बड़ी खबर…पुलिस कप्तान आफिस में जीपीएफ घोटाला..जांच का आदेश..महिला क्लर्क लाइन अटैच..गुमनाम चिठ्ठी से मची खलबली

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर–एक गुूमनाम पत्र ने पुलिस अधीक्षक कार्यालय से लेकर जिले के सभी थानों में सनसनी फैला दिया है। जानकारी के अनुसार पुलिस अधीक्षक कार्यालय में जीपीएफ घोटाला सामने आया है। यद्यपि मामला पुराना है। लेकिन पुलिस कप्तान ने जांच का आदेश दिया है। जांच शुरू भी हो गयी है। लेकिन जांच अधिकारी राजेश श्रीवास्तव ने फिलहाल कुछ भी बताने से इंकार किया है। बताया जा रहा है कि इसमें एक बाबू की भूमिका संदिग्ध है। जो अभी भी अपने पद पर काबिज है। फण्ड विभाग में पदस्थ महिला महिला क्लर्क को लाइन अटैच कर दिया गया है। 
                पुलिस अधीक्षक कार्यालय को लिखित शिकायत मिली है कि विभाग के कुछ बाबू
और अधिकारियों ने मिलकर जीपीएफ घोटाला को अंजाम दिया है। घोटाला में एक विवादित महिला की भी भूमिका है। घोटाला में अनुकम्पा नियुक्ति से सरकार की सेवा कर रहा एक बाबू की भूमिका संदिग्ध है।
          शिकायत के अनुसार प्रधान आरक्षक 88  पिछले कुछ साल तक जेल में रहा। जेल में रहने के दौरान 16 सितम्बर 2021 को भविष्य निधि का आवेदन दिया। तात्कालीन बाबू के सहयोग से 12 लाख रूपये स्वीकृत करवाया। लेकिन उसे 16 लाख रूपयों का भुगतान किया गया। बिल क्रमांक 545 तारीख 16 सितम्बर 2021 बीटीआर क्रमांक 4790903 जिला कोषालय में देयक आहरण के लिए जमा किया गया। 18 सितम्बर को 16 लाख रूपए जेल में बन्द आरक्षक के खाते में जमा हुआ। 
            शिकायत में यह भी बताया गया है कि आरक्षक 10 ने प्रधान आरक्षक के साथ मिलकर राशि का आधा-आधा बटवारा किया है। इसके अलावा कार्यालय में पदस्थ बाबू ने दो आरक्षकों को भी जीपीएफ घोटाला कर फायदा पहुंचाया है। ऐसा करने से शासन को लाखों रूपयों का नुकसान है।
                      कुछ सेवा निवृत अधिकारियों ने गलत तरीके से विभाग के बाबूओं को प्रभाव में लेकर गलत पेशन तैयार किया है। बाद में कार्यालय में पदस्थ बाबू गलत तरीके से लाभ पाने वालों से वसूली भी किया और आज भी करता है। 
         पत्र के अनुसार एक प्रधान आरक्षक का मूल वेतन 2100 रूपए है। लेकिन मिलीभगत कर विभागीय भविष्य निधी से  18 लाख से अधिक रूपया जमा कराया गया है। पत्र में दावा किया गया है कि पुलिस अधीक्षक कार्यालय में पदस्थ बाबू का यातायात थाना में पदस्थ आरक्षक के साथ लम्बे समय से लेन देन भी है।
एसपी ने दिया जांच का आदेश
             शिकायत के बाद पुलिस कप्तान ने जांच का आदेश दिया है। मामले में संबधित बाबू से बातचीत का प्रयास किया गया। लेकिन बाबू ने बताया कि मामले में कुछ नहीं बोलूंगा। जांच में जो कुछ होगा सामने आ जाएगा।
महिला बाबू लाइन अटैच
              महिला बाबू  को पुलिस कप्तान ने एक दिन पहले दिन ही लाइन अटैच कर दिया है। बताते चलें कि महिला बाहू पहले से कई मामलों में विवादित रही है।लाइन अटैच आदेश तक महिला बाबू उसी विभाग में पदस्थ थी..जहां से जीपीएफ का घोटाला हुआ है। 
महिला करे तो लाइन अटैच..पुरूषों को सस्पेन्ड
         पुलिस अधीक्षक कार्यालय समेत अन्य थानों में पदस्थ कुछ पुलिस कर्मचारियों ने बताया कि महिला ने जो कुछ किया उसका दण्ड लाइन अटैच पर्याप्त नहीं है। जबकि जग जाहिर है कि महिला बाबू की कई शिकायतें कई बार हुई है। जांच में शिकायतों को सही पाया गया है।  बावजूद इसके  महिला बाबू को सिर्फ लाइन अटैच कर बचाने का प्रयास किया जा रहा है। सवाल उठता है क्यों। जबकि यात्रा भत्ता समेत पुराने जीपीएफ घोटाला मामले में महिला बाबू की भूमिका प्रमाणित हो चुकी है। यदि कोई पुरूष कर्मचारी होता तो अब तक सस्पेन्ड कर दिया जाता।
 मामले में हो रही जांच
                जीपीएफ घोटाला की जांच कर रहे अधिकारी डीएसपी राजेश श्रीवास्तव ने बताया कि उन्हें आज ही जांच के लिए फाइल मिली है। फिलहाल कुछ भी बताने की स्थिति में नहीं हूं। जांच में जो कुछ भी सामने आएगा..उसकी जानकारी सभी को हो जाएगी। 
अब तक 9 लोगों जीपीएफ घोटाला में नाम
            सूत्रों की माने तो जीपीएफ घोटाला में गलत तरीके से लाखों रूपया  का लाभ लेने वालों में कई आरक्षक और कांस्टेबल है। ऐसे लोगो की संख्या 9 से अधिक है। और भी नाम सामने आ सकते हैं।
ऐसे हुआ घोटाला
               एक सवाल के जवाब में जांच अधिकारी डीएसपी राजेश श्रीवास्तव ने बताया कि दो तरीके से जीपीएफ का आहरण होता है। कांस्टेबल स्तर के कर्मचारियों का जीपीएफ भुगतान  विभाग कोषालय से होता है। बड़े अधिकारियों का भुगतान जिला कोषालय से किया जाता है। मतलब साफ है कि जीपीएफ घोटाला पुलिस अधीक्षक कोषालय से ही हुआ है। क्योंकि जीपीएफ का लाभ लेने वाले कमोबेश सभी लोग या तो आरक्षक है या फिर कांस्टेबल है। 

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