कही-सुनी: महतारी वंदन योजना का पेंच खुला दिल्ली से

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(रवि भोई)कहते हैं 24 जनवरी के कैबिनेट में महतारी वंदन योजना को टाल दिया गया था और लगभग राय बन गई थी, इसे लोकसभा चुनाव के बाद लागू किया जाय, क्योंकि वित्तीय भार के साथ नियम-शर्ते भी तय नहीं हुआ था। बताते हैं भाजपा संगठन इस योजना को हर हाल में लोकसभा चुनाव के पहले लागू करवाना चाहता था। संगठन ने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय को योजना के लाभ -हानि से अवगत कराया और दिल्ली दरबार का दरवाजा भी खटखटाया। संगठन एवं दिल्ली दरबार की हरी झंडी से आखिरकार बात बन गई और 31 जनवरी को हुई कैबिनेट में योजना को मंजूरी दे दी गई। कहा जा रहा है महतारी योजना की लाभार्थी महिलाओं को एक मार्च से पैसा मिलना शुरू हो जाएगा। तकरीबन 72 लाख महिलाओं के लाभान्वित होने का अनुमान है। आयकरदाता परिवार की महिलाएं योजना से बाहर हो जाएंगी। केंद्र और राज्य सरकार की कर्मचारियों को भी योजना का लाभ नहीं मिलेगा। इसके अलावा भी कई शर्तें हैं। सरकार ने योजना का खाखा सार्वजनिक कर दिया है।

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गुजराती समाज की जोर आजमाइश: कहते हैं लोकसभा में भाजपा की टिकट के लिए गुजराती समाज के लोग जोर आजमाइश में लग गए हैं। कहा जा रहा है कि गुजराती समाज के प्रतिनिधि के तौर पर रायपुर लोकसभा से पूर्व विधायक देवजीभाई पटेल और महासमुंद सीट से प्रितेश गांधी भाजपा की टिकट मांग रहे रहे हैं। विधानसभा में देवजीभाई पटेल ने रायपुर उत्तर व धरसींवा सीट और प्रितेश गांधी ने धमतरी से टिकट की मांग की थी। दोनों को विधानसभा में उम्मीदवार नहीं बनाया गया। इनके अलावा भी गुजराती समाज से किसी को प्रत्याशी नहीं बनाया गया। एक समय में गुजराती समाज के दो भाजपा विधायक थे। विधानसभा चुनाव के वक्त गुजराती समाज ने प्रतिनिधित्व के लिए आवाज तो उठाई, पर अनसुनी कर दी गई। चर्चा है कि लोकसभा में टिकट के लिए अभी से कमर कस लिया है। इसके लिए गुजराती समाज का एक प्रतिनिधिमंडल जल्द ही दिल्ली और अहमदाबाद जाने वाला है। अब देखते हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह गुजराती समाज की बात कितनी सुनते हैं।

कहते हैं भाजपा के राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिव प्रकाश छत्तीसगढ़ के 11 लोकसभा सीटों के दावेदारों का फ़ाइनल परीक्षण करेंगे। खबर है कि शिव प्रकाश रविवार 04 फ़रवरी को रायपुर आकर दावेदारों के नामों को अंतिम रूप देने वाले हैं। कहा जा रहा है संगठन में पदाधिकारी बनाए गए नेताओं को लोकसभा चुनाव नहीं लड़ाया जाएगा। इस फार्मूले से लोकसभा की टिकट के दावेदार कुछ नेता दौड़ से बाहर हो जाएंगे। माना जा रहा है कि राज्य की 11 लोकसभा सीटों में से 5 -6 प्रत्याशियों की घोषणा इसी महीने कर दी जाएगी। चार आदिवासी सीटों और एक एससी सीट में नए चेहरे को उतारना लगभग तय माना जा रहा है। सामान्य सीटों में तीन ओबीसी के खाते में जा सकता है। सामान्य में एक ब्राम्हण और सामान्य वर्ग की महिला को उम्मीदवार बनाए जाने की अटकलें है।

क्या अब बारी डीएम अवस्थी की ?

विष्णुदेव साय की सरकार ने संविदा में नियुक्त डीजी जेल संजय पिल्लै को हटाकर राजेश मिश्रा को नियुक्त कर दिया है। 31 जनवरी को रिटायर राजेश मिश्रा को भी संविदा नियुक्ति दी गई है। संजय पिल्लै को हटाने के बाद अब संविदा में नियुक्त ईओडब्ल्यू के प्रभारी डीएम अवस्थी को बदले जाने की चर्चा शुरू हो गई है। अवस्थी डॉ रमनसिंह के कार्यकाल में कई साल ख़ुफ़िया प्रभारी रहे हैं और भाजपा और संघ के पदाधिकारियों से उनके अच्छे रिश्ते बताए जाते हैं। इसके बाद भी अवस्थी की जगह एडीजी एसआरपी कल्लूरी को ईओडब्ल्यू और एसीबी का प्रभारी बनाए जाने की कानाफूसी चल रही है। ईडी द्वारा कई घोटालों को लेकर ईओडब्ल्यू और एसीबी में एफआईआर दर्ज कराने के बाद छत्तीसगढ़ में इन दिनों यह बड़ी महत्व और सुर्ख़ियों वाली संस्था बन गई है।

