छत्तीसगढ़ में ‘रानी’ के सहारे ‘राज’ को मजबूत करने की जुगत

Shri Mi
3 Min Read

छत्तीसगढ़ की राजनीति में सत्ता हासिल करना या सत्ता में बने रहने के लिए आदिवासी वर्ग को खुश रखना जरूरी है। इस मामले में तमाम दल पीछे नहीं रहना चाहते।

Join Our WhatsApp Group Join Now

छत्तीसगढ़ की वर्तमान भूपेश बघेल सरकार भी आदिवासियों के बीच अपनी गहरी पैठ बनाए रखने के लिए जगह-जगह वीरांगना रानी दुर्गावती की प्रतिमाओं की स्थापना कर रही है।

गोंडवाना राज्य की रानी के तौर पर सबसे ज्यादा सम्मान पाने वाली रानियों में दुर्गावती प्रमुख हैं। इन्हें आदिवासी समुदाय देवी के तौर पर भी पूजता है। लिहाजा रानी को सम्मान दिलाकर राजनीतिक दल इस वर्ग को अपना हितैषी बताने की हरसंभव कोशिश करते हैं।

बात छत्तीसगढ़ की करें तो यहां आदिवासियों के समर्थन के बगैर सत्ता हासिल करना किसी भी दल के लिए आसान नहीं है। इसकी वजह भी है क्योंकि राज्य में लगभग 34 फीसदी मतदाता इसी वर्ग के हैं। विधानसभा की 90 सीटों में से 29 सीटें इस वर्ग के लिए आरक्षित हैं। बड़ी तादाद में ऐसी विधानसभा सीटें हैं, जहां आदिवासी वोट बैंक निर्णायक है।

बीते लगभग एक वर्ष की गतिविधियों पर नजर दौड़ाई जाए तो एक बात साफ हो जाती है कि इस वर्ग को लुभाने में भूपेश बघेल सरकार ने कोई कसर नहीं छोड़ी है। एक तरफ जहां आदिवासी संस्कृति के प्रचार-प्रसार का अभियान चल रहा है। दूसरी ओर रानी दुर्गावती की प्रतिमाएं भी स्थापित हो रही हैं।

बीते कुछ समय में कांकेर के अंतागढ़ में रानी दुर्गावती के साथ गुंडाधुर और वीर गैंद सिंह की मूर्तियों का अनावरण किया गया। इसी तरह महासमुंद के कलेक्ट्रेट में महारानी दुर्गावती की आदमकद प्रतिमा स्थापित की गई।

गरियाबंद के मैनपुर विकासखंड के ग्राम पंचायत कोकडी में भी वीरांगना रानी दुर्गावती की विशाल प्रतिमा का अनावरण किया गया है।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि छत्तीसगढ़ के लोगों में छत्तीसगढ़ी अस्मिता का भाव जागृत करने की वर्तमान सरकार हरसंभव कोशिश कर रही है और यही कारण है कि वह तीज, त्योहारों को खास अहमियत दे रही है।

राज्य की सियासत के लिहाज से आदिवासी समुदाय को लुभाए रखना भी राजनीतिक दलों के लिए जरूरी है, उसी का नतीजा है कि वर्तमान सरकार भी आदिवासियों में सम्मान का भाव जागृत करने के प्रयास कर रही है। इसी क्रम में रानी दुर्गावती की प्रतिमाएं जगह-जगह स्थापित हो रही हैं।

राजनीति के जानकारों का मानना है कि राज्य में वर्ष 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित 29 सीटों में से 28 सीटों पर जीत हासिल हुई थी और पार्टी अपने इस प्रदर्शन को आगे भी बरकरार रखना चाहती है।

इसके लिए जरूरी है कि आदिवासियों के मान-सम्मान के साथ उनके पूर्वजों को खास अहमियत दी जाए इसीलिए कांग्रेस की सरकार इस वर्ग के लिए कार्यक्रम, समारोह तो आयोजित कर ही रही है, साथ में विशेष सुविधाएं भी मुहैया करा रही है

By Shri Mi
Follow:
पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
close