अपोलो ने नामुमकिन को किया मुमकिन..पैर के नशों से बदल दिया हार्ट का वाल्व…प्रदेश का दूसरा आपरेशन..पढ़ें आखिर क्या है मामला…

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर—TAVR एक ऐसी प्रक्रिया है। जिसमें हृदय के वाल्व को बिना किसी सर्जरी के बदला जाता है। यद्यपि टेक्नोलाजी आज विकसित स्वरूप में है। लेकिन एक समय हृदय के वाल्व को ऑपरेट करने ओपन हार्ट सर्जरी प्रक्रिया को अपनाया जाता था। जिसमें छाती में एक बड़ा चीरा लगाया जाता है। इसके बाद ही हार्ट की सर्जरी होती है। यह बातें अपोलो अस्पताल में प्रेसवार्ता के दौरान डॉ.राजीव लोचन भांजा ने कही। डॉ. भांजा ने बताया कि अपोलो अस्पताल ने बिना चीरा लगाए पैरो की नसें के सहारे हृदय का ना केवल ईलाज किया है। बल्कि मरीज को नया जीवन भी मिला। शायद प्रदेश में इस तरह दूसरी सर्जरी है।
अपोलो अस्पताल ने एक बार फिर बड़ी और हार्ट के अनूठे बीमारी का सफल इलाज किया है। पत्रकार वार्ता में अपोलो के सीएमडी डॉ.मनोज नागपाल,कार्डियक स्पेशलिस्ट डॉ.राजीव लोचन भांजा, एनेस्थिसिया स्पेशलिस्ट डॉ़.विनीत श्रीवास्तव, डॉ.वैभव ओत्तलवार विशेष रूप से मौजूद थे।
पत्रकार वार्ता को सीएमडी डॉ. मनोज नागपाल और डॉ. विनीत श्रीवास्तव ने ATVR रोग के बारे में बताया। डॉ.राजीव भांजा ने कहा ATVR का मतलब ट्रांसकैथेटर एओर्टिक वाल्व रिप्लेसमेंट होता है। इस प्रक्रिया के तहत हार्ट के वाल्व को ऑपरेट किया जाता है।
 
 
वाल्व की हुई सटीक गणना
सीनियर कंसल्टेंट डॉ. भांजा ने बताया शहड़ोल निवासी एक 70 साल की महिला को हार्ट की परेशानियों को लेकर अपोलो हाॅस्पिटल में भर्ती कराया गया। ईको जांच के दौरान पता चला कि हृदय से निकलने वाली सबसे महत्वपुर्ण एओर्टा में  स्थित एक वाल्व पूरी तरह से सिकुड़ गया है। ऐसी स्थिति में समस्या का सुनिश्चित करने के लिये एक हाई ग्रेड सिटी स्केन से जांचा परखा गया। एओर्टा के आकार की सटीक गणना करने के बाद वाल्व की व्यस्था की गयी।
 
 
गंभीर मरीज को मिला नया जीवन
डॉ. भांजा ने बतााय कि वाल्व को बदलने की प्रक्रिया में निश्चैतना विभाग का सहयोग लिया गया। मरीज का उतना ही बेहोश किया गया…जिससे मरीज  की सांस की प्रक्रिया प्रभावित ना हो। अपोलो के निश्चैतना विभाग के डाॅ विनीत श्रीवास्तव ने मरीज को सही मात्रा में निश्चैतना देकर प्रक्रिया को सफल बनाया। डाॅ राजीव लोचन भांजा ने बताया कि यह एक ऐसी प्रक्रिया है। जो पैरों की मोटी नस में गाईड वायर और कैथेटर डालकर हृदय तक पहुंचा जाता है। इसके साथ ही सही स्थान पर वाल्व को लगाया जाता है।  पूरी प्रक्रिया में 1 से 1ः30 घंटे का समय लगता है। चूंकि टेक्नोलाजी नयी है। जाहिर सी बात है कि इस प्रक्रिया के तहत ईलाज भी महंगा होता है। लेकिन जीवन से बड़ा कुछ भी नहीं होता। उन्होने कहा कि समय के साथ ईलाज के खर्च में कमी भी आएगी।
 
 
कम कीमत में वाल्व की व्यवस्था
         संस्था प्रमुख अपोलो हाॅस्पिटल डाॅ मनोज नागपाल  ने बताया कि प्रक्रिया को अंजाम देने में अपोलो प्रबंधन ने तन मन से पूरा सहयोग दिया। महंगे वाल्व को केन्द्रीय खरीद के माध्यम से कम कीमत में मंगाया गया। अपोलो  डाॅक्टर की कुशल टीम ने महिला को नया जीवन दान दिया। यह जानते हुए भी कि ऐसा आपरेशन सिर्फ रायपुर में ही एक बार हुआ है। वह भी बहुत खर्चिला था। अपोलो अस्पताल ने कम खर्च कर मरीज को ना केवल नया जीवन दिया। बल्कि एक मिसाल भी स्थापित किया है। क्योंकि ऐसा आपरेशन देश के बड़े शहरों में ही संभव है।
नागपाल ने दुहराया कि अपोलो हाॅस्पिटल नवीन तकनीको को अपनाने में सदैव अग्रणी रहा है। मरीजों के हित में निरंतर नये उपकरणों का ना केवल उपयोग किया जाएगा। बल्कि मरीजों के परिजनों के हित हरसंभव कदम भी उठाया जाएगा।
 
 
टीम को गाड़ा गाड़ा बधाई
डाॅ वैभव ओत्तलवार ने टीम को बधाई देवे हुये कहा कि अंचल के मरीजों और अपोलो हाॅस्पिटल के लिए निश्चित रूप से बहुत बड़ी उपलब्धि है। जटिल प्रक्रिया को सफलतापूवर्क अंजाम देने डाॅ राजीव लोचन भांजा, डाॅ विनीत, वेंकटेश कैथलेब इंचाजर् और पूरी कैथलैब टीम  बधाई के हकदार है।
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