जीवन दीप समिति में 20 करोड़ से अधिक का घोटाला..आडिट रिपोर्ट का खुलासा..अधिकारियों ने निपटा दिया कागजों में काम..नियमों की उड़ाई धज्जियां

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर—- लोकल फंड आडिट के बाद राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के माध्यम से संचालित जीवनदीप समिति में करीब 21 करोड़ रूपए की भारी भरकम अनियमितता का मामला सामने आया है। अनुमान लगाया जा रहा है कि यह घोटाला 50 से 60 करोड़ रूपयों से अधिक का हो सकता है। लोकल आडिट रिपोर्ट के अनुसार जिम्मेदार अधिकारियों ने मिलीभगत कर कागजों में कल्पना के आधार खर्चा को मान्य किया है। नियमं विरूद्ध सीए से आडिट प्रमाण पत्र लेकर शासन को करोड़ों का नुकसान पहुंचाया है। 

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जीवनदीप का कामकाज 

              जानकारी देते चलें कि प्रदेश में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के माध्यम से सभी जिलों ब्लाक और प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में स्वास्थ्य से जूड़ी राष्ट्रीय कार्यक्रमों का संचालन किया जाता है। कार्यक्रमों की मानिटरिंग राष्ट्रीय मिशन के कर्मचारियों के माध्यम से होता है। वित्तीय प्रबंधन कार्य संविदा में नियुक्त जिला स्तर पर जिला कार्यक्रम अधिकारी और जिला लेखा प्रबंधन करता है। जबकि ब्लाक स्तर पर यह काम ब्लाक कार्यक्रम अधिकारी और ब्लाक लेखा प्रबंधक   करता है। इन पर शासन करोड़ों रूपए बतौर वेतन खर्च करता है।

              नियमानुसार प्रत्येक जिला और ब्लाक प्रबंधक को प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों का दौरा करना होता है। निरीक्षण के साथ जरूरी कार्यों को दिशा निर्देश देना होता है। लोकल आडिट रिपोर्ट पर विश्वाास करें तो अधिकारियों ने सारा काम कार्यालय में बैठकर कागज में ही दौरा कार्यक्रम को अंजाम दिया है। 

जिला और ब्लाक प्रबंधकों का काम

                        संविदा पर नियुक्त जिला और ब्लाक लेखा प्रबंधकों को प्रत्येक महीने सभी जीवन दीप समिति का सभी रिकार्डों के मुआयना के अलावा समस्याओं का समाधान करना होता है। लोकल आडिट रिपोर्ट की मानें तो किसी अधिकारी ने ऐसा नहीं किया है। मुख्यालयों में बैठकर खण्ड  अधिकारियों से मिली भगत कर कागजों में खर्चा को मान्य किया है। नियम विरूद्ध सीए से आडिट रिपोर्ट तैयार कर शासन के सामने आय व्यय का व्यौरा दिया है। यह जानते हुए भी कि सीए का आडिट रिपोर्ट मान्य नहीं है।

                  आडिट रिपोर्ट के अनुसार बिलासपुर,मुंगेली और जीपीएम जिले के 102 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में संचालित जीवनदीप समिति में करीब 20 करोड़ 40 लाख रूपयों का घोटाला हुआ है।  

शासन के निर्देशों की उड़़ाई गयी धज्जियां

                   शासन के निर्देशानुसार जीवनदीप समितियों की नियमावाली को सहायक पंजीयक फर्म एण्ड सोसायटी में पंजीकृत होना जरूरी है। इसी क्रम में साल 2006 में जिले के 102 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में पंजीयन बाद जीवन दीप समितियों का गठन हुआ। समिति के माध्यम से राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन का काम काज शुरू हुआ । शासन ने एक आदेश के तहत जीवन दीप समितियों का लेखा जोखा अधिनियम के तहत वित्त विभाग के अन्दर शामिल किया। साथ ही हर साल आडिट किए जाने का निर्देश भी दिया गया । बावजूद इसके जिले की सभी  102 जीवनदीप समितियों ने लोकल स्तर पर आडिट नहीं कराया।

            शासन की गाइडलाइन के अनुसार जीवन दीप समितियों का ना केवल हर साल आडिट रिपोर्ट कराने का निर्देश है। बल्कि प्रत्येक वर्ष फर्म एण्ड सोसायटी से वैधता प्रमाण पत्र भी लिया जाना जरूरी है। लेकिन तीनों जिलों ने पिछले 2007 से 2020 तक दोनों ही काम नहीं किया। मतलब शासन के निर्देशों की जीवनदीप समितियों ने अनदेखी की है।

60 करोड़ रूपए घोटाला का अनुमान

                         लोकल आडिट रिपोर्ट की माने तो इन सालों में तीनों जिलों कि 102 जीवनदीप समितियों ने सिर्फ चार योजनाओं में 20 करोड़ 40 लाख रूपयों का घोटाला किया है। रिपोर्ट के अनुसार यदि इन योजनाओं में दी गयी शासकीय राशि को शामिल किया जाए तो यह घोटाला करीब 60 करोड़ का होता है।

कार्यक्रम प्रबंधकों ने लगाया 20 करोड़ का फटका

                    राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में नियुक्त कार्यक्रम प्रबंधक और लेखा प्रबंधको ने बिना दौरा दौरा किये कार्यालय में बैठकर खर्चा का लेखा जोखा तैयार किया। 2006 से अब तक चार्टेड अकाउन्टेन्ट को मोटी फीस देकर प्रमाण पत्र शासन के सामने पेश करते रहे। यह जानते हुए भी कि चार्टड अकाउन्टेन्ट को परीक्षण करने का अधिकार नहीं है।

जिला प्रशासन तक पहुंची शिकायत     

             छत्तीसगढ़ प्रदेश स्वास्थ्य कर्मचारी संघ प्रांताध्यक्ष रविन्द्र तिवारी ने बताया कि मामले में कलेक्टर और उपसंचालक स्थानीय आडिटर को पत्र लिखकर मामले को गंभीरता से लेने को कहा गया था। पत्र के माध्यम से जीवनदीप समिति का 2006 से 2020 तक लेखा परीक्षण का निवेदन किया गया था।

             रविन्द्र तिवारी ने बताया कि पत्र के बाद उपसंचालक स्थानीय लेखा संपरीक्षक ने जीवनदीप समिति का चयन कर कुल पांस सालों का आडिट कराया। आडिट में भारी भ्रष्टाचार की शिकायत सामने आयी है। 

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