ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) बनाम नेशनल पेंशन स्कीम (NPS) की राजनीति के बीच भारत सरकार के अधिकारियों ने एक राहत भरी खबर दी है। केंद्र सरकार के अधिकारियों ने बुधवार को कहा कि वे न्यू मार्केट लिंक्ड पेंशन स्कीम (National Pension Scheme) में बदलावों पर विचार कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि ये बदलाव कर्मचारियों को उनकी लास्ट सैलरी की 40% से 45% न्यूनतम पेंशन मिलना सुनिश्चित करेंगे। हालांकि अधिकारियों ने यह स्पष्ट किया कि सरकार पुरानी पेंशन योजना की तरफ नहीं लौटेगी। इस पर मंथन जारी है। आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुए संभावना है कि जल्द ही इस पर निर्णय हो सकता है।
विपक्ष शासित कई राज्यों के पुरानी पेंशन योजना (OPS) की तरफ लौटने के बाद केंद्र की मोदी सरकार की नीति में यह बदलाव देखने को मिल रहा है।
कई बीजेपी शासित राज्य भी नेशनल पेंशन योजना (NPS) को लेकर बेचैनी व्यक्त कर चुके हैं। राजनीतिक दलों द्वारा चुनावों में पेंशन के मुद्दे का इस्तेमाल शुरू करने के बाद सरकार ने एनपीएस की समीक्षा के लिए अप्रैल में एक समिति का गठन किया था। यह समीक्षा कई अहम राज्यों के चुनावों और 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के बीच देखने को मिली है।
नेशनल पेंशन स्कीम में बदलाव और न्यूनतम 40-45 फीसदी पेंशन सुनिश्चित करके सरकार राजनीति और अर्थव्यवस्था के बीच संतुलन बनाने का प्रयास कर रही है। सरकारी कर्मचारियों की पेंशन केंद्रीय बजट का एक बड़ा हिस्सा ले जाती है।
ओल्ड पेंशन स्कीम में सरकार कर्मचारी की लास्ट सैलरी की 50 फीसदी पेंशन की गारंटी देती है। इसके लिए कर्मचारी को अपनी नौकरी के दौरान कोई योगदान नहीं देना होता है, वहीं नेशनल पेंशन स्कीम में कर्मचारी को अपनी बेसिक सैलरी का 10 फीसदी योगदान देना होता है। सरकार 14 फीसदी योगदान भरती है। एनपीएस में पेंशन कॉर्पस के रिटर्न पर निर्भर करती है।
राजस्थान, पंजाब, झारखंड, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश जैसे कई राज्यों ने ओपीएस लागू करने की घोषणा कर दी है। इन सभी राज्यों में गैर भाजपा दलों की सरकारें हैं और अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में विपक्ष ओपीएस को मुद्दा बना सकता है। सूत्रों के मुताबिक, केंद्र सरकार अगले साल लोकसभा चुनाव से पहले ओपीएस व एनपीएस के बीच का रास्ता निकालकर कोई नई घोषणा कर सकती है।