हाईकोर्ट में जजों की भारी कमी होने के चलते लम्बित प्रकरणों का पहाड़ खड़ा हो गया है। न्यायालयीन सूत्रों की माने तो विचाराधीन मामलों की संख्या 48 हजार 912 को पार कर चुका है। कुछ साल पहले यह आंकड़ा 42 हजार था। लेकिन जजों की कमी के चलते विचाराधीन मामलों का बोझ घटने के बजाय बढ़ता ही जा रहा है।
पुराने दिनों की बात करें तो साल 2005 के चीफ जस्टिस ए.के पटनायक के कार्यकाल में जजों की कुल स्वीकृत 6 पद थे। चीफ जस्टिस पटनायक के प्रयास से प्रदेश हाईकोर्ट में अलग से 2 पदों को स्वीकृत किया गया। जस्टिस पटनायक के कार्यकाल में 8 जजों का पद भर नहीं पाया। चीफ जस्टिस पटनायक के स्थानांतरण के बाद बिलासपुर हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस का पदभार एस.आर नायक ने संभाला।
चीफ जस्टिस के एस.आर नायक के प्रयास से हाईकोर्ट में जजों की संख्या 10 हो गयी। बावजूद इसके स्वीकृत जजों के पदों की कमी पूरी नहीं हो पायी। बाद में लगातार जजों की स्वीकृत पदों की संख्या बढ़ती गयी। अब जजों के 22 स्वीकृत पद हैं, लेकिन जजों का टोटा खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। आलम यह है कि बिलासपुर हाईकोर्ट महज 7 पूर्णकालिक जजों के बदौलत चल रहा है। ऐसे में विचाराधीन मामलों की संख्या में बढ़ोत्तरी होना स्वभाविक है।