बिलासपुर। छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डाॅ. किरणमयी नायक द्वारा महिला उत्पीड़न से संबंधित प्रकरणों की जनसुनवाई के दौरान आज दो जोड़े परिवारों के बीच सुलह करायी गयी। यह पहला अवसर था, जिसमें पत्नियों के अलग-अलग आवेदन थे और अलग-अलग शिकायत थी। दोनों के पतियों और उनके परिजनों को विस्तार से समझाईश दी गयी। जिस पर दोनों दम्पत्ति ने पुराने मतभेद भुलाकर फिर से साथ रहने की सहमति दी। सुनवाई में 23 प्रकरण रखे गये थे, जिनमें से 11 प्रकरण मौके पर ही निराकृत किये गये।
प्रार्थना सभा भवन में आज आयोजित सुनवाई में रामायण चैक चांटीडीह बिलासपुर निवासी एक आवेदिका ने अपने पति एवं ससुर के खिलाफ दहेज प्रताड़ना की शिकायत की थी कि उनके द्वारा दहेज के लिये आवेदिका को धमकाया जा रहा है, इसलिये वे अपने पति के साथ नहीं रह रही है। श्रीमती नायक ने इस प्रकरण को गंभीरता से सुना एवं इस पर निर्णय लेते हुए आवेदिका को कुछ शर्तों के साथ समझौता कर ससुराल जाने के लिये कहा। दोनों पक्ष समझौता के लिये तैयार थे, आवेदिका ने शर्त रखी कि अनावेदक शराब पीकर लड़ाई नहीं करेगा एवं मजदूरी पर जाने के लिये आवेदिका को परेशान नहीं करेगा।
इन शर्तों के साथ ही आवेदिका राजीखुशी से अनावेदक के साथ जाने को तैयार हुयी। किंतु इस प्रकरण में नियमित निगरानी के लिये जिला पंचायत मुंगेली की पूर्व सदस्य श्रीमती मायारानी सिंह को अधिकृत किया गया। वे उभयपक्ष को किसी प्रकार की समस्या होने पर तत्काल सूचना देगी। इसी प्रकार नीतूकरही निवासी आवेदिका ने अनावेदक के खिलाफ भरण-पोषण नहीं करने एवं शराब पीकर मारपीट करने की शिकायत की थी। जिससे परेशान होकर वह अपने मायके में निवास कर रही थी। आयोग की अध्यक्ष ने इस प्रकरण में भी बच्चे की बेहतरी के लिये दोनों को साथ रहने की समझाईश दी।
आवेदिका ने कुछ शर्तों के साथ अनावेदक के साथ रहने पर सहमति दी। इस प्रकरण की निगरनी एक साल तक करने के लिये आयोग की ओर से शिल्पी तिवारी एवं सरपंच नरोत्तम पटेल को अधिकृत किया गया। बिलासपुर निवासी आवेदिका ने अनावेदक पुलिस आरक्षक के ऊपर दैहिक शोषण का आरोप लगाया। इस प्रकरण को गंभीरता से सुनते हुए अध्यक्ष ने निर्णय दिया कि अनावेदक पुलिस का प्रधान आरक्षक है और शादी-शुदा होने के बावजूद आवेदिका के साथ अवैध संबंध में रहा। यह सिविल सेवा आचरण संहिता का स्पष्ट उल्लंघन है।
इस संबंध में बिलासपुर आईजी को पत्र भेजने का निर्देश दिया गया एवं प्रधान आरक्षक को सुनवाई का अवसर देते हुए दस्तावेजों के आधार पर सेवा से निलंबित करने कहा एवं दोषी पाये जाने पर सेवा समाप्त करने का आदेश दिया। उन्होंने कहा कि शासकीय सेवकों का इस तरह महिला विरोधी आचरण बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। बिलासपुर निवासी दो आवेदिकाओं द्वारा नौकरी से निकालने पर मानसिक प्रताड़ना की शिकायत की। आयोग में उपस्थित अनावेदक ने बताया कि शासन से उन्हें कोई भी अनुदान नहीं दिया जाता है। इस प्रकरण में आयोग की अध्यक्ष ने निर्णय दिया कि शिक्षण संस्था प्रायवेट संस्था है। शासन से कोई अनुदान प्राप्त नहीं होता है। जिससे प्रकरण की सुनवाई आयोग के क्षेत्राधिकार में नहीं होने से दोनों प्रकरणों को नस्तीबद्ध किया जाता है।