दिल्ली।कोरोना वायरस (Covid-19) का खतरा कई साल बाद भी कम नहीं हुआ है. अब प्रतिष्ठित लैंसेट मैग्जीन (Lancet) की एक स्टडी में कहा गया है कि कोरोना से गंभीर रूप से संक्रमित हुए मरीजों में संक्रमण के दो साल बाद भी कुछ लक्षण देखे जा रहे हैं. ऐसे में इन मरीजों को लगातार सेहत का ध्यान रखने की ज़रूरत है.
लैंसेट रेस्पिरेटरी मेडिसिन में मंगलवार को प्रकाशित स्टडी के मुताबिक, कोरोना (Covid-19) से गंभीर रूप से संक्रमित हुए वे लोग जिन्हें अस्पताल में भर्ती करवाया गया था, संक्रमण के दो साल बाद भी उनमें एक या एक से ज्यादा लक्षण देखे जा रहे हैं. यह स्टडी चीन में की गई. चीन में साल 2020 में कोरोना की शुरुआत के समय संक्रमित हुए कुछ लोगों में दो साल बाद भी कुछ लक्षण देखे गए हैं.
‘पूरी तरह ठीक होने में लग जाता है दो साल का समय’
स्टडी करने वाले प्रोफेसर बिन साओ कहते हैं, ‘हमारी स्टडी में यह बात सामने आई है कि भले ही कोई मरीज कोरोना के संक्रमण से ठीक हो गया हो, लेकिन उसे पूरी तरह ठीक होने में दो साल का समय लग जाता है. लंबे समय तक कोविड के लक्षणों वाले लोगों की मॉनिटरिंग करके उनके लंबे समय तक बीमार रहने का पता लगता है.’
चीन के चीन-जापान फ्रेंडशिप हॉस्पिटल के प्रोफेसर बिन साओ ने कहा कि इंसान के संक्रमण रहित दिखने के बावजूद कोविड संक्रमण कुछ हद तक बचा रहता है. उन्होंने आगे कहा, ‘कोरोना से उबर चुके कुछ लोगों को लगातार स्वास्थ्य सुविधाएं दिए जाने की ज़रूरत है. साथ ही, यह भी समझना होगा कि वैक्सीन, इलाज और नए-नए वैरिएंट उनके स्वास्थ्य को लंबे समय में किस तरह प्रभावित करते हैं.’
थकान, सांस फूलना और नींद की समस्या
कोरोना के मरीजों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में समय के साथ सुधार होता है. रिसचर्स ने बताया है कि सुधार के बावजूद आम इंसान की तुलना में कोरोना से ठीक होने वाले लोगों का स्वास्थ्य कमजोर होता है और उनके जीवन की गुणवत्ता भी प्रभावित होता है. इसके अलावा, इन मरीजों में लंबे समय तक कुछ लक्षण देखे जाते हैं. इन लक्षणों में थकान, सांस फूलना और नींद से जुड़ी समस्याएं शामिल हैं.
इस स्टडी को करने वाले एक्सपर्ट्स ने कोरोना से गंभीर रूप से बीमार हुए लोगों के स्वास्थ्य पर कोविड के लंबे समय के प्रभावों को नोट किया है. इस स्टडी में 1192 लोग शामिल थे. 7 जनवरी और 29 मई 2020 के बीच छह महीने, फिर 12 महीने और फिर दो साल तक इन मरीजों के स्वास्थ्य का अपडेट लिया गया और उनपर कोविड का असर देखा गया.