आम आदमी के लिए आई बड़ी खबर, सस्ती दाल उपलब्ध कराने के लिए सरकार ने उठाया बड़ा कदम

Shri Mi
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दिल्ली।पेट्रोल-डीजल और खाने के तेल की बढ़ती कीमतों के बीच दाल के बढ़े भाव भी लोगों को परेशान कर रहे हैं. किचन का खर्च लोगों का बजट बिगाड़ रहा है. महामारी के दौर में आम लोगों की परेशानी को दूर करने के लिए केंद्र सरकार राज्यों के साथ मिलकर दाल की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए कदम उठा रही है.एक बयान में कहा गया है कि दालों की कीमतें उचित और तार्किक स्तर पर बनी रहें, इसे सुनिश्चित करने के लिए केंद्र और राज्य सरकारें आपस में समन्वय कर कार्रवाई कर रही हैं. उपभोक्ता मामलों के विभाग, जो नियमित आधार पर आवश्यक वस्तुओं की कीमतों की निगरानी करता है, उसने दालों के स्टॉक की घोषणा कराने और निगरानी की पहल की है ताकि उपभोक्ताओं को सस्ती कीमतों पर इसकी उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके और मांग और आपूर्ति के अंतर को कम किया जा सके.

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स्टॉक घोषित करने के आदेश

केंद्र सरकार ने सभी राज्यों से अनुरोध किया था कि वे मिलर्स, व्यापारियों, आयातकों आदि जैसे सभी स्टॉकहोल्डर्स को ईसी अधिनियम की धारा 3(2)(एच) और 3(2)(आई) के तहत दी गई शक्ति के जरिए दालों के अपने स्टॉक की जानकारी देने का निर्देश दें. घोषित स्टॉक को राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों द्वारा सत्यापित किया जाएगा. राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों से साप्ताहिक आधार पर दालों की कीमतों की निगरानी करने का भी अनुरोध किया गया था. यह पहली बार है जब पूरे देश में दालों का रियल टाइम स्टॉक प्राप्त करने के लिए इस तरह के कदम को अपनाया गया ताकि जमाखोरी जैसे गैरकानूनी कदमों पर रोक लगाई जा सके. जिससे जानबूझकर की गई दालों की कमी और मूल्य वृद्धि को रोका जा सके.प्रक्रिया को आसान बनाने और रिपोर्टिंग प्रारूप को मानकीकृत करने के लिए, एक ऑनलाइन पोर्टल बनाया गया और सभी राज्यों से अनुरोध किया गया था कि वे सभी स्टॉकहोल्डर्स को ऑनलाइन पोर्टल पर खुद को पंजीकृत करने और दालों का स्टॉक की घोषणा करने का निर्देश दें.

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इसके बाद ऑनलाइन पोर्टल पर दालों के संबंध में जानकारी देने में आ रही तकनीकी मुद्दों को हल करने के लिए दो बैठकें आयोजित की गई. इस बात पर फिर से जोर दिया गया कि राज्यों को स्टॉकहोल्डर्स को ऑनलाइन पोर्टल पर दालों के स्टॉक की जानकारी देने का निर्देश देने की जरूरत है.राज्यों और संबंधित पक्षों के साथ लगातार बातचीत से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली और पोर्टल के लॉन्च होने के एक महीने से भी कम समय के भीतर, 28.66 लाख मीट्रिक टन के स्टॉक की घोषणा की गई और संबंधित लोगों द्वारा विभिन्न श्रेणियों में 6823 पंजीकरण किए गए. जो कि स्टॉक में नेफेड के हिस्सेदारी को ध्यान में रखते हुए वर्तमान में देश में मौजूद कुल स्टॉक का लगभग 20 फीसदी है.

वेबपोर्टल पर प्रस्तुत स्टॉक विवरण का विश्लेषण प्रत्येक राज्य में प्रचलित कीमतों के संदर्भ में किया गया था और जिन राज्यों में कीमतें राष्ट्रीय औसत से अधिक थीं, उन्हें इसके प्रति सचेत किया गया . और उनसे यह अनुरोध किया गया कि वे स्टॉक के सत्यापन के लिए और कदम उठाएं ताकि दालों की नियमित आवाजाही हो और जमाखोरी को खत्म किया जा सके.

