गायब कोटवारी जमीन को ढूंढने निकला प्रशासन…ग्रामीणों ने कहा… कोनी पटवारी का भू-माफियों से साठगांठ

BHASKAR MISHRA
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बिलसापुर— खोसला का घोंसला फिल्म तो याद होगी ही । बिलासपुर में भी जमीन को लेकर कोनी में कुछ ऐसा ही मामला सामने आया है। कुछ इसी तरह कोनी में कोटवारी जमीन को तलाशने का जिम्मा प्रशासन ने अतिरिक्त तहसीलदार को दिया है। उम्मीद है कि कोनी में कोटवारी जमीन बेचने और अवैध निर्माण का सच जल्द ही सबके सामने आ जाएगा। यदि प्रशासन ने किसी को बचाने या छिपाने का प्रयास नहीं किया तो…।आज से अतिरिक्त तहसीलदार के निगरानी में कोनी स्थित कोटवारी जमीन की तलाश शुरू हो गयी है। कोनी पटवारी विभव सिंह पर आरोप है कि भूमाफियों से मिली भगत कर सरकारी जमीन को बेचने के बाद जमीन माफिया को निर्माण में सहयोग दिया है। कुछ इसी तरह का आरोप संतोष पाण्डेय पर भी इसी जमीन को लेकर है।
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                              मालूम हो कि कोनी पटवारी विभव सिंह पर पिछले कुछ महीनों से भू-माफियों से सांठगांठ कर सरकारी जमीन पर बेजाकब्जा करवाने का आरोप लगातार लग रहा है। अतिरिक्त तहसीलदार नारायण गभेल की मौजूदगी में कोटवारी भूमि खसरा नम्बर 220 का आज मुआयना किया गया। प्रारम्भिक स्तर पर ग्रामीणों के आरोपों को सही पाया गया है।

                       मामले में अतिरिक्त तहसीलदार नारायण गभेल ने कुछ भी बताने से इंकार कर दिया है। लेकिन जानकारी के अनुसार अतिरिक्त तहसीलदार ने आरआई सरवन को कोटवारी जमीन खसरा नम्बर 220 के आस पास के सभी भूस्वामियों को नोटिस जारी कर अधिकार दस्तावेज निश्चित तारीख को पेश करने को कहा है।

कहां है कोनी की कोटवारी जमीन

                  राजस्व रिकार्ड के अनुसार कोनी स्थित खसरा नम्बर 220 में कुल रकबा 38 डिसमिल जमीन कोटवारी है। फिलहाल कोटवारी जमीन का कहीं नाम और निशान नहीं है। चारो तरफ निर्माण हो चुका है। राजस्व विभाग से मिली जानकारी के अनुसार खसरा 220 का 38 डिसमिल रकबा फिलहाल जमीन माफियों के  कब्जे में है। इस पूरे प्रकरण में पूर्व पटवारी संतोष पाण्डेय और वर्तमान पटवारी विभव सिंह की अहम भूमिका है।

                                   बताते चलें कि कोनी स्थित रिव्हर व्यू कालोनी मेनगेट स्थित कोटवारी जमीन खसरा नम्बर 220 रकबा 38 डिसमिल जमीन को पूर्व पटवारी संतोष पाण्डेय पर भू-माफियों को कब्जा दिलाने का आरोप है। जिसकी शिकायत कलेक्टर,एसडीएम और स्थानीय मंत्री से कोनी कोटवार और ग्रामीणों ने की थी।  राजस्व प्रशासन ने हर बार जांच का हवाला देकर मामले को टाला । इसकी मुख्य वजह दोनों पटवारियों के ऊंचे रसूख को बताया जा रहा है।

कोटवार ने कहा बिक गयी जमीन

                            एक साल पहले ग्राम कोटवार प्रकाश दास ने एसडीएम बिलासपुर के सामने बयान दिया था कि कोटवारी जमीन को तत्कालीन कोनी पटवारी संतोष पाण्डेय ने बेंच दिया है। खसरा नम्बर 220 के पास खसरा नम्बर 219 की जमीन है। 220 खसरा को 219 बताकर संतोष पाण्डेय ने रजिस्ट्री के लिए शासन के सामने पेश किया था।

मंत्री आदेश की अनदेखी

                                                      मामले को लेकर मई 2017 में ग्रामीणों ने स्थानीय मंत्री से शिकायत की थी कि पटवारी कार्यालय के सामने कोनी पटवारी विभव सिंह कोटवारी जमीन को भूमाफियों से मिलिभगत कर निर्माण करवा रहा है। मंत्री ने मामले को एसडीएम और तहसीलदार को जांच करने का निर्देश दिया। लेकिन मामले में आज तक जांच नहीं हुई।

                                    ग्रामीणों के दबाव के बाद आज अतिरिक्त तहसीलदार ने मौके पर पहुंचकर मुआयना किया। मौके पर पहुंचकर अतिरिक्त तहसीलदार ने पाया कि बताए गए ठिकाने पर पक्का मकान का निर्माण हो रहा है। जमीन पर सीसी रोड बनकर तैयार है। दो पक्का मकान .डोर लिंटर तक पहुंच चुका है। सूत्रों के अनुसार निर्माणाधीन मकान किसी बंगाली परिवार का है।जमीन पर निर्माण के पहले जमकर लेन देन करने की भी बात सामने आ रही है।

प्रभारी मंत्री और सचिव और संभागायुक्त से शिकायत

                                   कोटवारी जमीन को बेचने और अवैध निर्माण को लेकर ग्रामीणों ने प्रभारी मंत्री अजय चन्द्राकर और प्रभारी संचिव एम.के.राउत से भी लिखित शिकायत की है। चन्द्राकर और राऊत ने मामले को राजस्व प्रशासन को दे दिया। साथ ही शिकायत को गंभीरता से लेने को कहा था। राजस्व मंत्री प्रेमप्रकाश पाण्डेय ने भी जमीन की हेराफेरी पर चिंता जाहिर करते हुए मामले को जल्द से जल्द निराकरण करने को कहा था।

पहले नोटिस…फिर सीमांकन

           सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार खसरा नम्बर 220 में 38 डिसमिल तो दूर 8 डिसमिल भी कोटवारी जमीन नहीं मिलने वाली है। क्योंकि पटवारियों ने जमीन को बेच खाया है। सूत्र ने बताया कि मामले में जमीन के आसपास के सभी भू-स्वामियों को नोटिस भेजा जाएगा। नाप जोख के बाद कोटवारी जमीन की तलाश होगी। यदि जमीन पर अवैध कब्जा हुआ तो उसे हटाया भी जा सकता है। फिलहाल पूर्व और वर्तमान पटवारी पर संकट के बादल गहरा गए हैं।

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