10 साल से कम उम्र के बच्चों में बढ़े कोरोना वायरस के मामले,यहां जाने क्या हो सकते हैं इसके कारण

Shri Mi
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दिल्ली।भारत (India) में कोरोना वायरस (Coronavirus) संक्रमण का इलाज करा रहे मरीजों यानि एक्टिव केस में बच्चों की संख्या में बढ़ोतरी देखने को मिली है. हाल ही में आयोजित बैठक में पेश किए गए एम्पावर्ड ग्रुप-1 (EG-1) के डेटा से इस बात की जानकारी मिली है. EG-1 के पास ही देश में कोरोना आपातकालीन रणनीति तैयार का जिम्मा है. इसके अनुसार इस साल मार्च के बाद से कुल सक्रिय मामलों में 10 साल से कम उम्र के कोविड पॉजिटिव बच्चों की हिस्सेदारी में लगातार बढ़ोतरी (Corona Cases Increased In Children) हुई है.

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आंकड़ों से पता चलता है कि कुल सक्रिय कोरोना मामलों (Total Active Corona Cases) में 1-10 साल की आयु के बच्चों की हिस्सेदारी इस साल मार्च में 2.80 प्रतिशत से बढ़कर अगस्त में 7.04 प्रतिशत हो गई है. यानी हर 100 एक्टिव कोरोना मामलों में से लगभग सात बच्चे हैं. इस बात पर जोर देते हुए कि बच्चों के प्रति “मामूली बदलाव” को “नाटकीय” नहीं कहा जा सकता है, विशेषज्ञों का कहना है कि 1-10 साल के आयु वर्ग में बढ़ते कोविड के मामले युवाओं के वायरस के प्रति कम सेंसिटिविटी का परिणाम हो सकते हैं.

डेटा को नीति आयोग के सदस्य वीके पॉल की अध्यक्षता में ईजी -1 की बैठक में प्रस्तुत किया गया था, जिसमें स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय सहित विभिन्न मंत्रालयों के अधिकारी उपस्थित थे. आंकड़े बताते हैं कि मार्च से पहले जून 2020 से फरवरी 2021 तक के नौ महीनों में, 1-10 वर्ष की आयु के बच्चे कुल सक्रिय मामलों के 2.72 प्रतिशत से 3.59 प्रतिशत के बीच थे.

मिजोरम में सबसे ज्यादा बच्चों में कोरोना

अगस्त के महीने में जिन 18 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के आंकड़े उपलब्ध हैं, उनमें से मिजोरम में बच्चों में कोरोना के मामले सबसे ज्यादा (कुल सक्रिय मामलों का 16.48 प्रतिशत) और दिल्ली में सबसे कम (2.25 प्रतिशत) थे. आठ राज्य – मिजोरम (16.48 प्रतिशत), मेघालय (9.35 प्रतिशत), मणिपुर (8.74 प्रतिशत), केरल (8.62 प्रतिशत), अंडमान और निकोबार द्वीप समूह (8.2 प्रतिशत), सिक्किम (8.02 प्रतिशत), दादरा और नगर हवेली (7.69 प्रतिशत) और अरुणाचल प्रदेश (7.38 प्रतिशत) – ने राष्ट्रीय औसत 7.04 प्रतिशत की तुलना में कोरोना वाले बच्चों का उच्च अनुपात दर्ज किया.

2021 के आखिर तक 17 प्रतिशत बच्चों को कोरोना होने का अनुमान

अगस्त के राष्ट्रीय औसत से कम अनुपात दर्ज करने वाले राज्य पुडुचेरी (6.95 प्रतिशत), गोवा (6.86 प्रतिशत), नागालैंड (5.48 प्रतिशत), असम (5.04 प्रतिशत), कर्नाटक (4.59 प्रतिशत), आंध्र प्रदेश (4.53 प्रतिशत) थे. ओडिशा (4.18 प्रतिशत), महाराष्ट्र (4.08 प्रतिशत), त्रिपुरा (3.54 प्रतिशत) और दिल्ली (2.25 प्रतिशत). जनसंख्या अनुमानों पर तकनीकी समूह की एक रिपोर्ट के अनुसार, मार्च 2021 के अंत तक 10 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के कुल जनसंख्या का लगभग 17 प्रतिशत होने का अनुमान है.

बच्चों में पॉजिटिविटी रेट 57-58 प्रतिशत

सूत्र ने बताया कि अस्पताल में बच्चों के भर्ती होने का रेशियो पहले की तुलना में अधिक है. उन्होंने कहा कि यह दो कारणों से हो सकता है या तो युवाओं में ज्यादा जागरूकता और सतर्कता है या बच्चें इसकी चपेट में ज्यादा आ रहे हैं. अगर हम सीरो सर्वेक्षणों को देखा जाए, तो बच्चों में पॉजिटिविटी रेट 57-58 प्रतिशत है. इससे पता चलता है कि बड़े पैमाने पर, बच्चे महामारी का हिस्सा हैं और हमेशा महामारी का हिस्सा रहे हैं.

भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) द्वारा जून और जुलाई में किए गए कोरोना के लिए राष्ट्रीय सीरो-सर्वेक्षण के चौथे और नवीनतम दौर से पता चलता है कि 6-9 आयु वर्ग के बच्चों में सीरो-प्रचलन 57.2 और 61.6 प्रतिशत था, जोकि 10 से 17 आयु वर्ग में पूरी आबादी के लिए 67.6 प्रतिशत से कम है. विशेषज्ञों का कहना है कि बच्चों में कोविड के बढ़ते मामले युवाओं में वायरस के प्रति कम संवेदनशीलता का परिणाम हो सकते हैं.

देश में कोरोना की स्थिति

वहीं, बच्चों में कोविड के मामलों से निपटने की रणनीति के बारे में पूछे जाने पर सूत्रों ने कहा कि बायोलॉजिकल ई जैसे वैक्सीन उम्मीदवार 10 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए आवश्यक मंजूरी लेने की प्रक्रिया में हैं. कोरोना की दूसरी लहर इस साल मार्च में शुरू हुई थी और मई के पहले सप्ताह में चरम पर थी, जब राष्ट्रीय नए मामले की संख्या 4.14 लाख थी. तब से, दूसरी लहर थम गई है. सोमवार को, भारत ने पिछले 24 घंटों में 27,254 नए मामले दर्ज किए, जिसमें सक्रिय केसलोएड 3,74,269 था.

इससे पहले, EG-1 ने बताया था कि कोरोना की अगली लहर में बच्चे प्रभावित हो सकते हैं, इस आशंका के मद्देनजर आईसीयू बेड के 5 प्रतिशत और गैर-आईसीयू ऑक्सीजन बेड के 4 प्रतिशत को बाल चिकित्सा देखभाल (Pediatric Care) के लिए रखा जाना चाहिए.

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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