CG NEWS:कांग्रेस में कोहराम….. जब एक ज़मीनी कांग्रेसी ने ख़ुले मंच पर बयां कर दिया हज़ारों – लाखों कार्यकर्ताओं का दर्द…!

Chief Editor
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CG NEWS:( गिरिजेय ) कहते हैं “जीते को सब जग भला – हारे सो कोहराम….”। कुछ ऐसा ही छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के साथ हो रहा है। विधानसभा चुनाव में जबरदस्त हार के बाद अब पार्टी लोकसभा चुनाव के लिए मैदान में उतर रही है। लेकिन कांग्रेस की सरकार जिस तरह 5 साल चली उसका आईना अब लोग अपनी ही पार्टी को दिखा रहे हैं। ऐसा ही आईना हाल ही में राजनांदगांव इलाके के एक कांग्रेस कार्यकर्ता सम्मेलन में एक ज़मीनी कार्यकर्ता सुरेंद्र वैष्णव ने दिखाया। जिस मंच पर पूर्व मुख्यमंत्री और राजनांदगांव लोकसभा क्षेत्र के कांग्रेस उम्मीदवार भूपेश बघेल मौजूद थे, वहां कांग्रेस के ही कार्यकर्ता ने महज़ 3 मिनट में अपने दिल की भड़ास निकालते हुए बता दिया की कांग्रेस की सरकार 5 साल कैसे चली, कैसे जमीनी कार्यकर्ताओं को अनदेखा किया गया, उन्हें प्रताड़ित किया गया, कोई काम नहीं हुए और किसी की पूछ – परख भी नहीं हुई। यहां आईना दिखाने के बाद कांग्रेस के जमीनी कार्यकर्ता को 6 साल के लिए निष्कासित करने की खबर आ रही है। लेकिन अहम सवाल अब भी कायम है कि क्या पार्टी संगठन के इस कदम को एक ज़मीनी कार्यकर्ता की ओर से उठाए गए सवालों का जवाब मान लिया जाए या कांग्रेस अपने इस कार्यकर्ता की सलाह मानते हुए जमीनी लोगों के साथ जमीन पर बैठकर चिंतन – मनन करेगी कि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की यह हालत क्यों हुई है ?

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लोकसभा चुनाव का बिगुल बजने के बाद राजनंदगांव की सीट हाई प्रोफाइल मानी जा रही है। इस सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार हैं। लेकिन शुरुआत में ही एक बड़ा टोटका हो गया। पार्टी की ओर से आयोजित कार्यकर्ता सम्मेलन में जब एक कार्यकर्ता सुरेंद्र वैष्णव को बोलने का मौका मिला तो उन्होने  अपनी पार्टी की पूरी तस्वीर सामने रख दी। मंच पर भूपेश बघेल की मौजूदगी में उन्होने 3 मिनट में जो बात कही वह 300 पेज की किताब में भी शायद नहीं कहीं जा सकती। 2018 के विधानसभा चुनाव में 68 सीट जीतने के बाद भी कांग्रेस 2023 में क्यों हारी  ? इस सवाल को लेकर पार्टी ने चिंतन मनन किया है या नहीं इस पर अलग बात हो सकती है । लेकिन सुरेन्द्र वैष्णव की कही बातों में काफी वजन लगता है और पार्टी चाहे तो यह समझ सकती है कि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की हालत को समझने के लिए किस स्तर पर जाकर चिंतन मनन करने की ज़रूरत है।

सुरेंद्र वैष्णव ने अपनी बात शुरू करते हुए सबसे पहला सवाल यही दागा कि क्या जमीनी कार्यकर्ताओं को सिर्फ पंच- सरपंच और दरी उठाने की जिम्मेदारी देंगे। जिला – जनपद के चुनाव में भी क्या दुर्ग – भिलाई के लोग आएंगे  ….।इसे भी साफ कर दीजिए। हम उसके लिए भी तैयार बैठे हैं। आप जो भी आदमी देंगे उसे हम अपना नेता मानकर उसके लिए काम करेंगे। उन्होंने कहा कि आज बहुत दुखी मन से मैं मंच से अपनी बात कह रहा हूं। आदरणीय बैठे हैं…. बहुत संघर्ष किए हैं ।  उनके बारे में कहा जाता है कि जब सत्ता नहीं थी तो दाऊजी अकेले सभी को ललकारते थे। इस बीच सुरेंद्र वैष्णव को रोकने की कोशिश भी मंच से की जाती है। लेकिन उन्होंने कहा कि यह मेरे मन की पीड़ा है।तभी नीचे बैठे कार्यकर्ताओं के बीच से भी आवाज उठती है कि बोलने दो… बोलने दो….। सुरेंद्र वैष्णव ने आगे कहा कि कांग्रेस पार्टी में यह बात कही जाती है कि हमने चिंतन – मनन किया है । उन्होंने नीचे बैठे कार्यकर्ताओं से पूछा कि आप में से किसी को चिंतन- मनन करने बुलाया गया था… क्या ? ये लोग कमरे में ही बैठकर चिंतन- मनन कर डालते हैं। यह सुनकर नीचे बैठे लोगों की तालियां गूंज उठी।

