छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय के 58 अनियमित कर्मचारियों को सन् 2008 से नियमित कर्मचारी मानते हुए सभी लाभ देने का आदेश दिया है। यह फैसला 12 साल बाद आया है।गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय पूर्व में छत्तीसगढ़ शासन के उच्च शिक्षा विभाग के अधीन था। सामान्य प्रशासन विभाग ने तब विश्वविद्यालय में 1 जनवरी 1989 से 31 दिसंबर 1997 तक की अवधि के दैनिक वेतन भोगी तथा अनियमित कर्मचारियों को नियमित करने के लिए कुलसचिव को परिपत्र भेजा। इसके आधार पर 2008 में 58 अनियमित कर्मचारियों को नियमित कर दिया गया।
इसके बाद गुरु घासीदास विश्वविद्यालय केंद्रीय विश्वविद्यालय के रूप में परिवर्तित हो गया। 19 फरवरी 2010 को यूनिवर्सिटी के तत्कालीन प्रभारी कुलसचिव ने 26 अगस्त 2008 को जारी नियमितीकरण के आदेश को निरस्त कर दिया, साथ ही नियमित कर्मचारी के रूप में किए गए अधिक भुगतान की राशि के रिकवरी का आदेश दिया।
इस आदेश के खिलाफ उसी वर्ष प्रभावित 58 कर्मचारियों ने हाईकोर्ट में याचिकाएं दायर की। हाई कोर्ट ने सुनवाई करते हुए सेंट्रल यूनिवर्सिटी और संबंधित पक्षों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। जस्टिस रजनी दुबे की बेंच में अंतिम सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रखा गया था। अब इस संबंध में आदेश जारी कर सन् 2008 से सभी 58 दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को नियमित करने और उससे संबंधित लाभ देने का आदेश दिया गया है।