बिलासपुर— बड़े बुजुर्ग कहते हैं कि चाहे घर का विवाद हो या बाहर का…तलाक का मामला हो या वहिष्कार का…सारी समस्या मिल बैठकर दूर हो सकती है। यदि मामला कानून के दरवाजे तक पहुंचा तो समस्या सुलझेगी लेकिन कभी भी इतनी गुंजाइश नहीं बचेगी कि…दूरियों को चाहकर भी कम किया जा सके। बहुत कम देखने को मिलता है कि विवाद आयोग या कानून के दरवाजे तक पहुंचे और लोग बिना कुछ गंवाकर…बहुत कुछ हासिल कर घर लौटें। लेकिन ऐसा हुआ…एक दिन पहले महिला आयोग के दरबार में..समाज से वहिष्कृत धुरी समाज के लोग एक कप चाय के आश्वासन पर ना केवल खुशी खुशी घर लौटे..बल्कि गले में हाथ डालकर पुरानी खुन्नस को दरकिनार कर दुख सुख बांटते नजर आए। महिला आयोग अध्यक्ष हर्षिता पाण्डेय के एक कप चाय के फन्डे ने चंद समय में वह काम कर दिया। जिसे कानून का डऩ्डा दशकों तक नहीं कर पाता है।
कलेक्ट्रेट स्थित मंथन सभागार में पूर्व नियोजित महिला आयोग को किन्ही कारणों से छत्तीसगढ़ भवन में दरबार लगाना पड़ा। सैकड़ों की संख्या में पीडित लोगों ने महिला आयोग के सामने दुहाई दी। तो दूसरा पक्ष मामले में सफाई देता नजर आया। तमाम शिकायतों के बीच तलाक और आपसी विवादों का राज्य महिला आयोग अध्यक्ष हर्षिता पाण्डेय ने निराकरण किया। लेकिन सदियों से समाजिक बहिष्कार के रोग को हर्षिता पाण्डेय ने अनोखे प्रयास से छूमंतर कर दिया। मामला एक कप चाय पर अटका…पीड़ित और बचाव पक्ष को तो विश्वास भी नहीं हुआ कि उनकी समस्या एक कप चाय के फण्डे से भी दूर सकती थी।
एक दिन पहले चालिस गांव के धुरी समाज से वहिष्कार की पीड़ा झेल रहे लोगों ने राज्य महिला आयोग अध्यक्ष के सामने अपनी पीड़ा को रखा। लोगों ने बताया कि समाज के नेता छोटी छोटी बातों और बड़े लालच में पड़कर सामाजिक बहिष्कार किया है। चालिस गांव में धुरी समाज के लोग छोटे से लेकर बड़े कारणों में सहयोग नहीं कर रहे हैं। समाज से बहिष्कार का दंश झेल रहे लोगों ने हर्षिता पाण्डेय को बताया कि गांव में जीना मुश्किल हो गया है। समाज का अध्यक्ष भी नहीं सुनता है। इतना सुनते ही आयोग अध्यक्ष हर्षिता का चेहरा तमतमा गया। उन्होने सामाजिक बहिष्कार को कानूनन अपराध बताया। उन्होने मौके पर मौजदू समाज अध्यक्ष डॉ.शिव को जमकर फटकारा। समाजिक समितियों के अध्यक्षों को भी समझाया कि यदि उनका बहिष्कार गांव के लोग करें तो कैसा लगेगा। काफी समझाइश के बाद धुरी समाज के अध्यक्ष डॉ.शिव ने बताया कि कुछ निर्णय सामाजिक दबाव में लेना पड़ा है। यह जानते हुए भी गलत है। इसी तरह समितियों के अध्यक्षों ने भी हर्षिता के बातों का समर्थन किया।
बावजूद इसके समाज से बहिष्कार किए लोगों ने समाज और समित अध्यक्ष के खिलाफ कार्रवाई की मांग पर अड़े रहे। लोगों ने बताया कि यहां डर से समाज का अध्यक्ष आयोग की बातों को मान लेगा। लेकिन गांव पहुंचते ही कही गयी बातों से पलट जाएगा। लेकिन हर्षिता पाण्डेय ने समस्या का निराकरण चुटकियों में किया। उन्होने कहा कि समाज से बहिष्कार किए गए लोग डॉ.शिव समेत समाज के गणमान्य लोगों के साथ मिलकर एक-एक कप चाय पीएंगे। एक कप चाय पीने मैं जरूर आउंगी। डा.शिव ने भी कहा कि बहिष्कार का निर्णय ठीक नहीं है। मुझे भी पश्चाताप का मौका मिले। आने वाले समय में समाज के गणमान्य लोगों से हाथ जोड़कर निवेदन करूंगा कि बहिष्कार करना किसी समस्या का हल नहीं है। आज के बाद धुरी समाज मिलकर रहेगा। विकास और एकता की ईबारत लिखेगा।
डॉ.शिव ने आयोग के अध्यक्ष से कहा मैं समाज के सभी लोगों को साथ लेकर चलूंगा। मुझे खुशी होगी कि आयोग की अध्यक्ष हमारे समाज के बीच आएं और एकता के लिए एक कप चाय जरूर पीए। इसके बाद कभी शिकायत नहीं मिलेगी।