रायपुर । छत्तीसगढ़ फ़िल्म एंड विजुअल आर्ट सोसाइटी द्वारा नेशनल स्कूल आफ ड्रामा के सहयोग से संचालित थियेटर एपरिशियेशन कोर्स के छँटने दिन रंगमंच के सुप्रसिद्ध निर्देशक , कलाकार रामगोपाल बजाज ने कलाकारों से कहा की ब्रहम मूहूर्त में कभी उठें और देखें लाईट के साथ कैसे सबकुछ बदलता है । इसे देखें महसूस करें आपके अंदर भी बदलाव दिखने लगेगा ।हम अपनी इन्द्रियों को संकुचित कर सकते हैं उसका विस्तार भी कर सकते हैं ।आपने पेटिंग देखी होगी ।उसमें कलर लाईन को देखें प्रकृति का साऊंड स्केप को बदले हुए महसूस करें जब क्षितिज रेखा बदलती है उसकी छटा देखिए वह केसे बदल रही ध्वनी कैसे बदल रही लाईट कैसे बदल रही है ।अक्षरों की ध्वनि सबकी अलग है उसे सुधारें ।
श्री बजाज ने कहा कि भाषा में जो अक्षर वह भाषा की मूल ईकाई है उसका नाक मुंह तोड़ देंगे तो भाषा सुधरेगी ।उन्होने कहा कि वर्णमाला का अभ्यास कीजिए आगे पीछे जाकर उच्चारण करें । श्री बजाज ने कहा की वर्ण को बाँट कर नही रखेंगे तो समाज कैसे चलेगा ।सिर्फ़ मनुष्य ही जीव नही है । जीव से जीव जोड़ना ही धर्म है ।जीव की वेदना को समझेंगे तभी आप में संवेदना आएगी ।
उन्होने कहा कि ध्वनी का अभ्यास करें ताल का अभ्यास करे सुरों का अभ्यास करें गाने के लिए नही अपने अभिनेता को सुधारने के लिए करें ।राग रागनियाँ बदलेंगी तो भाव भी बदलेगा कोमल स्वरों का अभ्यास करें वार्णिक और मात्रिक का भेद भी आज लोग नही जानते ।व्याकरण के तौर पर भाषा का ज्ञान लिजिए ।भाषा से अननेचुरल भी कुछ नही शुद्ध भाषा तक पहुँचने में मानव को काफी समय लगा है ।मत भूलिए जीव का अब तक का सबसे बड़ा अविष्कार भाषा है ।
श्री बजाज ने कहा की आज की पढ़ाई लिखाई में भाषा को महत्व नही दिया जा रहा है ।उच्चारण स्वर के आधार पर है स्वर के बिना उच्चारण नही हो सकता । बिना स्वर के भी आप अपने को एक्सप्रेस कर सकते हैं । भाषिक संभावनाओं और क्षमता को बढ़ाते रहिए ।
एपरिशियेशन के दौरान वामन केन्द्रे द्वारा निर्देशित नाटक जानेमन का D VD के माध्यम से प्रदर्शन किया गया ।