कहानी संग्रह का विमोचन,नारी-विमर्श का प्रादर्श है “नारायणी”

Chief Editor

बिलासपुर/छंदशाला के तत्वावधान में नारायणी कहानी संग्रह का विमोचन करते थावे विद्यापीठ के कुलपति डॉ.विनय कुमार पाठक ने कहा-नारी-विमर्श का प्रादर्श है नारायणी।
उन्होंने आगे कहा कि प्रस्तुत कृति में अधिसंख्य कहानियां नारी केंद्रित हैं जो भारतीय संस्कृति की पीठिका पर अवस्थित नारी-विमर्श का प्रादर्श कही जा सकती है।इसमें परंपरा भी है और प्रगतिशीलता भी,सभ्यता है और संस्कृति भी, आधुनिकता की आंक और समका- लीनता की जाँच भी।उन्होंने नारी से नारायणी की ओर निर्दिष्ट इस संग्रह के वैशिष्ट्य पर भी प्रकाश डाला।

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कार्यक्रम की अध्यक्षता करते वरिष्ठ कवि विजय तिवारी  ने कहा-कहानी अपने आसपास की घटनाएं एवं स्वयं का भोगा यथार्थ होती हैं।विशिष्ट अतिथि साहित्यकार एवं पत्रकार केशव शुक्ला ने कहा- घटनाएं-दुर्घटनाएं निरंतर होती रहती हैं,इनमें से लोकमंगल,लोक-रंजक भावों का सूक्ष्म निरीक्षण कर कहानी -कार कहानी रचता है।
इससे पूर्व कहानीकार डॉ. सर्वेश पाठक  ने अपने नारायणी संग्रह के विषय में प्रकाश डाला।उनके पति प्रो.देवेंद्र पाठक डॉ.सर्वेश की रचनाधर्मिता के संदर्भ में प्रकाश डाला।
शाम मियों द केट्स कैफे में इस गरिमामय कार्यक्रम का संचालन छंदशाला की संयोजिका डॉ.सुनीता मिश्रा ने किया।कार्यक्रम को श्रीमती सुप्रिया तिवारी ने भी संबोधित किया।
इस अवसर पर आकाशवाणी के कार्यक्रम अधिकारी महेंद्र साहू, बुधराम यादव,ओ.पी भट्ट,विनय पाठक (रेशम केंद्र),डॉ.ए.के.यदु, डॉ.संगीता बनाफ़र,श्रीमती आभा गुप्ता,शैलेन्द्र गुप्ता,दामोदर मिश्र, शोभित तिवारी,श्रीमती मनीषा भट्ट,मयंक मणि दुबे,अशरफी लाल सोनी,सुषमा पाठक,कामना पांडेय, अमृतलाल पाठक,शिवमंगल शुक्ल, श्रीमती अंतिमा दुबे,बुक्स क्लिनिक पब्लिकेशन के डॉयरेक्टर हितेश सिंह बिसेन,कव्हर डिजाइनर आर्यन आदि उपस्थित थे।अतिथियों का स्वागत एवं सम्मान भी हुआ।अंत में आभार प्रो.देवेंद्र पाठक ने व्यक्त किया।

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