ड्रग पैडलर गौरव शुक्ला भर्तियों में भी किया लाखों रूपयों का खेल..प्राइम वन और A टू Z में था मैनेजर..रूपये लेकर करता था कर्मचारियों की नियुक्ति

BHASKAR MISHRA
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 बिलासपुर—नशे के कारोबार में गिरफ्तार ड्रग पैडलर गौरव शुक्ला का आबकारी से भी गहरा नाता है। गौरव शुक्ला मैन पावर एजेंसी की प्राइम वन और ए टू जेड में मैनेजर काम करात था। मैनेजर रहते हुए गौरव शुक्ला पर आरोप है कि सैल्समैन और सुपरवाइजर की भर्तियों में बेरोजगारों से लाखों रूपयो की वसूली की है।

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                      रायपुर और बिलासपुर पुलिस पिछले कुछ दिनों से ड्रग्स से जुड़े कारोबारियों के खिलाफ पुलिस लगातार गिरफ्तारी अभियान चला रही है। पुलिस टीम अभी तक ड्रग कारोबार से जुड़े अभिषेक शुक्ला उर्फ डेविड, मोहम्मद मिन्हाज मेमन उर्फ हनी, एलिन सोरेन, रोहित आहूजा, राकेश अरोरा उर्फ सोनू, लक्ष्मण गाईन एवं अब्दुल अजीज उर्फ सद्दाम को गिरफ्तार कर चुकी है।

                                      आरोपियों से पूछताछ के बाद पुलिस ने ड्रग व्ववसाय से जुड़े गौरव शुक्ला और आशीष जोशी को भी धर दबोचा है। दोनों आरोपियों के कब्जे से पुलिस ने मोबाईल को जब्त किया है। गिरफ्तार आरोपी गौरव शुक्ला और  आशीष जोशी से पुलिस टीम कारोबार से जुड़े अन्य लोगों के बारे में पूछताछ कर रही है। 

          सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार ड्रग पैडलर गौरव शुक्ला आबकारी विभाग के लिए काम करने वाली मैन पावर कम्पनी से गहरा नाता है। गौरव शुक्ला मैनपावर एजेंसी की कम्पनियों में मैनेजर का काम करता था।

                 सूत्र ने बताया कि गौरव शुक्ला बिलासपुर समेत अन्य कुछ जिलों में मैनपावर एजेन्सी के प्राइम वन और ए टू जेड में मैनेजर था। बताते चलें कि कार्पोरेशन बनने के बाद आबकारी विभाग की मांग पर जब तब मैन पावर कम्पनी शराब दुकानों के लिए  सैल्समैन, सुपरवाइजर की नियुक्तियां करती है। शराब दुकानों की सभी नियुक्तियां मैनेजर के माध्यम से ही होता है। 

                        गौरव शुक्ला ने मैन पावर एजेन्सी के पाइम वन और ए टू जे़ड का मैनेजर रहते हुए सैकड़ों लोग को सै्लसमैन और सुपरवाइजर बनाया। इस दौरान उसने लाखों रूपए कमाए। जानकारी के अनुसार सैल्समैन और सुपरवाइजर की भर्ती में किसी प्रकार का शुल्क निश्चित नहीं था। बावजूद इसके गौरव शुक्ला ने दोनों हाथों से बेरोजगारों को लूटा। और अधिकारियों के साथ मिलकर रूपयों का बंटवारा भी किाय। 

                              आश्चर्य की बात है कि पुलिस अभी तक यह जानकारी पुलिस को क्यों नहीं है कि गौरव शुक्ला प्राइम वन और ए टू जेड कम्पनी में मैनेजर का काम करता था। जांच होने की सूरत में.. पूरी संभावना है कि  ड्रग पैडलर गौराव  का आबकारी और मैन पावर के रिश्ते में कुछ नयी जानकारी जरूरी मिलेगी। 

  भर्तियों में नहीं होता वेरीफिकेशन..अपराधियों का जमावड़ा

                   जानकारी हो कि शराब दुकान रख रखाव और शराब बेचने की जिम्मेदारी शासन ने मैनपावर को दिया है। इसी अधिकार के तहत मैन पावर की प्राइम वन और ए टू जेड कम्पनियां सैल्समैन और सुपरवाइजरों की भर्ती करती है। भर्ती के दौरान किसी का भी अपराधिक रिकार्ड नहीं खंगाला जाता है। ऐसी स्थिति में सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि बिलासपुर समेत प्रदेश में गौरव शुक्ला जैसे कितने अपराधिक रिकार्ड वाले शराब दुकान में रहकर अपराध को देते होंगे।

                     बताते चलें कि किराएदार रखने से पहले मकान मालिक दस्तावेज पुलिस स्टेशन स्टेशन को देता है। लेकिन शराब दुकानों में भर्तिया करते समय  इन सब बातों का ध्यान नहीं दिया जाता है। यही कारण है कि  सरकार की आबकारी दुकानों से आए दिन सुपरवाइजर और सैल्समैनों की शिकायतें मिलती रहती है।बावजूद इसके एक बार भी किसी सैल्समैन या सुपरवाइजर का पुलिस वेरीफिकेशन नहीं हुआ। यही कारण है कि सभी कर्मचारी शराब दुकानों में जमकर मिलावट खोरी करते हैं। पकड़े जाने पर उन्हें बिना कार्रवाई के ही उन्हें छोड़ भी दिया जाता है। आबकारी अधिकारी भी इस स्थिति में नहीं होता कि कार्रवाई के लिए कम्पनी पर दबाव डाल सके। क्योंकि कम्पनी रूपयों के दम पर अधिकारियों पर दबाव बनाकर रखता है।

                        यही कारण है कि गौरव शुक्ला जैसे पैडलर आबकारी विभाग की दुकानों से पाए जाते है।  जानकारी तो यह भी है कि मैन पावर गौरव शुक्ला जैसे ही अपराधिक तत्वों को ही नियुक्त करता है। यदि पुलिस छानबीन करे तो शराब दुकानों में भर्ती किए गए कर्मचारियों में कई गौरव शुक्ला सामने आ जाएंगे। इसलिए मैन पावर कम्पनी के मालिका से भी पूछताछ जरूरी है।

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