बिलासपुर—प्रदेश में सौर् ऊर्जा पर तेजी से काम किया जा रहा है। लोगों को सौर ऊर्जा के प्रति जागरूकता आई है। लेकिन अभी बहुत काम किया जाना है। प्रदेश में सौर् ऊर्जा के क्षेत्र में अपार संभावनाए हैं। आने वाला समय सौर्य ऊर्जा का होगा । परंपरागत ऊर्जा से निर्भरता खत्म होनी चाहिए। सौर् ऊर्जा पर्यावरण सापेक्ष है। यह बातें क्रेडा चैयरमैन पुरन्दर मिश्रा ने पत्रकारों से चर्चा की दौरान कही।
पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए पुरंदर मिश्रा ने कहा कि सरकार सौर्य ऊर्जा को बढ़ावा देने सब्सिडी दे रही है। लेकिन लोगों को आज भी सौर् ऊर्जा की जानकारी आधी अधूरी और भ्रांतियां है। भ्रांतियों को दूर करने रकार मीडिया के साथ काम कर रही है। लोगो को सौर ऊर्जा के प्रति जागरूक करना बहुत जरूरी है। अभी तक सौर् ऊर्जा पर प्रारंभिक स्तर पर काम हुआ है। लेकिन इसकी उपयोगिता को जन जन तक पहुचाना है। पुरंदर मिश्रा ने बताया कि किसानों को सौर्य ऊर्जा फ्रेंडली बनाने का प्रयास किया जा रहा है ।
सौर्य ऊर्जा से जुड़ी योजनाओं की जानकारी देते हुए पुरंदर मिश्रा ने कहा कि सौर सुजला योजना के पहले चरण में सरकार ने 11300 में से 8741 पम्पो को स्थापित कर दिया है। योजना के दूसरे चरण में बीस हजार नए सोलर पम्प स्थापित किए जाएंगे। इसमें 748 करोड़ की लागत आएगी। नाबार्ड से ऋण लिया जाएगा। योजना में केन्द्र से अनुदान का प्रयास किया जा रहा है।
पुरन्दर मिश्रा ने बताया कि डीडीजी योजना के तहत जून 2017 तक 472 गांव में से 248 गांवो को सौर् ऊर्जा से विद्युतीकृत कर लिया जाएगा। बचे 224 में से 96 गांव की बिजली सौर्य ऊर्जा से जलने लगेगी।
सोलर प्लांट के सवाल पर पुरंदर ने बताया कि राज्य में 500 मेगावाट क्षमता के सोलर पार्क की स्थापना की जाएगी। राजनादगाव में 250 मेगावाट का सोलर प्लांट स्थापित किया जाएगा। उन्होने बताया कि प्रदेश में 2017-18 तक 2500 सोलर पंप लगाए जाएंगे। उन्होने बताया कि सरकार का लक्ष्य है कि शासकीय स्कूलों में बजट के अनुसार सोलर विद्युतीकरण का लक्ष्य है। मिश्रा ने कहा कि प्रदेश के 31 सरकारी अस्पतालों सोलर से बिजली चल रही है। केम्पा परियोजना के तहत सामुदायिक सिंचाई के लिए 13 गांवों में सोलर पंप लगाएंगे।
पुरंदर मिश्रा ने बताया कि तातापानी में केन्द्र और राज्य सरकार के योगदान से भूतापीय विद्युत परियोजना की स्थाना की जाएगी। योजना पर कुल 175 करोड़ खर्च किया जाएगा।
एक सवाल के जवाब में पुरंदर ने कहा कि छत्तीसगढ में सौर ऊर्जा के क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं। संभावनाओँ के अनुसार जमीनी स्तर पर काम भी किया जा रहा है। लेकिन जागरूकता नहीं होने से काम में बहुत तेजी नहीं है। इसके लिए सभी को सौर्य ऊर्जा के महत्व को न केवल समझना होगा..बल्कि समझाना होगा । आने वाले समय में ऊर्जा संकट से निपटने के लिए एक मात्र सहारा सौर ऊर्जा ही है। क्योंकि कोयला भण्डार की अपनी एक सीमा है। सौर्य ऊर्जा के उपयोग से पर्यावरण को किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं है। लोगों की जेब भी खाली नहीं होगी…।