टेस्ट में पायी गयी भारी खामियां…राजधानी ब्लड बैंक को बन्द….20 से अधिक मेडिकल दुकानों का लायसेंस निरस्त

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर—खाद्य एवं औषधि प्रशासन से हासिल जानकारी के अनुसार जिले के 20 से अधिक मेडिकल दुकानों का पिछले दो एक सालों में लायसेंस को हमेशा के लिए निरस्त कर दिया गया है। इसके अलावा ब्लड बैंकों पर भी कार्रवाई की गयी है। शहर में कुल 6 ब्लड बैंक काम कर रहे हैं। सिम्स के बिलासा बैंक को पन्द्रह दिनों के लिए कमी को देखते हुए बंद किया गया था। जबकि राजधानी ब्लड बैंक का लायसेंस निरस्त कर दिया गया है।

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             खाद्य और औषधि प्रशासन बिलासपुर संभाग के डिप्टी डायरेक्टर राजेश क्षत्री ने बताया कि ड्रग के बेजा इस्तेमाल के खिलाफ विभाग लगातार कार्रवाई करता है। पुलिस प्रशासन का सहयोग भी किया जाता है। एनडीपीएस एक्ट की प्रक्रिया में भी खाद्य एवं औषधीय प्रशासन का भी सहयोग होता है। राजेश क्षत्री ने बताया कि मेडिकल दुकानों से यदि मेडिसिन की खरीदी नशे के रूप में होती है। तो यह व्यवस्था के खिलाफ और अपराध है। समय-समय पर मेडिकल दुकानों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई होती है। जांच पड़ताल में कुछ गलत पाए जाने पर नोटिस दिया जाता है। यदि किसी प्रकार की सुधार नहीं होने पर मेडिकल दुकानों का लायसेंस निरस्त किया जाता है। इसके अलावा निदेशित मेडिसिन की खरीदी विक्री को लेकर प्रतिबंधित कर दिया जाता है।

                        उप संचालक खाद्य एवं औषधी विभाग के उपसंचालक ने बताया कि वभाग हमेशा प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से दुकानो और मेडिकल संस्थानों की मानिटरिंग करता है। इसी क्रम में हमने पिछले दो सालों में 20 से अधिक दुकानों का लायसेंस निरस्त कर दिया है। कुछ दुकानों को निदेशित दवाईयों की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। राजेश क्षत्री ने बताया कि गीता मेडिकल मगरपारा, विजय मेडिकल कुदुदण्ड, जय कृष्णा ट्रेडिंग मेडिकल काम्पलेक्स,प्रतिभा मेडिकल, जायसवाल मेडिकल बिलासपुर को प्रतिबंधित दवायों की गलत हाथों में बिक्री की जा रही थी। जांच में आरोप सही पाया गया। इसलिए लायसेंस को हमेशा के लिए निरस्त कर दिया गया है।

                      राजेश क्षत्री ने जानकारी दी कि हाल फिलहाल ब्लड बैंकों की शिकायत और आन्तरिक रिपोर्ट के आधार पर छापामार कार्रवाई की गयी। कार्रवाई में सेन्ट्रल ड्रग इंस्पेक्टर मुम्बई और बिलासपुर ड्रग इंस्पेक्टर की टीम शामिल हुई। बिलासा ब्लड बैंक में कुछ सामान्य गड़बड़िया पायी गयी थी। पन्द्रह दिनों के लिए बंद कर दिया गया। सुधार के बाद ब्लड बैंक को खोलने की अनुमति दी गयी। इसी तरह राजधानी ब्लड बैंक में भी छापामार कार्रवाई की गयी। टीम ने पाया कि राजधानी ब्लड बैंक में नैको के गाइड लाइन का पालन नहींं किया गया है। कर्मचारियों की संख्या भी पर्याप्त नहीं है। संसाधनों की भी कमी है। एलिसा टेस्ट में लापरवाही की शिकायत को सही पाया गया। डीप फ्रीजर की कमी पायी गयी। इसके अलावा अन्य शिकायते भी सही पायी गयी। इसलिए राजधानी ब्लड बैंक को बंद किया गया है।

                    राजेश क्षत्री ने बताया कि ड्रग एवम् औषधि विभाग शिकायतों को गंभीरता से लेता है। पुलिस की एन्टी ड्रग अभियान का समर्थन करता है।

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