भाजपा नेता अमर और धरम ने दिया अल्टीमेटम.. कहा..सरकार को वापस लेना होगा काला कानून ..15 दिन बाद चलाएंगे जेल भरो आंदोलन

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर— भारतीय जनता पार्टी नेताओं ने बिना अनुमति धरना, प्रदर्शन, रैली, घेराव के खिलाफ भूपेश सरकार के आदेश को लेकर तीखी प्रतिक्रिया जाहिर किया है। प्रेस वार्ता कर भाजपा नेताओं ने कहा कि  15 दिन के अंदर यदि आदेश वापस ले नहीं जाता है तो लोकतांत्रिक अधिकार के लिए भारतीय जनता पार्टी आम जनता क साथ हर स्तर की लड़ाई लड़ेगी।
 
             भाजपा कार्यालय में नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक, पूर्व मंत्री और मस्तूरी विधायक डॉ कृष्णमूर्ति बांधी, बेलतरा विधायक रजनीश सिंह और भाजपा नेता अमर अग्रवाल ने संयुक्त  प्रेस वार्ता कर प्रदेश सरकार की रीति नीति पर जमकर निशाना साधा। भाजपा नेताओं ने कहा कि समाज के सभी तबकों ने लोकतांत्रिक अधिकारों के लिए लम्बी लड़ाइयां लड़ी है। इसके बाद हम आज यहां तक पहुंचे हैं। दुर्भाग्य  है कि प्रदेश की कांग्रेस सरकार अब असहमति की आवाज का  दमन करना चाहती है। काला आदेश निकाल कर रैलियों और प्रदर्शनों पर कड़े प्रतिबन्ध और शर्तों को थोपने का काम किया है।
 
               भाजपा नेताओं ने पत्रकारों को बताया कि सभी को अच्छी तरह मालूम है कि कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ के सपनों को छलने का काम किया है ।  प्रदेश की सीधी सच्ची जनता को दर्जनों लुभावने सपने दिखा कर उनसे सैकड़ों वादे कर सता हड़प लिला है। अब जिस जनता ने उसे सता सौंपी, उसी के साथ बर्बरता की सीमा लांघते हुए, प्रदेश सरकार लोगों के लोकतांत्रिक अधिकार की नृशंस हत्या कर रही है। 
 
                  भूपेश सरकार ने एक तुगलकी आदेश जारी कर प्रदेश भर के सभी निजी, सार्वजानिक, धार्मिक, राजनीतिक, अन्य संगठनों द्वारा प्रस्तावित आयोजनों पर अकुश लगाने का प्रयास किया है। ऐसे आयोजन जिसमें भीड़ आती हो, उसे रोकने के लिए 19 बिंदुओं की शर्ते लगा दिया है। उसका कठोरता से पालन सुनिश्चित करने को कहा है। जबकि शर्तों का पूरी तरह पालन कर कोई भी बड़ा धार्मिक / राजनीतिक / सामाजिक आयोजन संभव नहीं है सीधे तौर पर सरकार चाहती है कि संगठनों के विरोध प्रदर्शनों को , असहमति की आवाज़ को , विपक्ष को धार्मिक भावनाओं को अभिव्यक्ति की आजादी को कुचला जाए। कांग्रेस का ऐसा करने का इतिहास भी रहा है।
 
             भाजपा नेताओं ने बताया कि आपातकाल लगा कर हमें जीने तक के अधिकार से वंचित किया गया था। इस आदेश में सबसे आपतिजनक और असंवैधानिक बिंदु आयोजकों से हलफनामा लिया जाना है । इसके बाद आयोजन के दौरान किसी भी तरह का कथित उल्लंघन होने पर सीधे उन पर कानूनी कार्यवाही होगी । मतलब अब प्रदेश में हर कार्यक्रम सन के रहमोकरम पर निर्भर रहेगा । आखिर कोई शासन अपने ही खिलाफ किसी प्रदर्शन के लिए अनुमति क्यों देगा ? इस आदेश से अब जब भी शासन का मन होगा वह किसी न किसी शर्त के उल्लंघन के आरोप में आयोजकों को जेल में डाल देगी या किसी न किसी बहाने प्रदर्शन की अनुमति ही नहीं देगी ।
 
                    भाजपा नेताओं ने पत्रकारों के सवालों का इस दौरान जवाब दिया। नेताओं ने बताया कि ऐसे समय पर जब कांग्रेस सरकार द्वारा प्रदेश के किसान , युवाओं के साथ धोखा हुआ है । जब शिक्षक अभ्यर्थी , विद्या मितान , पुलिस अभ्यर्थी , बिजली कर्मचारी , कोरोना वारियर्स , संविदा कर्मी , आदिवासी महिलाये , आंगनवाड़ी कार्यकर्ताए ….. सभी अपनी मांगों को लेकर आंदोलित हैं , जब प्रदर्शन के दौरान किसान अपनी जान दे रहे है जैसा नया रायपुर में हुआ युवा आत्महत्या कर रहे हैं , तब इन आक्रोशों को खत्म कर उन्हें न्याय देने के बदले , कांग्रेस सरकार उनकी जुबान बंद करने पर उतारू है ।
 
                आयोजकों पर हमेशा आतंक बना कर रखना चाहती है सरकार इस आदेश में ऐसे – ऐसे प्रावधान है जिससे जान – बूझकर भी किसी आयोजन में अशांति पैदा कर भी उसके आयोजकों को जेल भेजा जा सकता है।दुःख की बात यह है कि इन्हीं आन्दोलनकारियों के पास जा – जा कर समर्थन के लिए हाथ फैला कर भूपेश बघेल आज यहां तक पहुंचे हैं। लेकिन सता के अहंकार में अब इनकी मांगों पर विचार करना तो दूर , इनकी आवाजे तक छीन लेना चाहती है कांग्रेस इससे अनैतिक, आपराधिक असंवैधानिक, असभ्य, निंदनीय कदम किसी सरकार का और क्या हो सकता है भला ?
 
            आदेश में उल्लेख किए गए शर्तों के बिंदु  8, 12, 13, 14, 15, 18 और 19 में खासकर ऐसे प्रावधान है जो सीधे तौर पर हमारे संवैधानिक मौलिक अधिकारों का हनन करते हैं। इनमें अनेक नियम तो ऐसे हैं जिसे पढ़ कर ऐसा लगता है मानो कांग्रेस यह मान बैठी है कि ऐसे सभी आयोजक तब तक अपराधी है। जब तक कि वे निरपराध साबित न हो जाये। भाजपा स्पष्ट तौर पर कांग्रेस सरकार को यह चेतावनी देना चाहती है कि 15 दिन के भीतर अपना यह काला आदेश वापस ले। अन्यथा पार्टी लोकतंत्र की रक्षा में जेल भरो आन्दोलन समेत हर तरह का आंदोलन करने  के लिए मजबूर होगी। इसकी सारी जिम्मेदारी कांग्रेस की होगी।

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