अगले हफ्ते आईएएस की लिस्ट संभव

माना जा रहा है कि मतदाता सूची के अंतिम प्रकाशन और लोकसभा चुनाव की घोषणा से पहले सरकार आईएएस अफसरों की एक और तबादला सूची जारी कर सकती है। अभी तक के कार्यक्रम के मुताबिक़ मतदाता सूची का अंतिम प्रकाशन 8 फरवरी को हो जाएगा। चर्चा है कि इसके बाद कुछ आईएएस अफसरों में हेरफेर हो सकता है। कुछ कलेक्टर भी बदले जा सकते हैं। मंत्रालय और विभागाध्यक्ष कार्यालय में पदस्थ कुछ अफसरों के फील्ड में जाने और कुछ के जिलों से मंत्रालय में आने आईएएस अफसरों की नई ट्रांसफर लिस्ट निकल सकती है।

बुरे फंसे अमरजीत भगत

पूर्व मंत्री और कांग्रेस नेता अमरजीत भगत आयकर विभाग के टारगेट में आ ही गए। अमरजीत भगत जब मंत्री थे, तब तरह -तरह की चर्चाएं चलती रहती थीं। ईडी ने उन्हें कोयला लेवी मामले में भी लपेट दिया है। ईडी की एफआईआर में उनका नाम आ गया है। आयकर विभाग और ईडी के खेल में वे ऐसे फंस गए हैं, जैसा चूहा पिंजरे में फंस जाता है। केंद्रीय एजेंसियों ने सीतापुर से विधानसभा चुनाव हारने के बाद सरगुजा लोकसभा से कांग्रेस उम्मीदवार बनने का ख्वाब देख रहे अमरजीत के धन और छवि दोनों का मटियामेट कर दिया। विधानसभा चुनाव के पहले कांग्रेस की सरकार बनने की गारंटी देने और शर्त लगाने वाले अमरजीत अब गरीब बन गए हैं। अमरजीत ने मीडिया से कहा-एक गरीब को आईटी विभाग परेशान कर रहा है। अमरजीत कई फैक्टरियों और होटल के मालिक बताए जाते हैं।

मंत्री जी की कुलबुलाहट

कहते हैं साय मंत्रिमंडल के एक सदस्य अपना सूखापन दूर करने के लिए बड़े व्याकुल हैं। मंत्री बनने के बाद भी सूखापन उन्हें भा नहीं रहा है। पहली बार मंत्री बने नेताजी ने सूखापन दूर करने के लिए रमन राज में कई मंत्रियों के पास रह चुके एक खिलाड़ी को न्योता दिया, पर खिलाड़ी ने आमंत्रण ठुकरा दिया। बताते हैं सूखापन जल्दी दूर नहीं होने से मंत्री जी बड़े बैचेन हो रहे हैं। वैसे मंत्री जी अपनी टीम में सुर्ख़ियों में रहने वाले एक अफसर को शामिल कर लोगों की नजरों में चढ़ गए हैं। अब देखते हैं मंत्री जी संभलते हैं या अपनी राह में चलते हैं।

अफसर के मंत्रालय में दिखने पर ही चर्चा गर्म

इस हफ्ते केंद्र में पदस्थ एक आईएएस अधिकारी मंत्रालय की गलियारों में नजर आए तो चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया। इस अधिकारी के छत्तीसगढ़ लौटने की अटकलें तो काफी दिनों से चल रही है। बताते हैं ये अधिकारी भारत सरकार में अच्छे पद पर हैं और छत्तीसगढ़ आने पर उन्हें क्या मिलेगा, इस पर गाड़ी अटकी है। कहा जा रहा है ये अधिकारी मंत्रालय में अपने बैच मैट अफसरों से राय-मशविरा कर रहे हैं। रमन राज में ये अफसर कई जिलों के कलेक्टर और मुख्यमंत्री सचिवालय में भी रह चुके हैं। अब देखते हैं ये अफसर लौटते हैं या नहीं अथवा उनका मंत्रालय के गलियारों में दिखना केवल चर्चा बनकर रह जाती है।

उड़ान की फिराक में मंत्री जी

कहते हैं एक मंत्री जी राजधानी से निकलकर राज्य के हर जिले और संभाग में अफसरों की मीटिंग लेकर अपना रौब-दाब दिखाना चाहते हैं, पर ऐसा संभव नहीं हो पा रहा है। बताते हैं बिजनेस रूल में यह अधिकार तो मंत्री को नहीं है। मुख्यमंत्री ही ऐसा कर सकते हैं। मंत्री प्रभार जिलों में जाकर अफसरों की मीटिंग ले सकते हैं। कहा जा रहा कुछ शुभचिंतकों ने उन्हें सीमा में रहकर काम करने की सलाह दी है। मंत्री जी का मन तो मान नहीं रहा है। मन तो, चंचल जो ठहरा। खबर है कि मंत्री जी ने अपने आसपास रहने वालों को इसका तोड़ निकालने को कहा है। अब देखते हैं क्या होता है।

(लेखक पत्रिका समवेत सृजन के प्रबंध संपादक और स्वतंत्र पत्रकार हैं।)

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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