बिलासपुर-डीपी विप्र की छात्र-छात्राओं ने बुधवार को कलेक्टर कार्यालय पहुंचकर इलाज के दौरान निशा सिंह की मौत मामले में निष्पक्ष जांच की मांग की है। छात्र-छात्राओं ने जिला प्रशासन को बताया कि निशा की मौत में अपोलो की लापरवाही सामने आ रही है। जांच के बाद दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए ।जिला कार्यालय पहुंचकर डीपी की में छात्र छात्राओं ने जिला प्रशासन को लिखित शिकायत कर निशा सिंह मौत को लेकर न्यायिक जांच की मांग की है। छात्र-छात्राओं ने बताया कि निशा सिंह मेधावी छात्रा थी। जिसका इलाज के दौरान अपोलो में मौत हो गई है.CGWALL NEWS के व्हाट्सएप ग्रुप से जुडने यहाँ क्लिक कीजिये
छात्र-छात्राओं ने बताया कि 23 साल की निशा सिंह रोज की तरह 22 जून की सुबह मॉर्निंग वॉक में निकली थी। इसी दौरान किसी अज्ञात वाहन की चपेट में आ गई । निशा का हाथ फ्रैक्चर हो गया था। घटना के बाद निशा को इलाज के लिए अपोलो में भर्ती किया गया। डॉक्टरों ने आपरेशन कर निशा सिंह के हाथ का इलाज किया। ऑपरेशन सफल भी रहा।आपरेशन के बाद निशा धीरे-धीरे सामान्य होने लगी।
इसी बीच अपोलो प्रबंधन ने निशा सिंह के परिजनों पर दूसरा ऑपरेशन कर प्लास्टिक सर्जरी की सलाह दी । लगातार दबाव के बाद निशा सिंह के पिता को प्लास्टिक सर्जरी के लिए राजी होना पड़ा। ऑपरेशन के बाद निशा सिंह का खून निकलना बंद नही हुआ। और अन्त में उसने दम तोड़ दिया ।
जबकि सड़क हादसे में निशा को सिर्फ हाथ मे ही चोट लगी थी। प्रत्यक्षदर्शियों का भी मानना है चोट इतनी गंभीर भी नही थी कि निशा सिंह की मौत का कारण बने। इससे जाहिर होता है इलाज के अपोलो के डॉक्टर घनघोर लापरवाही की है। जबकि निशा का सिर्फ हाथ ही फ्रैक्चर हुअबता। इस बात को इलाज के अपोलो डॉक्टर ने ही बताया था।छात्र छात्राओं ने बताया कि पहला ऑपरेशन ठीक था । जबकि दूसरे की जरूरत नही थी। बावजूद इसके अपोलो ने दबाव बनाकर प्लास्टिक सर्जरी किया। सिर्फ रुपयों की लालच में। जबकि उसकी तत्काल जरूरत नहीं थी।
छात्राओं ने बताया कि प्रथम दृष्टया पूरे घटनाक्रम में अपोलो प्रबंधन की लापरवाही सामने आती है। इसलिए निशा सिंह की मौत को लेकर न्यायिक जांच किया जाना बहुत जरूरी है। पता लगाया जाए कि आखिर अपोलो प्रबंधन ने प्लास्टिक सर्जरी के लिए क्यों दबाव बनाया। उसकी मंशा क्या थी ।जांच के बाद दोषी के खिलाफ सख्त से सख्त कार्यवाही भी की जाए ।