रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार के कई आयोग निगम मंडल बोर्ड और प्राधिकरणों के खाली पदों पर नियुक्ति कर दी गई है। ये नियुक्तियां पिछले काफी समय से प्रतीक्षित थी। इन नियुक्तियों में जमीनी कार्यकर्ताओं को मौका मिला है। इस लिहाज़ से इन नियुक्तियों को 2023 के चुनाव की तैयारियों के रूप में भी देखा जा रहा है।
दिवाली बीतने के बाद करीब 1 हफ्ते के भीतर ही शनिवार को एक ऐसी खबर आई ,जिसे लेकर आम लोगों को तो दिलचस्पी है ही। लेकिन छत्तीसगढ़ के कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बीच इससे बड़ी हलचल हुई है। छत्तीसगढ़ में 2018 के चुनाव में डेढ़ दशक के बाद कांग्रेस को कामयाबी मिली थी। सरकार बनने के बाद से ही छत्तीसगढ़ के में कांग्रेस के जमीनी कार्यकर्ताओं को उम्मीद थी कि संगठन और सरकार का नेतृत्व कर रहे लोग उनके पुनर्वास का भी ख्याल करेंगे। वर्षों से पार्टी के लिए काम कर रहे जमीनी कार्यकर्ताओं को भी उम्मीद थी कि सरकार के अंतर्गत आने वाले आयोग, निगम, मंडल, बोर्ड और प्राधिकरण में उन्हें भी अवसर मिल सकेगा। हालांकि सरकार बनने के बाद एक – दो बार निगम मंडलों में राजनीतिक कार्यकर्ताओं की नियुक्तियां हुई हैं। जिसमें ज्यादातर निगम, मंडल, बोर्ड के अध्यक्ष नियुक्त किए गए थे। लेकिन इसके बाद सदस्य के रूप में नियुक्ति को लेकर कार्यकर्ताओं में दिलचस्पी बनी हुई थी। राजनीतिक हलकों में भी लोग नजर लगाए हुए थे कि निगम मंडलों में सदस्य के रूप में किसे जगह मिल सकेगी। इस बीच कई कारणों से नियुक्तियां टलती रही। जिससे लोगों की दिलचस्पी भी बनी रही।
इधर आने वाले कुछ समय में ही मौजूदा सरकार के कार्यकाल का आखरी साल भी शुरू हो रहा है। इसे देखते हुए कई बार कार्यकर्ताओं के बीच इस बात को लेकर निराशा भी रही है कि बचे हुए इतने कम समय में अब शायद खाली पदों पर नियुक्ति का कोई फैसला नहीं हो सकेगा। लेकिन शनिवार को नियुक्ति की बड़ी लिस्ट जारी हुई। जिसमें 4 दर्जन से अधिक लोगों को आयोग ,निगम, मंडल ,बोर्ड और प्राधिकरण के खाली पदों पर नियुक्तियां दी गई है। इस लंबी फेहरिस्त को देखकर सियासी हलकों में माना जा रहा है कि स्थानीय स्तर पर विधायक और अन्य संगठन के नेताओं से जुड़े लोगों को लंबे समय के बाद मौका मिला है। कई पदों पर नियुक्त लोगों के नाम देखकर माना जा रहा है कि ज्यादातर पदों पर जमीनी कार्यकर्ताओं को मौका मिला है। इसमें ऐसे भी कार्यकर्ता हैं जो अविभाजित मध्यप्रदेश के समय से ही कांग्रेसमें सक्रिय रहे हैं। ऐसे लोगों ने 15 साल बीजेपी शासन काल में भी कांग्रेस का झंडा उठाया और 2018 के पिछले विधानसभा चुनाव में अपनी सक्रियता दिखाई। ऐसे लोगों को भी पदों पर नियुक्तियां मिली हैं।
जहां तक बिलासपुर ज़िले का सवाल है, इस जिले के लिए सबसे महत्वपूर्ण नियुक्ति अरपा विकास प्राधिकरण में हुई है। इस प्राधिकरण में उपाध्यक्ष पद पर अभय नारायण राय नियुक्त किए गए हैं। जो लंबे समय से कांग्रेस संगठन में प्रवक्ता के रूप में सक्रिय रुप से हिस्सेदारी निभा रहे हैं। प्राधिकरण में महेश दुबे,नरेन्द्र बोलर और श्रीमती आशा पांडे की नियुक्ति सदस्य के रूप में की गई है। इसी तरह उर्दू अकादमी बोर्ड मैं भी बिलासपुर जिले से अब्दुल शाहिद कुरेशी की नियुक्ति की गई है। सिंधी अकादमी बोर्ड में उपाध्यक्ष पद पर बिलासपुर जिले से नानक रेलवानी उपाध्यक्ष बनाए गए हैं। बिल्हा इलाके में नानक रेलवानी उस दौर से कांग्रेस में सक्रिय रहे हैं जब बिल्हा से पूर्व मंत्री चित्रकांत जयसवाल और अशोकराव प्रतिनिधित्व करते रहे। इसके बाद भी वे पार्टी में सक्रिय रहकर अपनी अहम भूमिका निभाते रहे। उन्हें यह महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गई है । इसी तरह और भी निगम मंडलों में बिलासपुर जिले के जमीनी कार्यकर्ताओं को सदस्य के रूप में जिम्मेदारी सौंपी गई है ।
यह सूची सामने आने के बाद कार्यकर्ताओं के बीच मिली जुली प्रतिक्रिया तो है । जाहिर सी बात है तमाम पदों के लिए दावेदारों की गिनती काफी अधिक रही है। उसके मुकाबले पदों की संख्या कम होने के कारण बहुत से लोगों को निराशा भी हाथ लगी है । लेकिन यह भी कहा जा रहा है कि नई लिस्ट के हिसाब से नियुक्त किए गए कांग्रेस के लोगों में ज्यादातर चेहरे जमीनी कार्यकर्ताओं के हैं। जिन्हें देखकर माना जा रहा है कि 2023 के चुनाव की तैयारी के लिहाज से संगठन के कार्यकर्ताओं को जोड़ा गया है और उन्हें खुश करने की कोशिश की गई है। बहुप्रतीक्षित फैसले से आने वाले आने वाले समय में पार्टी को लाभ मिले की उम्मीद की जा रही है।।