एसीसी सीमेन्ट कम्पनी के खिलाफ ग्रामीणों में आक्रोश.. किसानों ने किया घेराव..आंदोलनकारी नेता अग्रवाल ने कहा..बरबाद हो जाएगा मंदिर..मर जाएंगे जंगली जानवर

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर—मस्तूरी क्षेत्र के ग्राम लोहर्सी में प्रस्तावित एसीसी सीमेन्ट कम्पनी की जनसुनवाई का कलेक्टर कार्यालय पहुंचकर विरोध किया। ग्रामीणों ने कलेक्टर कार्यालय पहुंचकर सीमेन्ट कम्पनी की प्रस्तावित जनसुवाई को निरस्त किए जाने की बात कही। आंदोलनकारी नेता दिलीप ने बताया कि यदि जनसुनवाई को निरस्त नहीं किया जाता है तो उग्र आंदोलन करेंगे। सीमेन्ट कम्पनी ने शासन को अंधेरे में रखकर ईआईएक रिपोर्ट तैयार किया है। प्रशासन ने यदि रिपोर्ट को गंभीरता से लिया गया तो मामले में कई अधिकारियों पर गाज गिर जाएगी।

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                   तीन नवम्बर को लोहर्सी में प्रस्तावित एससीसी प्लान्ट की जनसुनवाई एलान के बाद ग्रामीणों कलेक्टर कार्यालय पहुंचकर विरोध किया है। ग्रामीणों की अगुवाई कर रहे दिलीप ने बताया कि हर बार की तरह एक बार फिर औद्योगिक कम्पनियों ने अधिकारियों की शह पर जनता को अंधेरे में रखा है। 

किसानों के साथ फिर धोखाधड़ी

                     दीलिप अग्रवाल ने बताया कि जनता को कसाइयों की तरह हलाल किया जा रहा है। हमारी मांग है कि लोहर्सी में प्रस्तावित सीमेन्ट प्लान्ट की जनसुनवाई को निरस्त किया जाए। पहली बार देखने को मिल रहा है कि सोची समझी रणनीति के तहत जनसुनवाई का आयोजन लोहर्सी में किया जा रहा है। जबकि प्लान्ट को घोड़ाडीह के पास स्थापित किया जाना है।

खतरे में ऐतिहासिक मंदिर..मर जाएंगे जंगली जानवर

                             दीलिप ने जिला प्रशासन को बताया कि सीमेन्ट प्लान्ट स्थापित होने से क्षेत्र का पर्यावरण का बिगड़ना निश्चित है। यही कारण है कि कम्पनी ने पर्यावरण अधिकारी को विश्वास में गलत फर्जी ईआईए रिपोर्ट तैयार किया है। जबकि प्रस्तावित प्लान्ट से महज पांच किलोमीटर दूर जगत प्रसिद्ध पौराणिक और एतिहासिक डिंडनेश्वरी मंदिर है। ईआईए रिपोर्ट में कम्पनी ने इसका जिक्र नहीं किया है। प्लान्ट खुलने के बाद भरारी जंगल में करीब तीन सौ से अधिक संख्या में हीरन,जंगली सुअर पर असर पड़ना स्वभाविक है। लेकिन ईआईए रिपोर्ट में कही भी भरारी जंगल या जानवरों का जिक्र नहीं किया गया है। 

काटे जाएंगे हजारो की संख्या में आयुर्वेदिक पेड़

                   ईआईए रिपोर्ट में प्रस्तावित प्लान्ट के लिए खरीदी गयी जमीन को पड़ती बताया गया है। जबकि राजस्व रिकार्ट में जमीन सिंचिंत है। यहां भारी मात्रा में धान का उत्पादन किया जाता है। फर्जी रिपोर्ट से जाहिर होता है कि कम्पनी की अधिकारियों से सांठ गांठ है। प्लान्ट स्थापना से पहले 9 हजार से अधिक कहुआ के पुराने पेड़ को काटना पड़ेगा। इसका भी जिक्र ईआईए रिपोर्ट में जिक्र नहीं किया गया है। 

नियम निर्देशों की अनदेखी

                        ग्रामीणों ने बताया कि नियमानुसार आवेदन के 45 दिनों के अन्दर जनसुनवाई का नियम है। यह जानते हुए भी कि प्लान्ट संचालक की तरफ से 22 मई को आवेदन किया गया। लेकिन सुनवाई 6 महीने बाद 3 नवम्बर को किया जाना नियम विरूद्ध है। 

               आंदोलनकारी नेता ने बताया कि प्रस्तावित प्लान्ट से जांजगीर जिला क्षेत्र की दूरी सात किलोमीटर है। बलौदाबाजार सीमा क्षेत्र 8 किलोमीटर के बाद शुरू हो जाता है। ऐसी सूरत में तीनों जगह प्लान्ट की जनसुनवाई किया जाना चाहिए। अथवा जिलों के प्रभावित ग्राम पंचायतों को भी शामिल किया जाना चाहिए। 

बरबाद हो जाएगा जलस्रोत

             यह जानते हुए भी कि जिस गांव में प्लान्ट खोला जाना है। आस पास करीब 28 सौ से अधिक तालाब हैं। फिर भी ईआईए रिपोर्ट में इसका जिक्र नहीं किया गया है। ऐसी सूरत में प्लान्ट संचालकों और अधिकारियों की मीली भगत से इंकार नहीं जा सकता है। हमारी मांग है कि जनसुनवाई को निरस्त कर सच्चाई का पता लगाया जाए। आंदोलनकारियों ने कोर्ट मे ंजाने की बात कह उग्र आंदोलन किए जाने की बात भी कही है।

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