बिलासपुर— बिलासपुर तहसील का में कुल 45 पटवारी हैं। सभी पटवारियों का अपना हल्का है। लेकिन एक पटवारी पिछले आठ महीने से गायब है। इसकी खबर ना तो तहसीलदार को है और ना ही एसडीएम को। आखिर पटवारी गया कहां…किसी को जानकारी है। नियमानुसार तहसीलदार को तीन महीने बाद पटवारी की खोज खबर करना चाहिए। लेकिन ऐसा हुआ नहीं…। मामले को दबाने का प्रयास किया जा रहा है। जानकारी मिली है कि कुछ लोग मामले को प्रभारी मंत्री के सामने रखने वाले हैं।
बिलासपुर तहसील का एक पटवारी पिछले 8 महीने से कार्यालय नहीं आ रहा है। तहसील प्रशासन मामले को लेकर मौन है। पटवारी कहां है किसी को नहीं मालूम…। उपस्थित पत्र में नहीं है। क्योंकि नाम होने का सवाल ही नहीं उठता है। कानून गो ओपी तिवारी ने बताया कि बिलासपुर में उपस्थिति पत्रक नहीं होता है। आरआई के निर्देश पर पटवारियों का वेतन बनता है। कानून गो ओपी तिवारी ने बताया कि बहरहाल गायब कौन है इसकी उन्हें जानकारी नहीं है।
शासन के कर्मचारी गाइड लाइन के अनुसार यदि कर्मचारी एक दिन के लिए भी कार्यालय से बाहर होता है तो संबधित विभाग के अधिकारियों को जानकारी देना जरूरी है। लेकिन पिछले एक साल बिलासपुर का एक पटवारी गायब है। बताया जा रहा है कि उस पटवारी को तहसील प्रशासन ने छुट्टियों को मिलाकर अगस्त से दिसम्बर तक वेतन निकाला। इस दौरान पटवारी ने कुछ दिन या महीने काम किया। इसके बाद जनवरी से पटवारी ने काम करना बंद कर दिया। धीरे धीरे मामला आठवे महीने से नवमें महीने तक पहुंच गया। लेकिन पटवारी की सुध लेने के लिए किसी अधिकारी ने मुनासिब नहीं समझा।
तहसीलदार देवी सिंह उइके ने बताया कि गायब पटवारी को नोटिस भेजा गया लेकिन जवाब नहीं मिला है। शासन की गाइड लाइन के अनुसार तीन महीने से अधिक समय तक अनुपस्थित होने पर गायब कर्मचारी के घर सूचना दी जानी चाहिए। यदि लगता है कि कर्मचारी जानबूझकर उपस्थित नहीं हो रहा है तो आलाधिकारियों को विश्वास में लेने के बाद थाने को सूचित करना होता है। लेकिन बिलासपुर तहसीलदार ने ऐसा कुछ नहीं किया। एसडीएम आलोक पाण्डेय के अनुसार गायब कर्मचारी के मामले में किसी भी प्रकार की कार्रवाई तहसीदार को ही करना है।
उपस्थित पत्रक
तहसील कार्यालय में नियमानुसार उपस्थित पत्रक होता है। इसी आधार पर कर्मचारियों समेत पटवारियों की उपस्थिति और वेतन का निर्धारित होता है। आरआई के निर्देश पर कानून गो वेतन बनाता है। तहसीलदार के हस्ताक्षर के बाद पटवारियों का वेतन मिलता है। चूंकि तहसीलदार तहसील का मुखिया होता है। उसे इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि कौन पटवारी कहां और क्या कर रहा है। लेकिन देवी सिंह उइके को जानकारी नहीं है कि गायब पटवारी कौन है और कब से लापता है। बावजूद इसके उन्होने इसकी सूचना ना तो एसडीएम को दी और ना ही कलेक्टर के संज्ञान में लाया।
पटवारी गायब है नोटिस भी दिया..जवाब नहीं मिला
बिलासपुर तहसीलदार देवी सिंह उइके ने बताया कि गायब पटवारी को दो तीन बार नोटिस दिया गया है। लेकिन उन्होने अभी तक जवाब नहीं दिया है। यह सच है उस पटवारी को अगस्त से दिसम्बर के बीच का वेतन दिया गया। जनवरी से अभी तक काम पर नहीं आया है। उइके ने बताया कि गायब कर्मचारी का वेतन भी नहीं बन रहा है। इसकी जानकारी आलाधिकारियों को दूंगा। अधिकारियों की अनुमति के बाद ही उचित जगह शिकायत दर्ज की जाएगी। अधिकारियों के निर्देश के बाद गायब पटवारी की छानबीन की जाएगी। उइके ने कहा कि मैं कर भी क्या सकता हूं। जैसा बड़े अधिकारियों का आदेश होगा उसी के अनुसार काम करूंगा। क्योंकि मैं यहां स्थायी नहीं हूं।
जांच कराएंगे…पुराने मामले को भी खंगालेंगे
अतिरिक्त कलेक्टर के.डी.कुंजाम ने कहा कि गायब पटवारी की जानकारी मांगेंगे। कहां है इसका पता लगाया जाएगा। जिसकी बात की जा रही है उसके खिलाफ जांच भी चल रही है। तहसीलदार से पूछूंगा कि आखिर गायब पटवारी का पता क्यों नहीं लगाया गया। जनवरी से अभी तक कार्यालय को इसकी जानकारी क्यों नहीं दी गयी कि पटवारी गायब है।
मेरा कोई अधिकार नहीं
बिलासपुर एसडीएम आलोक पाण्डेय ने बताया कि गायब पटवारी की मुझे जानकारी नहीं है। तहसीलदार ने भी इस बात का जिक्र नहीं किया। पता लगाएंगे कि आखिर ऐसा क्यों है।