ACB का छापा…7 दिन में प्रमोशन…फिर मनचाहा स्थानांतरण…कर्मचारियों में आक्रोश…अब कलेक्टर तक पहुंची शिकायत

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर— विरला ही होगा जिसके खिलाफ छापामार कार्रवाई हो…अनुपातहीन और अकूत सम्पत्ति पाया जाए।  एक सप्ताह के अन्दर प्रमोशन भी हो जाए।  जांच प्रक्रिया अभी जारी हो..एक साल के अन्दर…स्थानांतरण वहीं हो जाए…जहां रहते हुए उसने काली कमाई का एम्पायर खड़ा किया…। यह कथा नहीं..सच्चाई  है…क्योंकि अब वह उसी कार्यालय में आना चाहता है जहां रहते हुए उसने काला को सफेद और सफेद काला किया है।सीजीवालडॉटकॉम के व्हाट्सएप्प ग्रुप से जुड़ने यहाँ क्लिक करे

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                         मजेदार बात है कि वह सफल भी हो गया है। शासन ने एक मात्र आदेश जारी कर दिनेश दुबे को आबकारी उड़नदस्ता से स्थानान्तरित कर सहायक आयुक्त कार्यालय भेज दिया है। यह जानते हुए भी कि विभाग के 73 कर्मचारियों ने एक मत होकर दिनेश दुबे के खिलाफ मंत्रालय में शिकायत की। अपनी शिकायत में कर्मचारियों ने बताया कि दिनेस को सहायक आयुक्त कार्यालय में नहीं भेजा जाए। फिलहाल मामले में एक शिकायत कलेक्टर को मिली है। शिकायत में कहा गया है कि दिनेश दुबे को जिला आबकारी कार्यालय में पोस्टिंग नहीं दी जाए।

विरोध में कलेक्टर तक पहुंची शिकायत

                       जिला कलेक्टर से मिलकर कुछ लोगों ने दिनेश दुबे के खिलाफ शिकायत की है। लिखित शिकायत में बताया गया है कि आबकारी बाबू दिनेश दुबे पर भ्रष्टाचार की शिकायत है। उसका स्थानांतरण उसी स्थान पर किया गया है जहां उसने अपनी काली कमाई को अंजाम दिया है। इसलिए इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि दिनेश दुबे अपने खिलाफ चल रहे जांच को प्रभावित नहीं करेगा।

छापा,प्रमोशन और स्थानांतरण

                          शिकायतकर्ता ने लिखित में कलेक्टर को बताया कि दिनेश दुबे के खिलाफ एसीबी ने 13 अप्रैल 2018 में छापामार कार्रवाई की थी। आरोप है कि उसने शराब निर्माताओं से सांठ गांठ कर अनुपातहीन 6 करोड़ रूपए से अधिक सम्पत्ति अर्जित किया। जांच प्रक्रिया अभी भी जारी है। छापामार कार्रवाई के सात दिन बाद दिनेश दुबे को सहायक ग्रेड 3 से सहायक ग्रेड 2 का प्रमोशन देकर जांजगीर चांपा आबकारी विभाग भेजा गया। एक साल के अन्दर उसने जोड़तोड़ कर अपना स्थानांतरण उपायुक्त कार्यालय उड़नदस्ता में कराया। इसके बाद हाथ पैर मारकर दो दिन उसने पोस्टिंग जिला आबकारी विभाग में करवा लिया। जबकि इसके पहले शासन को लिखित शिकायत कर जिला आबकारी कार्यालय के कर्मचारियों ने सचिवालय को अपनी शिकायत में बताया था कि दिनेश दुबे के आने से कार्यालय का माहौल गंदा होगा। इसलिए उसका स्थानांतरण जिला आबकारी कार्यालय में ना करते हुए कहीं अन्यत्र किया जाए। बावजूद इसके दिनेश दुबे को वहीं भेजा गया जहां से उसने काली कमाई का सम्राज्य खड़ा किया था।

शराब माफियों से रिश्ता

                         शिकायत कर्ता ने कलेक्टर को बताया कि दिनेश दुबे जिला कार्यालय बिलासपुर में सहायक ग्रेड 3 के पद पर रहते हुए शराब निर्माताओं से आर्थिक संबध बनाया। रिश्ता आज भी कायम है। छापामार कार्रवाई से पहले दिनेश पर प्रत्येक ब्रांड के बोतल पर पचास रूपए रिश्वत लेने का आरोप है।  उसने चखना दुकानों से लगभग एक लाख चालिस हजार रूपए प्रतिदिन के हिसाब से वसूली किया। 8 साल की सेवा में वेतन बैंक से नहीं निकाला। एसीबी की छामापार कार्रवाई में खुलासा हुआ कि उसने प्रति महीने 60 हजार रूपए कलेक्टोरेट एसबीआई शाखा में जमा किए हैं।

               शिकायत कर्ता ने कलेक्टर को जानकारी दी कि दुबे के खिलाफ सभी गवाह वर्तमान में जिला आबकारी विभाग में कार्यरत हैं। ऐसे में जिला आबकारी विभाग में उसका स्थानांतरण एसीबी जांच को प्रभावित कर सकता है।

                        कलेक्टर को शिकायत में बताया गया कि भ्रष्टाचार का आरोपी 2 जून 2019 के पहले से धमकी दे रहा है कि जो भी उसके खिलाफ गवाही देगा … चैन से नहीं रहने देगा। गवाही देने वालों को झूठे प्रकरण में फंसाकर जेल भेजवा दूंंगा।

                   शिकायत में यह भी बताया गया है कि भ्रष्टाचारी बाबू का जिला आबकारी कार्यालय के पूर्व अधिकारी से घनिष्ट सम्पर्क है। अधिकारी की पत्नी इस समय विधायक है। अधिकारी की विधायक पत्नी की सिफारिश पर ही दिनेश दुबे का स्थानांतरण सहायक आबकारी आयुक्त कार्यालय में हुई है। जबकि उसके खिलाफ कर्मचारियों में पहले से ही भारी आक्रोश है। उसके आने से कार्यालय का ना केवल माहौल बिगड़ेगा। बल्कि एसीबी की जांच भी प्रभावित होगी। चुंकि वह गवाहों को लगातार जेल भेजने की धमकी देता है। इसलिए सभी कर्मचारी भारी दबाव में हैं। जाहिर से बीत है कि कामकाज भी प्रभावित होगा। इससे शासन को भारी राजस्व हानि का खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।

विस्फोटक होगा माहौल

              शिकायत कर्ता ने यह भी बताया कि दिनेश दुबे के आने से कार्यालय का महौल विस्फोट होगा। इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है। संभव है कि कर्मचारी भी काम काज से हाथ उठा दें। एसीबी की जांच भी प्रभावित हो सकती है। जानकारी यह भी मिल रही है कि दिनेश दुबे के आने की खबर के बाद शराब निर्माताओं में भारी खुशी है। इसलिए बेहतर होगा कि दिनेश दुबे को एसीबी जांच प्रक्रिया पूरी होने और कोर्ट से आदेश की वस्तुस्थिति के बाद ही जिला आबकारी सहायक कार्यालय में पदस्थापित किया जाए।

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