
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की ओर से जारी किए गए ताजा आंकड़ों के मुताबिक, पिछले साल की तुलना में 2021 में महिलाओं के खिलाफ अपराध में 15.3 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। जहां साल 2020 में 3 लाख 71 हजार 503 मामले दर्ज हुए थे। वहीं, साल 2021 में 4 लाख 28 हजार 278 मामले दर्ज किए गए हैं।एनसीआरबी की रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तर प्रदेश में पिछले साल 2021 में महिलाओं के खिलाफ सबसे अधिक अपराधिक मामले (56 हजार 083) दर्ज किए गए। महिलाओं के खिलाफ 40 हजार 738 अपराधों के साथ राजस्थान दूसरे नंबर पर आता है। इसके बाद महाराष्ट्र में 2021 में 39 हजार 526 ऐसे मामले दर्ज किए गए। वहीं, बलात्कार के दर्ज किए गए मुकदमों में राजस्थान देशभर में नंबर वन पर है।
बता दें, एनसीआरबी की रिपोर्ट से यह भी पता चलता है कि देश भर में महिलाओं के खिलाफ अपराध की दर (प्रति एक लाख जनसंख्या पर घटनाओं की संख्या) 2020 में 56.5 प्रतिशत से बढ़कर साल 2021 में 64.5 प्रतिशत हो गई है इनमें से 31.8 फीसदी मामले पति या उसके रिश्तेदारों की ओर से क्रूरता और महिला अपहरण (17.6 प्रतिशत) और बलात्कार (7.4 प्रतिशत) के मामले शामिल हैं।
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, देश भर से 2020 और 2021 में राजस्थान में बलात्कार के सर्वाधिक मामले सामने आए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, राजस्थान ने साल 2020 और 2021 में क्रमशः 5 हजार 310 और 6 हजार 337 बलात्कार के सबसे अधिक मामले दर्ज किए। इसके बाद मध्य प्रदेश 2020 और 2021 में बलात्कार के मामलों के मामले में लगभग समान संख्या के साथ दूसरे स्थान पर रहा है। जहां साल 2020 में 2 हजार 339 मामले थे, जो साल 2021 में बढ़कर 2 हजार 947 हो गए।
राजस्थान में साल 2021 में दर्ज किए गए बलात्कार के मामलों की दर 16.4 प्रतिशत के साथ सबसे ज्यादा है। राजस्थान में साल 2021 में सबसे अधिक नाबालिग लड़कियों के साथ बलात्कार के 1 हजार 453 मामले दर्ज किए गए। वहीं, कुल मिलाकर पिछले साल देश में बलात्कार के 31 हजार 677 मामले दर्ज किए गए, जो पिछले 5 साल में 2018 की तुलना में मामूली गिरावट को दर्शाता है। गौरतलब है, रेप केस के मामलों में राजस्थान 2020 से टॉप पर है। वहीं, दुष्कर्म और महिला हिंसा को लेकर अपराध का ग्राफ राज्य में लगातार बढ़ता जा रहा है।
राज्य में लागू है FIR पॉलिसी
मालूम हो कि राजस्थान सरकार ने अपराधों के मामले में पुलिस थानों में एफआईआर दर्ज करना अनिवार्य कर रखा है। वहीं, मुख्यमंत्री अशोत गहलोत ने हाल में कहा था कि राज्य सरकार ने थानों में हर फरियादी की एफआईआर दर्ज करने के लिए अनिवार्य पंजीकरण नीति अपनाने का साहस दिखाया है, जिससे परिवादों के पंजीकरण में भले ही बढ़ोतरी हुई है। लेकिन इसका मतलब यह कतई नहीं है कि वास्तविक रूप में अपराध भी बढ़े हैं। वहीं, राजस्थान पुलिस ने हाल में एक डेटा जारी किया था, जिसमें बताया गया है कि रेप और छेड़छाड़ के दर्ज केस में जनवरी से जुलाई तक जितने केस दर्ज हुए उनमें से 48 फीसदी मामले जांच के बाद या दौरान झूठे पाए गए थे।
सांप्रदायिक हिंसा में 5वें नंबर पर राजस्थान
इसके अलावा नेशनल क्राइम रिपोर्ट ब्यूरो की साल 2021 के डेटा के मुताबिक, पूरे देश में सांप्रदायिक हिंसा के 378 मामले दर्ज किए गए हैं, जिसमें से उत्तर प्रदेश में सिर्फ एक मामला दर्ज हुआ है। वहीं बिहार में 51, महाराष्ट्र में 100, झारखण्ड में 77 और हरियाणा में 40 मामले दर्ज हुए हैं। इन मामलों में राजस्थान पांचवें नंबर पर है।