नईदिल्ली।सीबीआई में चल रहा बवाल और बढ़ गया है. सरकार ने सीबीआई चीफ आलोक वर्मा और स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना को छुट्टी पर भेज दिया है, जिसके बाद एजेंसी में बुधवार को तबादलों की झड़ी लग गई. राकेश अस्थाना घूसखोरी मामले की जांच कर रहे अफसरों का तबादला कर दिया गया है. सीबीआई के डिप्टी एसपी एके बस्सी का तुरंत प्रभाव से पोर्ट ब्लेयर ट्रांसफर किया गया है. वहीं एडिश्नल एसपी एसएस गम को जबलपुर भेजा गया है. सीबीआई के डीआईजी मनीष कुमार सिन्हा, डीआईजी तरुण गौबा, डीआईजी जसबीर सिंह, डीआईजी अशीष प्रसाद, डीआईजी केआर चौरसिया, HOB रामगोपाल और एसपी सतीश डगर का भी तबादला/नियुक्ति की गई है. अब डीआईडी तरुण गौबा, एसपी सतीश डगर और जॉइंट डायरेक्टर वी मुरुगेसन की नई टीम राकेश अस्थाना मामले की जांच करेगी.
नरेंद्र मोदी सरकार ने आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना से सारी शक्तियां छीन ली हैं और जॉइंट डायरेक्टर एम नागेश्वर राव को अंतरिम सीबीआई डायरेक्टर बनाया है. सीबीआई के चीफ और नंबर 2 के बीच चल रही लड़ाई को देखते हुए सरकार ने यह कदम उठाया है. राकेश अस्थाना पर आरोप है कि उन्होंने मीट कारोबारी मोइन कुरैशी मामले में घूस ली है, जिसके बाद सीबीआई ने उन पर एफआईआर दर्ज की थी. सीबीआई के इतिहास में पहली बार एेसा हुआ था कि एजेंसी ने अपने ही नंबर 2 अफसर पर एफआईआर दर्ज की.
सीबीआई के संयुक्त निदेशक अरुन कुमार शर्मा, ए. साई मनोहर, वी मुरुगेसन और डीआईजी अमित कुमार, डीआईजी मनीष कुमार सिन्हा, डीआईजी तरुन गौबा, डीआईजी जसबीर सिंह, डीआईजी अनीष प्रसाद, डीआईजी केआरचौरसिया, एओबी राम गोपाल और एसपी सतीश डागर का तबादला कर दिया गया.
वहीं आलोक वर्मा की जगह पर सीबीआई के संयुक्त निदेशक एम. नागेश्वर राव को अंतरिम निदेशक नियुक्त किया गया है. केंद्र सरकार ने बीते मंगलवार को देर रात इसकी घोषणा की.
मालूम हो कि हवाला और मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में मीट कारोबारी मोईन क़ुरैशी को क्लीनचिट देने में कथित तौर पर घूस लेने के आरोप में सीबीआई ने बीते दिनों अपने ही विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज कराई है और सीबीआई ने अपने ही दफ़्तर में छापा मारकर अपने ही डीएसपी देवेंद्र कुमार को गिरफ्तार किया है.
डीएसपी देवेंद्र कुमार को सात दिन की हिरासत में भेज दिया गया हैं. देवेंद्र ने अपनी गिरफ़्तारी को हाईकोर्ट में चुनौती दी है.
दूसरी ओर दिल्ली हाईकोर्ट ने 29 अक्टूबर तक राकेश अस्थाना के ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई नहीं करने का आदेश दिया. 29 अक्टूबर को मामले की सुनवाई होगी जहां पर सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा को अस्थाना के ख़िलाफ़ लगे आरोपों का जवाब देना होगा.
अस्थाना पर आरोप है कि उन्होंने मीट कारोबारी मोईन कुरैशी भ्रष्टाचार मामले में हैदराबाद के एक व्यापारी से दो बिचौलियों के ज़रिये पांच करोड़ रुपये की रिश्वत मांगी. सीबीआई का आरोप है कि लगभग तीन करोड़ रुपये पहले ही बिचौलिये के ज़रिये अस्थाना को दिए जा चुके हैं.
कहा जा रहा है कि सीबीआई के दोनों वरिष्ठतम अधिकारियों के बीचे मचे इस घमासान से जांच एजेंसी की विश्वसनीयता पर उठे सवालों के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आदेश पर यह कार्रवाई की गई है.