CG Teacher Posting Scam: शिक्षा विभाग :पोस्टिंग घोटाले का एक और एंगल – अचानक नींद से जागकर कैसे एक्शन में आया सिस्टम?

Shri Mi
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CG Teacher Posting Scam।सरगुजा संभाग से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डॉ. प्रेम साय सिंह टेकाम के मंत्री पद से हटने के बाद एक डायलॉग बहुत चर्चा में रहा, जिसमें उन्होने कहा था- “इस्तीफा दिया नही जाता… ले लिया जाता है…।”

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उनके इस्तीफे के पीछे स्कूल शिक्षा विभाग का हाल फिलहाल का घटना क्रम है, यह फौरी तौर पर कहा नही जा सकता । लेकिन शिक्षा मंत्री के इस्तीफ़े के बाद विभाग में हो रहे ख़ुलासे और निलंबन की कार्रवाई को जोड़कर लोगों को नए एंगल तलाशने का मौक़ा भी मिल गया है।

यह तो साफ़ है कि शिक्षकों की पदोन्नति और उसके बाद संशोधन का विवाद इनके मंत्री पद से हटते ही शुरू हुआ है।ज़ाहिर सी बात है कि डॉ प्रेम साय सिंह टेकाम के स्कूल शिक्षा विभाग के मंत्री रहते हुए प्रदेश में शिक्षकों की पदोन्नति और संशोधन की पूरी प्रक्रिया हुई।

यह भी आम बात है कि इस दौरान चारों संयुक्त संचालक की मंत्री टेकाम से मुलाकात भी किसी न किसी बहाने होती ही रही है।ऐसे में इस बात से कैसे इंकार किया जा सकता है कि पदोन्नति के बाद संशोधन की जानकारी इन्हें भी थी। सूत्रों के मुताबिक कई संशोधन की सिफारिश इनकी ओर से भी की गई है।

मंत्री पद से हटने या हटाये जाने के बाद आखिर ऐसा क्या हुआ कि सरकार और शिक्षा विभाग का सिस्टम नींद से अचानक जाग गया। या फिर उन्हे हटाये जाने की वजह को परदे पर दिखाये जाने की कोशिश की जा रही है।

पीछे के पन्नों को पलटकर देखें तो डॉ प्रेम साय सिंह टेकाम 1980,1985, 1993, 1998, 2008, 2018 इस तरह चार बार अविभाजित मध्यप्रदेश और दो बार छत्तीसगढ़ बनने के बाद कांग्रेस से विधायक चुने गए।

इसके अलावा राज्य मंत्री, मध्य प्रदेश शासन, जल संसाधन एवं विधि विधायी कार्य विभाग से सफर शुरू करते हुए मध्य प्रदेश शासन में मछली पालन एवं डेयरी विकास , वन विभाग , राजस्व एवं पुनर्वास विभाग, कृषि, सहकारिता, पशुपालन एवं मछली पालन विभाग के मंत्री पद का दायित्व संभाल चुके है।

अनुभव और योग्यता के साथ ही अब तक की उपलब्धियां बहुत रही हैं।जिसे देखते हुए यह सवाल सहज़ ही अपनी ज़गह बना रहा है कि – जो व्यक्ति दर्जनों समितियों में सदस्य रहा हो उसी के विभाग में प्रदेश के शिक्षकों की पदोन्नति की सबसे बड़ी प्रक्रिया में बहुत बड़े पैमाने पर घोटाला चल रहा हो उसे ही नही पता लगे क्या ऐसा संभव है ..?

वह भी तब जब शिक्षा विभाग का ही अधिकारी उनका ओएसडी रहा हो । जिसके समकक्ष बहुत से जिले के शिक्षा अधिकारी व उप संचालक पूरे प्रदेश में है।विभाग में प्रमोशन और पोस्टिंग की प्रक्रिया बहुत पहले से ही चल रही है। नया सत्र शुरू होने से करीब-करीब पहले ही मिडिल स्कूल हेडमास्टर और यूडीटी अपनी पोस्टिंग की ज़गह पर पहुंचकर अपना काम शुरू कर चुके हैं। विभाग ने अब नए टास्क पर काम शुरू कर दिया है।

आज के दौर के हिसाब से प्रमोशन और पोस्टिंग की कहानी पुरानी हो चुकी है। ऐसे में नए सत्र के आगाज़ के साथ ही जैसे ही इस कहानी का नया पार्ट सामने आया है , शिक्षा जगत से जुड़े लोग इस पिक्चर के परदे के पीछे से उंगलियां चला रहे प्रोड्यूसर-डायरेक्टर सहित सभी परदे पर नज़र आ रहे किरदारों के रोल को भी सवालिया नज़रों से निहार रहे हैं।

अब ऐसा भी लगता है कि जो दिखाया जा रहा है वह दिख तो नही रहा है। स्कूल शिक्षा विभाग ने चुनावी साल में ठीक तीन महीने पहले शिक्षा मंत्री के हटते ही ऐसा किलोल राग छेड़ा की सरकार को हिलाने की क्षमता रखने वाले शिक्षक संघ भी बैकफुट में आ आये गए।

शिक्षकों की पदोन्नति के निरस्तीकरण करने के बहाने ऐसा जाल फेंका कि चार दर्जन से अधिक सत्ता में शामिल माननीयों, उनके निज सहायकों, जिला और जनपद स्तर के नेताओं व उच्च स्तर के अधिकारियों सहित प्रभावशील लोग रायपुर से फेंके गए जाल में उलझ गए। जिससे अब सारे खेला की चाबी एक दो हाथों में आकर सिमट गई है।

इधर ऐसा मानने वाले भी लोग हैं कि डॉ टेकाम के पद से हटाते ही बड़े पैमाने पर कार्यवाही होना आम घटना नहीं हो सकती । अब जो कार्यवाही होनी थी… हो गई। यह भी तय है कि पदोन्नति या संशोधन निरस्त करना इतना आसन भी नहीं। इसे सरकार भी जानती है।

क्योंकि संशोधन रिक्त पदों पर ही हुआ है। नियोक्ता के अधिकार क्षेत्र में हुआ है।लेन – देन के जो आरोप लगाये गए है। इसका कोई ठोस प्रमाण अब तक पेश नही किया गया है। निलंबित अधिकारी अब कोर्ट की ओर रुख तो जरूर करेंगे।पदोन्नति या संशोधन निरस्त होने की दशा में शिक्षक भी हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक जाने का मन बना चुके है।

अनुभवी पूर्व स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ प्रेम साय टेकाम ने शायद इस बात को नजरअंदाज कर दिया हो कि एक ओर शिक्षा विभाग की जमीन से जुड़े शिक्षक से प्राचार्य…. फिर पदोन्नत होकर बने अधिकारी हैं तो दूसरी ओर सरकार को चलाने नीति नियम बनाने वाले राज्य और केंद्रीय प्रशासनिक कैडर के अधिकारी…. अपने वर्चस्व कायम रखने की होड़ में लगे हुए हैं।जिसमे आम शिक्षक ही पिस रहा है।और सरकार उन्हे जो देना चाह रही है,उससे दूर होता भी नज़र आ रहा है।

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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