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सांसदों के पोर्टल पर पहले ही अपलोड कर दी गई थी महिला आरक्षण बिल की डिजिटल कॉपी : लोकसभा सचिवालय सूत्र

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नई दिल्ली। नई तकनीक बनाम पुराने दौर का मुद्दा मंगलवार को नए संसद भवन में उस समय जोर-शोर से उठा, जब केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने लोकसभा में महिला आरक्षण से जुड़ा बिल पेश करना शुरू किया और विपक्षी दल एजेंडा में नहीं होने और बिल की कॉपी नहीं मिलने का मुद्दा उठाकर हंगामा करने लगे।

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उस समय लोकसभा स्पीकर सहित सरकार के कई मंत्री डिजिटल भारत की बात कहते हुए यह कहते नजर आए कि यह अपलोड हो गया है और सांसद इसे अपनी सीट के आगे लगे टैब में देख सकते हैं, पढ़ सकते हैं।

इस विवाद पर सफाई देते हुए लोकसभा सचिवालय के सूत्रों ने बताया कि 2020 से सुस्थापित प्रथा को ध्यान में रखते हुए, संविधान (128वां संशोधन) विधेयक (नारी शक्ति वंदन विधेयक 2023) की डिजिटल कॉपी सदस्यों के पोर्टल पर पहले ही अपलोड कर दी गई थी।

इसके अलावा, संसद के नए भवन में, इस विधेयक को लोकसभा कक्ष में प्रत्येक सदस्य के लिए उपलब्ध कराए गए आधुनिक डेस्कटॉप डिजिटल मल्टी-मीडिया यूनिट पर भी अपलोड किया गया था। इस प्रकार सभी सदस्यों के लिए संविधान संशोधन विधेयक उपलब्ध था, जो उनके डेस्कटॉप उपकरणों पर अपलोड किया गया था।

इसके अलावा, जब भी मांग की गई, उन सदस्यों को फिजिकल प्रतियां भी उपलब्ध कराई। सचिवालय सूत्रों के मुताबिक पिछले कुछ वर्षों के दौरान लोकसभा की कार्यवाही में एक चरणबद्ध तरीके से कागजों के प्रयोग को कम करते हुए संसद सदस्यों को विधेयकों सहित अन्य संसदीय कागजात डिजिटल माध्यम से उपलब्ध कराए जा रहे हैं।

नवीनतम सूचना प्रौद्योगिकी उपकरणों के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए इसके साथ ही कई कदम उठाए गए हैं। संसदीय कागजात सदस्यों के पोर्टल पर अपलोड किए जाते हैं और पिछले तीन सालों से सदस्य आसानी से इन्हें डाउनलोड करके इनका उपयोग कर रहे हैं।

बल्कि, संसद सदस्यों ने डिजिटल तकनीक की मदद से विधेयकों और अन्य संबंधित दस्तावेजों की जांच और अध्ययन के बाद कई महत्वपूर्ण कानून पारित किए हैं। पोर्टल का उपयोग करना बहुत आसान है और इसके प्रभावी उपयोग के लिए सदस्यों और उनके निजी कर्मचारियों को समय-समय पर प्रशिक्षण दिया जाता है।

सितंबर, 2020 से ही इस सुविधा का उपयोग किया जा रहा है और यह पहल पर्यावरण-अनुकूल और पेपरलेस कार्यस्थल को बढ़ावा देने की संसद की प्रतिबद्धता के अनुरूप है।

इसके बावजूद, जब भी सचिवालय के समक्ष सदस्यों द्वारा कोई मांग रखी जाती है तो उन सदस्यों को संसदीय कागजात और विधेयकों की फिजिकल प्रतियां भी उपलब्ध कराई जाती हैं।

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