उन्होंने आगे कहा कि मैं डंके की चोट पर यहां कह रहा हूं… यहां 500 कार्यकर्ता है। एक भी कार्यकर्ता उठकर यह कह दे कि 5 साल में मेरे परिवार का एक भी काम हुआ है। आपने एक काम किया है…. तो बता दे मैं मंच से उतर कर चला जाऊंगा। उन्होंने कहा कि हमारे घर परिवार के सामने कभी दुख तकलीफ की स्थिति आई तो भी कोई काम नहीं किया। सिवाय प्रताड़ित करने के कुछ नहीं किया। उन्होंने कहा मैं दुखी मन से कह रहा हूं ।अगर मेरी बात कहीं गलत है तो आपको निष्कासन का अधिकार है….। मुझे निष्कासित कर देना। में कार्यकर्ता बनकर आगे भी काम करूंगा। उन्होंने कहा कि मैं आपके कार्यक्रम में बाधा नहीं पहुंचाना चाहता । लेकिन ऐसा मौका नहीं मिलता। ऐसा मौका कभी मिला नहीं । 5 साल हम तुम्हारे नजदीक भी नहीं आ सके। इसका नतीजा है कि हम 46 हज़ार से विधानसभा चुनाव हारे। उन्होंने कहा कि सभी कार्यकर्ताओं के साथ बैठकर चिंतन करने की जरूरत है । उन्होंने यह बात यह भी कही कि अगर मैंने कोई गलत बात कही हो तो आपसे माफी मांगना चाहता हूं।

कांग्रेस के खुले मंच पर सुरेंद्र वैष्णव के इस भाषण का वीडियो सोशल मीडिया में खूब वायरल हुआ है। कांग्रेस के लोगों की आपसी बातचीत में भी इस बात का जिक्र हो रहा है। तमाम लोग यह कहते भी सुने गए की छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव में मिली करारी पराजय के बाद से ही यह बात उठने लगी थी कि सत्ता में रहते समय पूरे 5 साल कांग्रेस के जिम्मेदार लोगों ने कार्यकर्ताओं को अनदेखा किया और उनके कोई काम नहीं हुए। लोगों को उम्मीद थी कि 2018 से पहले विपक्ष में रहते हुए जिनके हाथों में संगठन की बागडोर थी, वे कार्यकर्ताओं का दर्द समझते हैं । लेकिन सत्ता में आते ही सब कुछ कहां गुम हो गया यह आज भी समझ नहीं पा रहे हैं। लगातार जीत मिलती रही तो किसी ने भी यह बात नहीं की। जीते को सब जग भला….. चलता रहा। लेकिन हारने के बाद कोहराम के बीच अब सच सामने आ रहा है।

जाहिर सी बात है कि लोकसभा चुनाव मैदान में उतर रही कांग्रेस के सामने एक जमीनी कार्यकर्ता ने बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। हालांकि पूर्व सीएम के सामने खुलकर – साफगोई के साथ अपनी बात रखने वाले सुरेंद्र वैष्णव को पार्टी से 6 साल के लिए निष्कासित किए जाने की खबर भी आ रही है। लेकिन ज़मीन से जुड़े कांग्रेस के कार्यकर्ता तो मान रहे हैं कि सुरेन्द्र वैष्णव ने हज़ारों -लाखों लोगों की आवाज़ बनकर उनका दर्द खुले मंच पर बयान कर दिया है और सवालों का ऊंचा पहाड़ खड़ा कर दिया है। जिसका जवाब निष्कासन के इस कदम में खोज पाना मुश्किल है।।

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