बिलासपुर— एनटीपीसी भूविस्थापित परिवार के सदस्यों ने मुंगेली नाका चौक स्थित मैदान में भूखा रहकर एक दिवसीय धरना प्रदर्शन किया। भू विस्थापित परिवार के सदस्यों ने जिला प्रशासन से एनटीपीसी में नौकरी लगाने की मांग की। ग्रामीणों ने कहा कि नौकरी नहीं तो कम से कम एनटीपीसी जमीन ही वापस कर दे।
पीड़ित लोगों ने बताया कि जमीन अधिग्रहण के बाद एनटीपीसी ने शर्तों के अनुसार अभी तक पांच सौ से अधिक लोगों को नौकरी नहीं दी है। नौकरी देने से बचने के लिए एनटीपीसी प्रबंधन आरक्षण का बहाना बना रहा है। जबकि भूमि अधिग्रहण के समय ऐसी कोई शर्त थी ही नहीं। यदि है तो एनटीपीसी प्रबंधन जमीन वापिस करे।
एक दिवसीय हड़ताल पर बैठे भूखे प्यासे भू विस्थापितों ने बताया कि एनटीपीसी ने वादा किया था कि 692 लोगों को नौकरी दी जाएगी। लेकिन पिछले 20 सालों में मात्र 70 लोगों को ही नौकरी मिली है। नौकरी देने से बचने के लिए एनटीपीसी प्रबंधन रोज नए नियम गढ़ता है। अब आरक्षण के अनुसार भर्ती करने की बात कही जा रही है। जबकि भूमि अधिग्रहण के समय शासन ने कहा था कि भू विस्थापित परिवार के सदस्यों को एनटीपीसी में नौकरी दी जाएगी। पिछले बीस साल में पांच सौ से अधिक लोग नौकरी के इंतजार में बूढे हो गए हैं। नाबालिग अधेड़ हो चुके हैं। लेकिन एनटीपीसी ने जरूरत मंद विस्थापितों को नौकरी नहीं दी है। अब नौकरी देने से बचने के लिए आरक्षण को ढाल बनाया जा रहा है।
भूख हड़ताल पर बैठे ग्रामीणों के अनुसार भू विस्थापितो के विरोध और मांग पर जिला प्रशासन ने मंथन सभागार में त्रिपक्षीय बैठक का आयोजन किया था। 30 दिसम्बर को आयोजित बैठक में सांसद,विधायक,जिला प्रशासन, प्रभावित ग्रामीण और स्थानीय जन प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। इस दौरान आरक्षण के नियम को हटाने पर बातचीत हुई । सारी प्रक्रिया तीन महीने के अन्दर पूरी करने को कहा गया। लेकिन आज तक मामले में निर्णय नहीं किया गया। इससे जाहिर होता है कि एनटीपीसी के मंसूबे ठीक नहीं है। जिला प्रशासन से मांग करते हुए ग्रामीणों ने कहा कि जो भी निर्णय है तत्काल लिया जाए।
एक दिवसीय भूख हड़ताल के बाद भू विस्थापित ग्रामीणों ने मुंगेली नाका चौक मैदान से कलेक्टर कार्यालय तक रैली की शक्ल में पहुंचे। जिला प्रशासन के सामने लिखित मांग पेश कर अपनी बातों को रखा। ग्रामीणों ने कहा कि यदि हमारे साथ अन्याय किया गया तो सभी भू विस्थापित सामुहिक आत्महत्या करने को मजबूर होंगे।