बिलासपुर— एक दृष्टिहीन सामान्य व्यक्ति वह कर दिखाया। जिसकी मिसाल आज कहीं देखने और सुनने को नहीं मिलती है। चुनौतियों पर जीत हासिल कर 19वीं शताब्दी में फ्रांस में एक दृष्टिहीन ऐसा कुछ कर दिया। जिसकी मिसाल इस दुनिया में बहुत ही कम देखने और सुनने को मिलती है।
19 वीं शताब्दि में फ्रांस में एक ऐसा अविष्कार हुआ..जिसने दुनिया के तमाम दृष्टिहीनों की तकदीर को बदलकर रख दिया। अविष्कार भी ऐसा कि आज भी वह किसी चमत्कार से कम नहीं है। इस अनोखे अविष्कार ने दुनिया के कोने कोने में रहने वालों के जीवन में नई रोशनी का काम किया। इस अविष्कार के बाद अंधेपन के शिकार लोगों की जिंदगी ही बदल गयी।
फ्रांस के लुई ब्रेल जन्मजात अन्धत्व के शिकार थे। लुई ब्रेल का नाम अंधेरी दुनिया में किसी भगवान से कम दर्जा हासिल नहीं है। इस महान वैज्ञानिक ने वह कर दिखाया जिसकी परिकल्पना किसी ने कही थी। चार जनवरी को पूरी दुनिया लुई ब्रेल की जन्मदिन मनाती है।
लुई ब्रेल का जन्म चार जनवरी साल 1821 में फ्रांस में हुई था। फ्रांसीसी वैक्षानिक लुई ब्रेल ने महज 12 साल की उम्र में ब्रेल लिपि को अविष्कार किया। आज दुनिया समेत भारत में भी लुई ब्रेल के अविष्कार के दम पर आंखों से दिव्यांग तमाम शख्त आईएएस, आईपीएस समेत बड़े बड़े पदों पर आसीन हैं।
जानकारी हो कि अविष्कार के बाद दुनिया के कोने कोने में ब्रेल मशीन की स्थापना हुई। आजादी के बाद भारत में भी ब्रेल लिपी सिस्टम को स्थापित किया गया। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर यानि न्यायधानी में भी ब्रेल मशीन को स्थापित किया गया। छत्तीसगढ़ में यह मशीन बिलासपुर के तिफरा में स्थापित है। जो प्रदेश का एकमात्र ब्रेल प्रेस है।
तिफरा में स्थित यह प्रेस पूरी तरह से कम्प्यूटरीकृत है। यहां ब्रेल पद्धति से तमाम तरह की पुस्तकें तैयार होती हैं। ब्रेल प्रेस जनवरी 1985 में स्थापित हुआ था। और अब तक यहां से लगातार दृष्टिबाधितों के लिए जरूरी किताबों की छपाई होती है।
तिफरा स्थित ब्रेल प्रेस में अत्याधुनिक मशीनें लगी हैं। यहां दर्जनों कर्मचारी सेवा दे रहे हैं। प्रेस से प्रमुख रूप से पहली से बारहवीं तक की पाठ्यपुस्तकों की छपाई होती है। इन पुस्तकों को जरूरतमंद बच्चों को उपलब्ध कराया जाता है.। इसके अलावा यहां कहानी आधारित पुस्तक, धार्मिक पुस्तकें और व्याकरण की किताबों की भी छपाई ब्रेल लिपि में होती है।
एक आंकड़े के मुताबिक प्रदेश में इन दिनों 200 से 250 दृष्टि से दिव्यांग शिक्षक हैं। जो ब्रेल पद्धति से सामान्य छात्रों को पढ़ाई कराचे हैंं। बिलासपुर में मौजूद प्रदेश का एकमात्र ब्रेल प्रेस दृष्टिबाधितों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है।