महिला एवं बाल विकास विभाग में भर्ती घोटाला..बर्खास्त पर्यवेक्षक..बन गयी बाल संरक्षण अधिकारी..खुलते ही पोल अधिकारी ने कहा कराएंगे जांच

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर— महिला एवं बाल विकास में भर्राशाही और भ्रष्टाचार का नया मामला सामने आया है। साल 2014 में गंभीर मामलों को लेकर बर्ख्सात महिला पर्यवेक्षक को विभाग में जिला बाल संरक्षण अधिकारी की कुर्सी पर बैठा दिया गया है। जानकारी सामने आने के बाद अधिकारी अपनी गलती छिपाने लीपापोती का खेल शुरू दिया है। यद्यपि मामले में जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी सुरेश सिंह ने जांच की बात कही है। उन्होने बताया कि जो कुछ होगा सबके सामने आ जाएगा। फिलहाल इस बात की उन्हें जानकारी नहीं थी कि जिला बाल संरक्षण अधिकारी कब कहां और किस पद पर थी।

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                महिला एवं बाल विकास विभाग में संविदा भर्ती को लेकर एक नया मामला सामने आाया है। पुख्ता जानकारी के अनुसार शासन ने जिसे कभी पर्यवेक्षक पद से बर्खास्त किया गया था। उसी महिला को जिला बाल विकास ईकाई का अधिकारी बना दिया गया है। जबकि मामले की जानकारी विभाग के कमोबेश सभी अधिकारी और कर्मचारियो को थी।

               जानकारी के अनुसार वर्तमान में पार्वती वर्मा को विभाग और जिला प्रशासन ने जिला बाल विकास संरक्षण ईकाई का जिला अध्यक्ष बनाया है। यह पद संविदा का है। इसके अलावा जिला बाल विकास संरक्षण के अन्य पद भी संविदा पर भरे गए हैं। सूत्रों ने बताया कि जिला प्रशासन ने एक ऐसी महिला को जिला बाल संरक्षण समिति में जिला अधिकारी के पद पर बैठा दिया जिसे शासन ने साल 2014 में एक गंभीर शिकायत के बाद पर्यवेक्षक पद से बर्खास्त कर दिया था। तात्कालीन समय महिला जिला महिला एवं बाल विकास में पदस्थ थी। अब उसी महिला को जिला बाल संरक्षण ईकाई का प्रमुख बना दिया गया है। बताया जा रहा है कि महिला समेत अन्य संविदाकर्मियों की नियुक्ति के समय नियम कानून के साथ जमकर खिलवाड़ किया गया है।

                                  बताते चलें कि कलेक्टर जिला बाल संरक्षण समिति का पदेन अध्यक्ष होते हैं। जबकि जिला कार्यक्रम अधिकारी पदेन सचिव  होता है। जिला बाल संरक्षण समिति के सभी पद संविदा में भरे जाते हैं। पद को पाने के लिए लोग साम दाम दण्ड भेद की नीति को आजमाने से बाज नहीं आते। जानकारी हो कि जिला बाल संरक्षण समिति में जिला बाल संरक्षण अधिकारी समेत विधिज्ञ सह पर्यवेक्षक अधिकारी, संस्थागत संरक्षण अधिकारी, गैर संस्थागत संरक्षण अधिकारी और आउट रिच वर्करों की भर्ती पदेन अध्यक्ष और पदेन सचिव की मौजूदगी में होती है।  पर्यवेक्षक पद से बर्खास्त महिला को जिला बाल संरक्षण अधिकारी की जिम्मेदारी देने से पहले पदेन अध्यक्ष और सचिव को जानकारी नहीं थी…यह बात गले से नहीं उतरती है।

           बताते चलें कि पर्यवेक्षक पद से बर्खास्त महिला की जिला बाल संरक्षण अधिकारी पद पर नियुक्ति साल 2015-16 में संविदा आधार पर की गयी है। और अधिकारी सब कुछ जानते हुए भी मौन है। इससे जाहिर होता है कि अधिकारियों ने मिली भगत कर बाल संरक्षण, बाल गृह बालिका संप्रेक्षण गृह अन्य ईकाइयों में जमकर भ्रष्टाचार किया है। बावजूद इसके मामले पर पर्दा डालने से अधिकारी बाज नहीं आ रहे है। सच्चाई तो यह है कि सभी जगह संविदा नियुक्तियों में जमकर भ्रष्टाचार हुआ है।

 जानकारी मिली..करेंगे जांच

               मामले में जिला कार्यक्रम अधिकारी सुरेश सिंह ने कहा कि कौन कब बर्खास्त हुआ है। नियुक्ति के समय किसी को जानकारी दी या नहीं..। फिलहाल इस बात की जानकारी उन्हें नहीं है। मामला सामने आया है। हम जांच करवाएंगे। दोषी पाए जाने पर उचित वैधानिक कदम उठाएंगे।

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