुरुस्त करने की वजाय शिक्षाकर्मियों को परेशान करने के लिए रोज नए प्रयोग किए जा रहे हैं। जबकि स्कूलों में मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। उस तरफ ध्यान दिए जाने की वजाय शिक्षकों को मानसिक रूप से परेशान करने के लिए नए-नए फरमान किए जा रहे हैं।संजय के अनुसार शिक्षाकर्मियों को मानसिक रूप से परेशान किए जाने का सरकार कोई मौका नहीं छोड़ रही है। एक तरफ स्कूलों में पदस्थ शिक्षकों को प्रतिदिन उपस्थिति देने के लिए बायोमेट्रिक अटेंडेंस लगाने का फरमान हुआ है। दूसरी तरफ उन्हे हाई और हायर सेकेंडरी स्कूलों में पदस्थ लिपिक , भृत्य और शिक्षा विभाग के अन्य कार्यालय के कर्मचारियों को सिस्टम से अलग रखा गया है..? ऐसा कर शिक्षाकर्मियों के मनोबल को तोड़ा जा रहा है। प्रश्न उठता है कि क्या कार्यालयों के स्टाफ को समय पर उपस्थित होना अनिवार्य नहीं है।
संजय ने कहा कि शिक्षा विभाग की दोहरी नीति सबके सामने है। जिसका हम विरोध करते हैं। बायोमेट्रिक सिस्टम छत्तीसगढ़ शासन के शिक्षा विभाग के स्कूल,,बीईओ, डीईओ कार्यालय में भी लगाया जाए। क्योकि एक शिक्षक छुट्टी लेकर अपने उच्च कार्यालय में पहुँचता है…तो पता चलता है कि साहब, लिपिक और अधिकारी बिना सूचना के गायब हैं। इसलिए बायोमेट्रिक अटेंडेंस के साथ विजिटर्स पंजी सार्वजनिक रूप से उपलब्ध होना चाहिए। ऐसा करने से प्रशासनिक कसावट भी होगी।
शिक्षक पंचायत सवर्ग स्थानीय स्तर की समस्याओ और अधिकार के लिए लगातार सघर्ष कर रहा है। शिक्षक पंचायत सवर्ग दूरस्थ वनाचल में निष्ठा और ईमानदारी से कर्तब्यो का निर्वहन भी कर रहा है। यह जानते हुए भी उसे दो से तीन महीने बाद ही वेतन मिलेगा। लेकिन सरकार को इसकी परवाह नहीं है। शिक्षकों की समस्याओं को हल करने के लिए समय नहीं है। अच्छा होता कि अधिकारी और क्लर्क के लिए भी बायोमेट्रिक अनिवार्य कर दिया जाए। इससे प्रशसानिक कसावट होगी। मैं नहीं समझता कि शिक्षा विभाग को बायोमेट्रिक पर अटेंडेंस देने से एतराज होगा।