पुलिस कप्तान ने सवाल का जवाब देेेेते हुए कहा कि यह सच है कि थाने का माहौल तनावपूर्ण होता है। तमाम प्रकार की घटनाओं का पुलिस जवानों और अधिकारियों का सामना करना पड़ता है। इस बीच महिलाओं को भारी परेशानी का सामना भी करना पड़ता है। महिलाओं की अपनी अलग समस्याएं और जरूरतें होती है। उन पर ध्यान दिया जाना जरूरी है। रोजमर्रा की जीवनशैली में इस तरफ किसी शायद ध्यान नहीं गया। इस बात का सामना मुझे बस्तर क्षेत्र के पकनार थाने में हुआ। एक 6-7 साल की रेप पीडिता लडकी मेडिकल उपचार के इन्तजार में पुलिस कार्रवाई के दौरान दो तीन घंटे तक बाहर गुमसुम और पीड़ा में कराहती बैठी थी। पीड़ा को कोई साझा करने वाला भी नहीं था। उसकी परेशानियां अलग थी। उस दौरान मुझे जो देखने को मिला..अन्दर तक हिल गया। इसी दौरान मैने निश्चित किया कि थानों में ऐसी कुछ व्यवस्था हो जहां महिलाओं की परेशानियों को काफी हद तक दूर करने का प्रयास किया जाए।
पुलिस कप्तान ने बताया कि बिलासपुर आने के बाद सपने को मूर्त रूप देने का मौका मिला। उन्होने बताया कि जब भी कोई परेशान महिला चाहे वह रेप पीड़ित हो या मारपीट समेत अन्य किसी प्रकार की हिंसक घटनाओं की शिकार हो। उसे थाना आने के बाद कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इन्ही परेशानियों को देखते हुए जिले के सभी थानों में संवेदना केन्द्र बनाने का फैसला किया। सीनियर अधिकारियों और पुलिस प्रशासन के साथ शासन स्तर पर प्रोत्साहन मिला। थानों में संवेदना केन्द्रों को स्थापित करना शुरू किया गया।
आरिफ हुसैन शेख ने बताया कि थानों में पीड़ित महिलाओं को जांच पड़ताल और पूछताछ के दौरान अन्य कई प्रकार की परेशानियां आती है। थाना का वातावरण उनके अनुकूल नहीं रहता । सैक्सुअल वायलेंस पीड़ित महिलाओं की समस्या कुछ कुछ ज्यादा होती है। संवेदना केन्द्र में पुलिस प्रशासन के सहयोग से प्रयास किया गया कि महिलाओं को थानों में ना केवल अच्छा वातावरण मिले..बल्कि कानूनी मदद के अलावा मेडिकल उपचार की भी सुविधा हो। अन्य निजी समस्याओं को भी हल करने का प्रयास किया जाए। जैसा की प्रत्येक महिलाओं के जीवन में इस प्रकार की सामान्य आम है। लेकिन महिलाएं संंकोच में सब कुछ चुप रहकर सहती हैं। जबकि ऐसा होना नहीं चाहिए।
पुलिस कप्तान ने बताया कि थाना पहुंचने वाली महिलाओं को संवेदाना केन्द्र में रखा जाता है। इससे महिला पीड़ितों को सामान्य होने के साथ अन्य प्रकार की परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ता है। विभाग और शासन के सहयोग से संवेदना केन्द्र के जरिए महिलाओं को हैल्दी वातावरण देने का प्रयास किया गया है। भारत में इस प्रकार का पहला प्रयोग है। इन्ही बातों को ध्यान में रखकर बिलासपुर पुलिस को फिक्की ने राष्ट्रीय स्तर का बेस्ट पुलिसिंग अवार्ड दिया है।
रेप पीड़िता का पुनर्वास
पुलिस कप्तान ने बताया कि अब अगले चरण में प्रयास किया जाएगा कि रेप पीडिता को पुनर्वास अभियान जोड़ा जाए। पुलिस प्रशासन ने इस दिशा में काम भी करना शुरू कर दिया है। नाम खंगाले जा रहे हैं। उनकी सामाजिक स्थिति का पता लगाया जाएगा। उनका पुनर्वास किया जाएगा।
जिला बदर की कार्रवाई
आरिफ एच.शेख ने बताया कि चुनाव के पहले तक कुछ आदतन अपराधियों के खिलाफ जिला बदर की कार्रवाई का निर्देश प्रशासन से है। निर्देश के बाद अभी तक जिले के विभिन्न थानों से जिला बदर के लिए 25 अपराधियों के नाम को फायनल किया गया है। सूची कलेक्टर को भी भेज दिया गया है। जिला बदर की प्रक्रिया शुरू भी हो गयी है। अपराधियों के बयान लिया जा रहा है। पेशियां शुरू हो चुकी हैं। सारी प्रक्रिया पूरी होने के बाद जिला बदर की कार्रवाई होगी। चुनाव के पहले तक सारी कार्रवाई पूरी कर ली जाएगी।