बिलासपुर– आज शैलेन्द्र गुट ने मंगल गुट के प्रत्याशी पर नियमों के खिलाफ चुनाव ल़ड़ने का आरोप लगाया है। शैलेन्द्र गुट ने प्राचार्य कक्ष में घुसकर जमकर हंगामा मचाया। शैलेन्द्र समर्थकों ने बताया कि मंगल गुट के स्वतंत्र पैनल प्रत्याशी रंजीत सिंह यादव को आरएस गोयल बचाना चाहते हैं। शैलेन्द्र गुट के अनुसार मंगल ने एमए पहुंचने से 6 साल के वजाय सात लगाया है। इसलिए वह चुनाव के नियमों का पालन नहीं करता है।
एसबीआर कालेज में एबीव्हीपी के दो गुटों के बीच जमकर हंगामा हुआ। शैलेन्द्र गुट के प्रत्याशियों ने प्राचार्य के खिलाफ रंजीत यादव को बचाने का आरोप लगाया है। शैलेन्द्र समर्थकों के अनुसार रंजीत सिंह यादव एमए समाजशास्त्र अंतिम वर्ष का छात्र है। उसने साल 2011 में बीकाम में प्रवेश लिया। परिणाम निकलने के बाद उसने बीए प्रथम वर्ष में प्रवेश लिया। इससे जाहिर होता है कि रंजीत यादव पहली बार बीकाम में फेल हो गया। चालाकी करते हुए उसने बीए में प्रवेश लिया। रंजीत सिंह यादव के पास दो इनरोलमेन्ट नम्बर है। दोनों ही इनरोलमेन्ट एक ही साल के हैं।
शैलेन्द्र समर्थक प्रत्याशियों ने बताया कि एक विश्वविद्यालय में दो इनरोलमेन्ट एक ही सत्र में अलग-अलग नहीं हो सकते हैं। इसलिए प्राचार्य की जिम्मेदारी बनती है कि रंजीत सिंह यादव के नामांकन को खारिज करें।
विवाद के बाद प्राचार्य कक्ष में छात्रों की भीड़ लग गयी। इस बीच छात्रों को लगा कि प्राचार्य आर.एस.गोयल रंजीत सिंह यादव को विशेष तवज्जों दे रहे हैं। रंजीत को कालेज प्रबंधन बचाने का प्रयास कर रहा है। शैलेन्द्र समर्थक प्रत्याशियों ने अपना खो दिया। प्रबंधन के खिलाफ जमकर हंगामा किया।
मैने केवल फेकल्टी बदला
एसबीआर स्वतंत्र पैनल के अध्यक्ष प्रत्याशी रंजीत सिंह यादव ने बताया कि उसके पास एक ही सत्र का एक इनरोलमेन्ट है। हो सकता है कि फेकल्टी बदलने के बाद इनरोलमेन्ट में कुछ बदलाव हुआ हो। मैने साल 2011 में बीकाम में प्रवेश लिया। बाद में अहसास हुआ कि मैने गलत विषय का चुनाव कर लिया है। इसलिए कुछ महीने बाद कालेज के संज्ञान में विषय यानी फेकल्टी बदल दिया। मैने बीए की परीक्षा दी। अब एमए समाज शास्त्र अंतिम सत्र की परीक्षा देने वाला हूं।
रंजीत सिंह यादव ने बताया कि यह सब शैलेन्द्र की साजिश का हिस्सा है। लोगों का ध्यान भटकाना चाहता है। पिछली बार भी उसे मुंह की खानी पड़ी थी। इस बार भी ऐसा ही कुछ होगा। अपने पैनल को जबरदस्ती एबीव्हीपी समर्थन होना बता रहा है। जबकि हमारे पैनल को एबीव्हीपी ने मंगल सिंह के निर्देशन में चुनाव लड़ने को कहा है। शैलेन्द्र यादव पार्षद और बड़े नेता होने का दबाव बना रहा है। वोटरों का ध्यान भटकाना चाहता है।
रंजीत के अनुसार मैने एक ही सत्र में परीक्षा देने से पहले बीकाम को छोड़ा और बीए में प्रवेश लिया। क्या पेकल्टी बदलने से सत्र बदल जाता है। रंजीत ने बताया कि शैलेन्द्र समर्थक चाहे जो कुछ भी कर लें। जीत उसकी ही होगी। अभी एक दिन पहले किसके इशारे पर दो लोगों का अपहरण किया गया शैलेन्द्र को जवाब देना चाहिए। बेकार में किसी को बदनाम करने से जीत उन्हें नहीं मिलने वाली है।