अनापत्ती प्रमाण पत्र देने पर करेंगे विरोध..पार्षद और ग्रामीणों की मांग…बस्ती से हटाएं कोल प्लांट

BHASKAR MISHRA
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IMG20180115131211बिलासपुर—कोटा जनपद पंचायत पार्षदों के साथ स्थानीय लोगों ने मेसर्स ओमेक्स मिनरल्स प्राइवेट लिमिटेट के कोयला और क्रेशर प्लांट का विरोध किया है। जनप्रतिनिधियों के साथ पीडितों ने जिला प्रशासन से कम्पनी को अनापत्ति प्रमाण नहीं दिए जाने की गुहार लगाई है। पीड़ितों ने बताया कि क्रेशर और कोयला प्लांट खुलने के बाद क्षेत्र को काफी आर्थिक और स्वास्थ्यगत परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। शिकायतकर्ताओं ने जिला प्रशासन को बताया कि कम्पनी जिस स्थान के लिए शासन से अनापत्ति प्रमाण पत्र चाहती है। वहां स्कूल और घनी बस्ती के साथ सभी विभागों के कार्यालय हैं।

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                                         कोटा जनपद पंचायत पार्षद और जनप्रतिनिधियों के साथ स्थानीय लोगों ने कोल और क्रेशर प्लांट खोले जाने का विरोध किया है। ग्रामीणों ने जिला प्रशासन को बताया कि जिस स्थान पर कोल और क्रेशर प्लांट खोलने की बात की जा रही है। उस स्थान के पास पास घनी आबादी और शासकीय कार्यालय हैं। कोर्ट,स्कूल एसडीएम कार्यालय समेत सरकार के सभी संस्थान करीब 200 मीटर के आसपास ही हैं। तालाब भी हैं जहां से ग्रामीणों की निस्तारी होती है।

             कोटा जनपद पंचायत पार्षद प्रमोद कौशिक ने बताया कि मेसर्स ओमेक्स मिनरल्स पाइवेट कम्पनी ने बिना अनुमति के भारी मात्रा में कोयले का संग्रहण किया गया है। कोयला संग्रहण के चलते आस पास की जमीन बंजर हो रही है। घरों और शासकीय कार्यालयों में काली चादर की परत बिछ जाती है। तालाब का पानी गंदा हो रहा है। स्कूल के बच्चे कोयला प्लांट से परेशान हैं। शासकीय कार्यालयों के कर्मचारियों में आक्रोश है।

                 जनप्रतिनिधि और ग्रामीणों ने बताया कि कोयला प्लांट होने से भारी वाहनों का आवागमन हो रहा है। घनी बस्ती और शासकीय कार्यालय होेने के कारण हमेशा दुर्घटना की आशंका बनी रहती है। कई बार लोग जानी की कीमत पर घटना के शिकार हो चुके हैं। जिला प्रशासन से गुहार लगाते हुए ग्रामीणों ने कहा कि जनहित में देखते हुए खनिज विभाग मेसर्स ओमेक्स को अनापत्ति प्रमाण ना देते हुए प्लांट को कहीं दूसरी जगह शिफ्ट करने को कहे।

            ग्रामीणों ने पत्रकारों को बताया कि यदि हमारी बातों को गंभीरता से नहीं लिया जाता है तो कम्पनी का विरोध किया जाएगा। प्लांट में होने वाले अवैध निर्माण पर भी लगाम लगाया जाए। यदि 15 दिनों के अन्दर प्लांट को बंद नहीं किया जाता है तो शांति पूर्ण धरना प्रदर्शन किया जाएगा। जरूरत पड़ने पर उग्र आंदोलन का रास्ता भी अख्तियार किया जाएगा।

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