बढ़ी हुई खरीद पूरी तरह से बफर आधिरत है

मूल्य स्थिरीकरण की दिशा में अधिक प्रभावी हस्तक्षेप सुनिश्चित करने के लिए, मूल्य स्थिरीकरण कोष (पीएसएफ) के तहत चालू वर्ष (वित्त वर्ष 2021-22) में दालों के बफर के लक्षित स्टॉक को बढ़ाकर 23 एलएमटी कर दिया गया है. चना, मसूर और मूंग की खरीद जारी है. दालों की खरीद के लिए, नेफेड उपभोक्ता मामलों के विभाग की ओर से राज्य सरकार की एजेंसियों के साथ सक्रिय रूप से जुड़ा हुआ है.साल 2020-21 के दौरान, उपभोक्ता मामलों के विभाग ने 19.4 करोड़ एनएफएसए-2013 लाभार्थी परिवारों को आजीविका में व्यवधान के कारण गरीबों के सामने आने वाली कठिनाइयों को दूर करने के लिए, पीएसएफ बफर से प्रति माह 1 किलो प्रति माह वितरण के लिए दाल आवंटित की थी. कोविड-19 महामारी के कारण शुरू में यह कार्यक्रम अप्रैल से जून, 2020 तक तीन महीने की अवधि के लिए था. कार्यक्रम को नवंबर, 2020 तक और फिर पांच महीने के लिए बढ़ा दिया गया. पीडीएस प्रणाली के माध्यम से पीएमजीकेएवाई के तहत कुल 14.23 एलएमटी पिसी हुई दालें वितरित की गई.

राज्य सरकारों ने भंडारण स्थल और वितरण केंद्रों को अंतिम रूप देने के लिए नेफेड के साथ मिलकर काम किया, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि दालें गरीब परिवारों तक पहुंचे और उनकी पोषण सुरक्षा में योगदान दे सके. आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों को जरूरी पोषण प्रदान करने के अलावा, कार्यक्रम ने दालों की कीमतों को कम करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है.

खुदरा स्तर पर हस्तक्षेप

साल 2020-21 में खुदरा स्तर पर कीमतों को नियंत्रित करने के लिए एक हस्तक्षेप प्रणाली शुरु की गई. इसके तहत सीधे और त्वरित रुप से बफर से दालों को जारी किया गया. जिससे की कीमतें घट सकें.इस तंत्र के तहत राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों को खुदरा दुकानों जैसे एफपीएस, डेयरी और बागवानी आउटलेट, उपभोक्ता सहकारी समिति आउटलेट आदि के माध्यम से आपूर्ति के लिए रियायती दर पर मूंग, उड़द और तूअर (अरहर) दी गई.आपूर्ति की लागत जैसे मिलिंग/प्रसंस्करण, परिवहन, पैकेजिंग, एफपीएस डीलरों का मार्जिन आदि विभाग द्वारा वहन किया गया.

आज तक तीनों दालों में से लगभग 2.3 एलएमटी की आपूर्ति राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों को खुदरा हस्तक्षेप के लिए की गई थी. और 2 एलएमटी तुअर को खुले बाजार में बिक्री के माध्यम से जारी किया गया .इन कदमों से तुअर, मूंग और उड़द दालों की खुदरा कीमतों बढ़ोतरी 2021 में स्थिर हो गई है और कीमतों में गिरावट का दौर शुरू हो गया है. 1 अप्रैल 2021 से 16 जून 2021 की अवधि के दौरान इन तीनों दाल की कीमतों में औसत वृद्धि 1 जनवरी 2021 से 31 मार्च 2021 की तुलना में केवल 0.95 प्रतिशथ रही है. जो कि साल 2020 की इसी अवधि में 8.89 फीसदी और साल 2019 की इसी अवधि में 4.13 प्रतिशत बढ़ोतरी की तुलना में बेहद कम है.

By Shri Mi
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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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