चीफ जस्टिस ने किया मुख्य सचिव को तलब..पूछा विस्थापन क्यों जरूरी..देना होगा 2 सप्ताह में जवाब

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर—वनवासियों को प्राकृतिक रहवास जंगलों से हटाने को लेकर दायर महत्वपूर्ण जनहित याचिका पर मंगलवार को सुनवाई हुई। मुख्य न्यायाधीश अरूप कुमार गोस्वामी की डिवीजन बेंच ने राज्य शासन और अन्य को नोटिस जारी कर 6 सप्ताह के भीतर जवाब पेश करने को कहा है। 
 
              याचिकाकर्ता अखिल भारतीय जंगल आंदोलन मंच के छत्तीसगढ़ संयोजक श्रीदेव जीत नंदी ने एक जनहित याचिका हाईकोर्ट दायर किया। पैरवी के दौरान तर्क दिया गया कि वनों के संरक्षण, संवर्धन और पर्यावरणीय जलवायु परिवर्तन को बचाने वंचित समुदायों का एक ऐतिहासिक योगदान रहा है।
 
             कोर्ट को बताया गया कि यह समुदाय आदिम काल से वनों पर निर्भर हैं। इनका योगदान जंगल, वन्यप्राणियों और विशेष संरक्षित खाद्य पदार्थों को बचाने में है। जीवों के साथ रहवास में होने से जंगल के इको सिस्टम की जानकारी रखते हैं। इसके बाद भी इन विशेष संरक्षित समुदाय जिन्हें राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र भी कहा जाता है। इन्हें वन्य प्राणियों के संरक्षण के नाम पर राज्य के विभिन्न अभ्यारण्य और राष्ट्रीय उद्यानों से विस्थापित किया जाना वन अधिकार अधिनियम का उल्लंघन है।
 
                         जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद 17 जिलों के कलेक्टर, मुख्य सचिव छत्तीसगढ़ शासन, सचिव आदिम जाति कल्याण विभाग,केंद्रीय सचिव वन और पर्यावरण विभाग को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।
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