बिलासपुर— अजित जोगी के खिलाफ हाईपावर कमेटी के फैसले को लेकर दायर याचिका पर आज मुख्य न्यायाधीश टीबी राधाकृष्णन और शरद गुप्ता की डबल बैंच कोर्ट में सुनवाई हुई। कोर्ट ने समीरा पैकरा और नंदकुमार साय की जोगी जाति मामले में दायर हस्तक्षेप याचिका को खारिज कर दिया है। सन्तकुमार नेताम और और राष्ट्रीय अनुसूचित जन जाति आयोग को पक्षकार बनाया गया है।
अजीत प्रमोद जोगी की जाति मामले में आज हाईकोर्ट के डीबी में सुनवाई हुई। आज सुनवाई के दौरान बैंच ने जोगी की जाति मामले में समीरा पैकरा की दायर को खारिज कर दिया है। समीरा जोगी जाति मामले में किसी प्रकार की ठोस प्रमाण पेस नहीं कर सकी। इसी तरह नन्दकुमार साय की याचिका को भी कोर्ट ने सुनने के योग्य नहीं समझा। दोनों जोगी को गैर आदिवासी होने का हवाला देकर मरवाही अनुसूचित जनजाति क्षेत्र से विधानसभा चुनाव लड़ने का विरोध किया था।
मुख्यन्यायाधीश टी बी राधाकृष्णन और शरद गुप्ता के डबल बेंच ने संत कुमार नेताम और राष्ट्रीय अजजा आयोग को जोगी की जाति मामले में पक्षकार बनाया है। याचिका को वाद योग्य बताया है। 20 सितम्बर को लगातार दूसरे दिन भी मामले में सुनवाई होगी। अजित जोगी की तरफ से ब्रायन डिसिल्वा, राहुल त्यागी ने पैरवी की। संत कुमार नेताम के वकील आलोक बक्शी और नन्दकुमार साय की तरफ से उपेन्द्रनाथ अवस्थी ने पक्ष को कोर्ट के सामने रखा।
संतकुमार नेताम ने बताया कि नन्दकुमार साय की याचिका चूंकि खारिज हो चुकी है। इसलिए व्यक्तिगत तौर पर अपने पक्ष नहीं रख सकते हैं। चूंकि नन्दकुमार साय अनुसूचित जन जाति आयोग के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। इसलिए आयोग की तरफ से अपनी बातों को कोर्ट में रखेंगे। आयोग ने पहले ही जोगी को गैरआदिवासी बताया है। तात्कालीन समय दीलिप सिंह भूरिया राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष थे।
मैं अभी भी मामले में हूं
राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष नन्दकुमार साय ने बताया कि यह सच है कि मेरी याचिका को कोर्ट ने खारिज कर दिया है। लेकिन अभी घटना क्रम में हूं। राष्ट्रीय आयोग के अध्यक्ष होने के नाते मैं जोगी की जाति मामले में पक्ष रखूंगा। समीरा पैकरा की भी याचिका खारिज हो चुकी है।