भोपाल।मध्यप्रदेश के शिक्षा कर्मियों के संविलयन के फैसले पर पहले मुहर लगी है। लेकिन वहां के अध्यापक इस फैसले से संतुष्ट नहीं हैं। उनका मानना है कि मुख्यमंत्री की ओर से सावजनिक मंच पर की गई घोषणा से कुछ अलग कैबिनेट में प्रस्ताव पारित किया गया है। जिससे अध्यापकों को उम्मीद के हिसाब से लाभ नहीं मिल पा रहा है। इसे देखते हुए मध्यप्रदेश के अध्यापक 24 जून से फिर अपना आँदोलन शुरू कर रहे हैं। वे इस दिन विधानसभा का घेराव करेंगे और आमरण अनशन भी शुरू किया जा रहा है ।
अध्यापक संघर्ष के नेता रमेश पाटिल ने यह जानकारी देते हुए बताया कि मध्यप्रदेश का अध्यापक महसूस कर रहा है कि मध्यप्रदेश सरकार के मुखिया ने धोखा दिया है।अध्यापकों को जो आश्वासन उन्होंने सार्वजनिक मंच से दिये थे उसके उलट नया विभाग, नया कैडर, नये तरीके से नियुक्त दी जा रही है।सेवा की निरन्तरता नियुक्ति दिनांक से मान्य नही की जा रही है।पुरानी पेंशन से वंचित कर दिया गया है।ग्रेच्युटी का ठिकाना नहीं है।सेवाशर्तो एवं वेतनमान का रहस्य अभी भी बना हुआ है।जिससे समस्त अध्यापक बेहद नाराज है।
अध्यापको का मानना है कि मंत्रिमंडल के निर्णय मे अधिकारी वर्ग बदलाव करने में सक्षम नही है।इसलिये जो भी आदेश आयेगा विसंगति से भरा होगा।यदि वास्तव मे अध्यापको को अधिकार संपन्न बनाना है तो मंत्रिमंडल के फैसले में व्यापक सुधार करना चाहिए।1994 के अनुसार शिक्षा विभाग, 2013 से छटवा वेतनमान,जनवरी 2016 से सातवा वेतनमान मय एरिअर्स देना चाहिए।शिक्षाकर्मी , संविदा शाला शिक्षक एवं गुरूजी नियुक्ति दिनांक से सेवा की निरन्तरता मान्य की जानी चाहिए।तो ही अध्यापको को संतुष्ट किया जा सकता है।जो लग नही रहा है।इसलिए मध्यप्रदेश का अध्यापक एकजुट होकर 24 जून से आन्दोलन का आगाज करने जा रहा है।
24 जून को विधान सभा घेराव व 25 जून से आमरण अनशन किया जाना सुनिश्चित है।आवश्यकता पडने पर आन्दोलन का विस्तार किया जायेगा और आन्दोलन को विकासखंड स्तरीय अनिश्चितकालीन धरना आन्दोलन का रूप दिया जायेगा।उन्होने कहा कि अध्यापक संवर्ग अपनी मांगों के लक्ष्य तक पहुंचे इसके लिए हमारे पास समय बहुत कम है। चुनावी आचार संहिता लगते ही हम अपनी मांगों से बहुत दूर हो जाएगे। इसलिए बचे हुए समय का सदुपयोग करना जरूरी है।
“अध्यापक आंदोलन मध्यप्रदेश” के बैनर पर 24 जून को विधानसभा का घेराव किया जाना है एवं 25 जून को हमारी मांगों के समर्थन में जगदीश यादव, शिवराज वर्मा एवं सैकड़ों जांबाज़ साथी आमरण अनशन पर बैठने वाले हैं। उन जाबांज साथियो का उत्साहवर्धन करना निहायत जरूरी है। “अध्यापक आंदोलन मध्यप्रदेश” के बैनर पर आंदोलन करने की सहमति है एक दो संघों को छोड़कर लगभग सभी संगठनों ने दे दी है। हमारे लिए जरूरी है कि हम संघर्ष के लिए मौजूद सीमित समय में संघ-समिति की सीमाओं में ना उलझें।
उन्होने प्रत्येक अध्यापक बंधु-बहनों से विनम्र निवेदन किया है कि 24 एवं 25 जून को भोपाल आंदोलन में सहभागी होने हेतु एक दूसरे को उत्साहित करें। हो सके तो सक्रिय साथी अपने-अपने संकुल स्तर पर बैठकों का आयोजन कर अध्यापक बंधु-बहनों का भोपाल आंदोलन में सहभागी होने हेतु उत्साहवर्धन करें। उचित अवसर और समय पर बरती गई सक्रियता हमें अपने लक्ष्य तक ले जाएगी । लेकिन यदि हमने उदासीनता बरती तो हो सकता है पूरा जीवन हमारा संघर्ष में ही कट जाए। उन्होने उम्मीद जताई है कि सभी अध्यापक अपने अधिकारों को प्राप्त करने के लिए अवश्य ही सशरीर 24 एवं 25 जून को भोपाल आंदोलन में अपनी उपस्थिति दर्ज कराएंगे।
मध्यप्रदेश के अध्यापक नेता हीरा नंद नरवरिया ने बताया कि मध्यप्रदेश में अध्यापकों का संविलियन होने के बाद भी अध्यापक खुश नहीं है । मध्यप्रदेश के अध्यापक 24 तारीख को मध्यप्रदेश विधानसभा का घेराव करेंगे और मांगे नहीं मानी गई तो 25 तारीख से आमरण अनशन शुरू होगा । अध्यापक संघर्ष समिति के नेता हीरानंद नरवरिया ने बताया की सरकार ने पहले घोषणा की उसके बाद संविलियन का लॉलीपॉप हमें थमा दिया । संक्षेपिका में जो नियम शर्ते जी रही है उससे मध्यप्रदेश के अध्यापक अध्यापकों का भला नहीं होने वाला है।
उन्होंने ने बताया कि मंत्रिमंडल के निर्णय को बदलने की क्षमता अधिकारी वर्ग में नहीं है। इसलिए जब भी आदेश होगा मंत्रिमंडल के निर्णय अनुसार ही आदेश होगा।थोडा बहुत आंशिक सुधार हो सकता है जो हमारे लिए नाकाफी होगा।
मंत्रिमंडल के निर्णय में व्यापक सुधार केवल और केवल मंत्रिमंडल ही कर सकता है। यह संवैधानिक व्यवस्था है।
उन्होने कहा कि सरकार तक मध्यप्रदेश का अध्यापक यह बात पहुंचाने में सफल रहा है कि मध्यप्रदेश में 29 मई को लिया गया निर्णय अध्यापकों की मंशा अनुसार नहीं था। जिसे मध्यप्रदेश का अध्यापक अस्वीकार करता हैं। मुख्यमंत्री अध्यापकों की मांगों अनुसार इस निर्णय में सुधार कर सके।
इसलिए हमें बचे हुए अल्प समय में अपने हितो की पूर्ति के लिए जिद और जुनून दिखाना होगा। आपस में लड़ने के लिए तो सारी उम्र पड़ी है । लेकिन भविष्य और बुढ़ापा सम्मान पूर्वक बिताने के लिए केवल दो-तीन माह का समय ही हमारे पास बचा है।जिसे हम संघर्ष मे अर्पित कर दे।