बिलासपुर—पिछले दिनों राज्य के कैबिनेट और वन मंत्री मोहम्मद अकबर बिलासपुर प्रवास पर थे। उन्होने बताया कि सरकार ने मुंगेली जिला स्थित अचानकमार को टाइगर रिजर्व बनाने संकल्प लिया है। पूरी तैयारी भी हो चुकी है। शासन का प्रयास है कि कान्हा किसली की तरह अचानकमार टाइगर रिजर्व को भी देखने लोग देश विदेश से आएं।
आइए सुनते हैं वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने अचानकमार टाइगर रिजर्व को लेकर क्या एलान किया।
वन मंत्री के बयान के बाद जंगल प्रेमी काफी नाराज नजर आ रहे हैं। पत्रकारिता क्षेत्र से नाता रखने और वर्तमान में जंगल के रहस्य को नजदीक से समझने बूझने वाले प्राण चड्डा, सत्य प्रकाश पाण्डेय और शिरीष डामरे ने बताया कि मंत्री के बयान से उन्हें झटका लगा है। अचानकमार को बहुत पहले ही..शायद 2009 से टाइगर रिजर्व का दर्जा हासिल है। बयान से जाहिर होता है कि सरकार जंगल और वन्य जीवों के प्रति बहुत ही उदासीन है। इसके लिए सीधे तौर पर जंगल विभाग के अधिकारी हैं।
कहां है अचानकमार टाइगर रिजर्व
अचानकमार टाइगर रिजर्व सतपुड़ा के 554वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला विशाल जंगल है। विशाल पहाड़ियों के मैकाल रेंज में साल, बांस और सागौन समेत सरई के घने जंगल हैं। अचानकमार अभ्यारण्य की स्थापना 1975 में हुई। 2007 में बायोस्फीयर घोषित किया गया। 2009 में अचानकमार अभ्यारण्य को टाइगर रिजर्व क्षेत्र घोषित किया गया। अचानकमार टाइगर रिजर्व की गिनती देश के 39 टाइगर रिजर्व में होती है। बाघ, तेंदुआ, गौर, उड़न गिलहरी, जंगली सुअर, बायसन, चिलीदार हिरण, भालू, लकड़बग्घा, सियार, चार सिंग वाले मृग, चिंकारा सहित 50 प्रकार स्तनधारी जीव और 200 से अधिक विभिन्न प्रजातियों के पक्षी पाए जाते हैं।