Loksabha Chunaw 2024-सिंधिया के गढ़ पर कांग्रेस की नजर

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Loksabha Chunaw 2024,MP News/मध्य प्रदेश में कांग्रेस लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुट गई है और उसकी पैनी नजर केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के गढ़ ग्वालियर -चंबल पर है। पार्टी के दिग्गजों ने इस इलाके का न केवल दौरा करना शुरू कर दिया है, बल्कि वे उन दावेदारों को भी टटोल रहे हैं जो भाजपा को कड़ी टक्कर दे सके।

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ग्वालियर-चंबल इलाके में लोकसभा की चार सीटें आती हैं। इन सभी चारों सीटों — भिंड, ग्वालियर, मुरैना और गुना पर भाजपा का कब्जा है। बीते साल हुए विधानसभा के चुनाव में इस इलाके की 34 सीटों में से 18 पर भाजपा ने जीत दर्ज की है, जबकि 16 पर कांग्रेस के प्रतिनिधि विधायक के तौर पर निर्वाचित हुए हैं।

इस क्षेत्र में सिंधिया परिवार के प्रभाव का ही नतीजा रहा है कि कांग्रेस वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में 26 सीटें जीतने में सफल हुई थी, मगर ज्योतिरादित्य सिंधिया के पाला बदलने के बाद भाजपा मजबूत स्थिति में आ गई।Loksabha Chunaw 2024

कांग्रेस ग्वालियर-चंबल इलाके में अपने जन आधार को फिर बढ़ाना चाहती है। प्रदेश प्रभारी भंवर जितेंद्र सिंह के अलावा प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने अपने अन्य साथियों के साथ इस इलाके का दौरा करना शुरु कर दिया है। इन नेताओं ने जिला अध्यक्ष और तमाम दावेदारों से संभावित उम्मीदवारों का ब्यौरा मांगा है।Loksabha Chunaw 2024

पार्टी के सामने इस इलाके में प्रभावशाली, दमदार और जन आधार वाले नेताओं की कमी साफ तौर पर नजर आ रही है। ग्वालियर-चंबल वह इलाका है जो उत्तर प्रदेश की सीमा को छूता है। यहां भाजपा और कांग्रेस के अलावा बहुजन समाज पार्टी व समाजवादी पार्टी का भी वोट बैंक है।

विपक्षी दलों के आईएनडीआईए गठबंधन में आए बिखराव का असर इस इलाके पर भी नजर आना तय है। संभावना इस बात की है कि बसपा अपना उम्मीदवार मुरैना और भिंड संसदीय क्षेत्र में उतार सकती है।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस इलाके में सिंधिया बनाम दिग्विजय सिंह की अदावत लंबे समय से चली आ रही है और इसका असर कांग्रेस की राजनीति पर सीधे तौर पर पड़ा है। हाल ही में कांग्रेस ने बड़े बदलाव जरूर किए हैं, मगर दिग्विजय सिंह की सक्रियता कई बार इस क्षेत्र में पार्टी को मदद पहुंचाने की बजाय नुकसान कर देती है। दिग्विजय के छोटे भाई लक्ष्मण सिंह भी मुखर हैं तो पूर्व विधायक राकेश मवई ने कांग्रेस का साथ छोड़ दिया है। यहां भले ही कांग्रेस से सिंधिया ने नाता तोड़ लिया हो, मगर कांग्रेस में अब भी कई सिंधिया समर्थक मौजूद हैं और इसका असर चुनाव पर पड़ सकता है।Loksabha Chunaw 2024

By Shri Mi
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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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