CG NEWS:मोदी गारंटी की हवा कम हुई…? D.A. का हक आधा अधूरा देने पर  … कलेक्टर साहब ट्रोल हो गए और मुखिया बच गए

Chief Editor
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CG NEWS:रायपुर: (मनीष जायसवाल ) । लोकसभा चुनाव के पहले मोदी की गारंटी  राज्य के अधिकारी/ कर्मचारियों के बीच चुनावी जुमला साबित होती नजर आ रही है। राज्य के कर्मचारियों के चार प्रतिशत डीए देने की  घोषणा तो मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने की लेकिन बकाया डीए और एरियर्स नही मिलने पर कर्मचारियों ने वित्त मंत्री ओपी चौधरी को आड़े हाथों लेकर अपनी भड़ास निकालते हुए मोदी की गारंटी की हवा अपने वर्ग में कम कर दी है..!

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भारतीय जनता पार्टी के घोषणा पत्र में वादा किया था कि भाजपा की सरकार बनते ही शासकीय सेवकों और पेंशन भोगियों को केंद्र के सामान डी ए दिया जाएगा और लंबित एरियर्स को कर्मचारियों के जीपीएस के खाते में समायोजित किया जाएगा  लेकिन एरियर्स तो दूर जिस डीए को एक जुलाई से लागू करना था उसे एक मार्च से लागू किया गया है। अब इन्हें आठ महीने का एरियर्स भी नही दिया जा रहा है। इतना ही नहीं पूर्व के एरियर्स पर भी अब विराम लगा कर मोदी की गारंटी को पूरा करने में मुख्य किरदार निभाने वाले अधिकारी कर्मचारियों को निराश कर दिया गया है।

 

शुक्रवार को आदेश जारी होने के बाद कर्मचारियों ने अपने दिल की  भड़ास सार्वजनिक और सोशल मीडिया में खूब निकाली। निशाने में मुखिया मुख्य मंत्री विष्णु देव साय की जगह पूर्व कलेक्टर ओपी चौधरी रहे ..। इनके वित्त मंत्री बनने के पूर्व के बयान के वीडियो पूरे प्रदेश में शेयर हुए और खूब ट्रोल किए गए। शिक्षकों ने तो इतिहास याद दिलाते हुए संविलियन आंदोलन के दौरान

रायपुर कलेक्टर रहते हुए ओपी चौधरी की भूमिका याद की और सार्वजनिक शौचालय में ताला लगाने की घटना तक का जिक्र किया गया । कहा गया कि कलेक्टर साहब जमीनी हकीकत समझे ही नही…! मोदी की गारंटी राज्य के कर्मचारियों के लिए फेल होने का जिम्मेदार वित्त मंत्री को बताया गया।

 

एक्स पर एक ने पोस्ट किया कि माननीय वित्तमंत्री जी जब प्रदेश एक बाजार एक  महंगाई एक है तो महंगाई भत्ता अलग अलग क्यो ? प्रदेश के आईएस-आईपीएस अफसरों को डीए  50% वो भी देय तिथि से, बिजली कर्मचारियों का डीए 50% वो भी देय तिथि से , लेकिन राज्य के अन्य कर्मियों को केवल 46% वो भी देय तिथि 1 मार्च से 2024, ये अन्याय है ।

 

एक और एक्स यूजर ने लिखा कि जब आप विपक्ष में थे तब आपके सुर अलग होते थे । किंतु आज जब सत्ता में है तो वही पूर्व के सरकार के सुर में सुर मिला रहे है जो इस प्रदेश के 4 लाख कर्मचारियों के साथ धोखा है ।

सत्ता में आने से पूर्व आप अपने वीडियो देखे जहा आप बड़ी बड़ी बाते करते थे जिनका वास्तविकता से कोई लेना देना नहीं..!

 

कुल मिला कर राज्य के कर्मचारियों के लिए उनके हक की एक सामान्य सी घोषणा आधी अधूरी पूरी करने पर राज्य के कर्मचारियों और अधिकारियों में लोकसभा चुनाव के  बीच काफी रोष है..। शनिवार से आचार संहिता के लगने के बाद ये अब विरोध नही कर पाएंगे पर इतना तो तय है कि सरकार ने चुनाव सम्पन्न  करने वाले कर्मचारियों पर ध्यान नहीं दिया। महंगाई भत्ता उनका हक  है। अधिकारी कर्मचारी फेडरेशन का इसी मुद्दे को लेकर किया गया आंदोलन सरकारों के लिए नजीर है। फिर भी नजर अंदाजी की गई। ओपी चौधरी सहित कई अन्य नेताओं  के फेसबुक पर फिल्टर लगे होने की वजह से बहुत से कर्मचारी अपनी पीड़ा लिख नही पाए पर ट्विटर और अपने खुद के सोशल मिडिया वाल पर भड़ास निकाली। और चर्चा के लिए मोदी की गारंटी पर प्रश्न चिन्ह लगा गए कि गारंटी पूरी होगी पर सब के सब होगी यह तय नहीं है।ये चुनावी जुमला भी हो सकता है ।

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