रामनुजगंज(पृथ्वीलाल केशरी) राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के बिहान योजना के तहत् स्व-सहायता समूह की महिलाओं द्वारा कम जगह में मचान वाली बाड़ी बनाने की पहल किया गया है।महिलाओं द्वारा बाड़ियों में सीमित और कम पानी में सब्जी उत्पादन के लिए मचान तैयार किया जा रहा है।
स्व-सहायता समूह की महिला किसानों को मचान तैयार करने हेतु जिला प्रशासन द्वारा प्रशिक्षित स्थानीय ग्रामीण महिला कैडरों द्वारा प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है, जिसमें महिलाओं को खड़ा मचान, छतनुमा मचान, स्थानीय व्यवस्था से जंगलनुमा मचान तैयार करने की विधि तथा इसके फायदे के बारे में बताया जा रहा है।
मचान विधि किसानों के लिए काफी लाभदायक है इसमें एक तरह जहां फसल खराब नहीं होती है, वहीं फलों के लटकने की वजह से उनमें जल्द बढ़ोत्तरी हो जाती है। मचान में लड़ी वाली सब्जी जैसे टमाटर, भिण्डी, करेला, लौकी इत्यादि, मचान विधि से खेती करने से इनके फलों की गुणवत्ता अच्छी होती है, साथ ही उत्पादन भी बढ़ता है और इस मचान विधि में सब्जी की तुड़ाई करने में बहुत आसानी होती है। जिससे वे अपनी बाड़ियों में इन पद्धतियों का उपयोग कर मचान तैयार कर रही है। छोटे किसान जिसका रकबा कम है उन किसानों के साथ सीएमएसए सामुदायिक आधारित संवहनी कृषि का कार्य भी किया जा रहा है, जिसके तहत् धान का थरहा तैयार करना फिर लाईन विधि से बुवाई करना शामिल है, जिससे कम रकबा में लगभग 3 गुना उत्पादन लिया जाना मुमकिन होता है।